झुंझुनूं (एजेंसी)। केन्द्र सरकार के बजट में की गयी जीरो बजट खेती की घोषणा के अनुरूप राजस्थान के झुंझुनूं जिले के आबूसर में मूंग की खेती पर पहली बार जीरो बजट खेती का प्रयोग किया जा रहा है। आगे अन्य फसलों पर भी यह प्रयोग किया जाएगा। जिससे किसानों की खेती की लागत कम हो तथा उनकी आय दोगुनी की जा सके। आबूसर में कृषि विभाग का एडप्टिव ट्रायल सेंटर (एटीसी) है। यहाँ सबसे पहले मूंग पर प्रयोग किया गया है। प्रयोग के लिए आधा बीघा जमीन में मूंग की आइपीएम 2-3 किस्म काम में ली गई है। यह किस्म पहले से ही मौजेक रोग (पीलिया)की प्रतिरोधक क्षमता वाली है। आधा बीघा में इसी किस्म के बीज की सामान्य खेती की गई है। जिसमें दवा, उर्वरक आदि काम में लिए गए हैं।
उत्पादन में यह देखा जाएगा कि जीरो बजट वाली आधा बीघा की खेती में कितना उत्पादन हुआ है और कितनी लागत आई। वहीं आधा बीघा की खेती जिसमें दवा, उवर्रक आदि काम में लिए गए थे उसमें कितनी लागत आई और कितनी उपज हुई। इसकी तुलनात्मक रिपोर्ट राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्र को भेजी जाएगी। एटीसी के शस्य विज्ञानी डॉ सुनील महला के अनुसार जीरो बजट खेती के चार प्रमुख कार्य हैं। पहला बीजामृत। इसके तहत गोबर, गोमूत्र, गुड़ एवं चूने के घोल से बुवाई से पहले बीजोपचार किया जाता है ताकि बीज से संबंधित कोई बीमारी खेत की फसल में नहीं पहुंचे। दूसरा है जीवामृत। यह भूमि के उपचार के लिए होता है।
इसमें खेत की बाड़ के नीचे की मिट्टी, पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी, गोबर, गोमूत्र व चने का आटा खेत में मिलाया जाता है, ताकि सूक्ष्म तत्वों की पूर्ति हो सके। मृदा की उर्वरा शक्ति कमजोर नहीं हो। तीसरा है नमी। इसका मकसद यह रहता है कि सिंचाई पर राशि खर्च नहीं हो। प्राकृतिक नमी को बचाकर खेती की जाए। इसके लिए सूखे घास, पत्तों से फसल उगने के बाद जमीन पर आच्छादन किया जाता है। चैथा है वानस्पतिक काढ़ा। इसमें किसी प्रकार की बीमारी लगने पर नीम की पत्तियां, करंज, देशी आक, धतूरा एवं तूम्बे का घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है।
एटीसी झुंझुनूं के उपनिदेशक कालूराम जाट का कहना है कि केन्द्र सरकार की योजना के अनुसार आबूसर स्थित एटीसी पर जीरो बजट खेती पर प्रयोग शुरू किया गया है। इस केन्द्र के अधीन सीकर, झुंझुनू एवं नागौर जिलों सहित चूरू जिले का कुछ हिस्सा आता है। प्रयोग के लिए बीज सरकारी संस्था राज सीड्स ने उपलब्ध कराया है। फसल उत्पादन के बाद तुलनात्मक रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी जाएगी। जीरो बजट खेती का मकसद किसानों का खर्चा कम करना तथा उनकी आय दोगुनी करना है। यह जैविक खेती से अलग है।
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