स्वास्थ्य: सेहत को लेकर जागरूक हुए युवा
फास्ट फूड से तौबा करने लगे युवा
भटिंडा (अशोक वर्मा)। भटिंडा में चल रहे जिम शहर निवासियों के स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित होने लगे हैं। पश्चिमी खान-पान के कुप्रभावों के सामने आने के बाद जागरूक हुए लोग स्वास्थ्य जीवन को प्राथमिकता दे रहे हैं। माना जा रहा है कि वर्तमान दौर में जब लोगों के लिए व्यायाम (कसरत) के अवसर कम हो गए हैं तो जिम हर वर्ग के लोगों के लिए बेहतरीन प्लेटफार्म साबित हो रहा है।
मशीनी युग में कम हुए व्यायाम के अवसर
राष्ट्रीय स्तर के गोल्डस जिम के मैनेजर नवदीप सिंह संधू का कहना था कि पहले पुरुषों के लिए कृषि का कार्य करने के अतिरिक्त साईकिल चलाना स्वास्थ्य के लिए वरदान था। इसी तरह महिलाओं के लिए दूध बिलोना (मक्खन निकालना), हाथों से चक्की चलाना व अन्य कार्य हाथों से करना भी एक तरह का व्यायाम होता था, जिससे शरीर स्वास्थ्य रहता था, किन्तु आज के मशीनी युग में व्यायाम के अवसर कम हो गए हैं। इसके अतिरिक्त रहन-सहन के बदले ढंग व पश्चिमी खान-पान और फास्ट फूड के सेवन कारण भी रोजाना व्यायाम जरूरी हो गया है। ऐसे हालातों में स्वास्थ्य के पक्ष से जिम बढ़िया उपाय है।
व्यायाम ने बदला जीवन
गोल्डस जिम के साथ गत चार वर्षों से जुड़ी महिला मनजीत कौर (76) ने कहा कि उसके लिए तो चलना भी मुश्किल हो गया था। उपर की मंजिल में बने जिम में जाने के लिए लिफ्ट का सहारा लेना पड़ता था, किन्तु रोजाना व्यायाम करने के बाद उसके गुटने अब ठीक हो गए हैं। करीब 65 वर्षीय मधु सूदन गत चार वर्षों दौरान व्यायाम से अपने जीवन में काफी बदलाव ला चुके हैं। उन्होंने अपने खाने पीने की समय सारणी बना ली है और शराब व सिगरेट वगैरा छोड़ दी है।
महिलाओं के लिए फिजीकल फिटनेस जरूरी
भट्टी रोड पर जिम से रोजाना व्यायाम संबंधी रिफ्रैशर कोर्स कर चुकी महिला रशमी दत्ता ने कहा कि शादी के बाद जिस तरह की प्रस्थितियों से एक महिला को गुजरना पड़ता है, उसे देखते हुए महिलाओं के लिए फिजीकल फिटनैस बहुत जरूरी है। परिवारिक जिम्मेवारियों दौरान पैदा हुए तनाव को कम करने के लिए प्रत्येक वर्ग की महिलाओं में जिम ज्वाइन करने का रुझान दिनो दिन बढ़ रहा है, जो कि एक बढ़िया संकेत है।
वर्णनीय है कि पंजाब सरकार ने गत वर्षों दौरान गांवों, कस्बों व शहरों में धड़ा धड़ जिम का सामान वितरित किया था, जिसे एक अच्छी पहल कदमी कहना गल्त नहीं होगा, किन्तु काबिल कोच के बिना यह जिम ज्यादा बेहतर भूमिका अदा नहीं कर सके।
स्वास्थ्य प्रति जागरूक्ता अच्छा शगुन
रेड क्रास के फस्ट एड ट्रेनर नरेश पठानिया का कहना है कि पैदल चलने व वर्क कल्चर का रुझान समाप्त होने से पंजाबियों के स्वास्थ्य पर कमजोर हुआ है। लोग बेशक अपने स्वास्थ्य के लिए सुबह की सैर से अधिक जिम जाने को तरजीह दे रहे हैं, किन्तु मशीनों के सहारे किए गए व्यायाम का सुबह की ठंडी व स्वच्छ हवा के सामान असर नहीं है। बेशक जिम के सहारे ही सही, लेकिन स्वास्थ्य के प्रति लोगों का जागरूक होना अच्छा शगुन है।
फास्ट फूड से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव
सिविल अस्पताल भटिंडा के मैडीकल अधिकारी डॉ. परमिन्द्र बांसल का कहना था कि फास्ट फूड के लगातार इस्तेमाल से मोटापा व रक्त में चर्बी की मात्रा बढ़ जाती है। आज कल पीजा, बर्गर व नूड़लस बच्चों के स्टेटस सिंबल बन गए हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को चटपटे पकवानों की बजाए हरा स्लाद, दही, हरी सब्जियां, पनीर, टमाटर, फल व फाईबर युक्त भोजन लेकर स्वास्थ्य की संभाल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले पैसा खर्च करके बीमारियों को आमंत्रण देना और बाद में बीमारियां भगाने के लिए पैसा खर्च करना, कौन सी समझदारी है।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।