सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह संगरूर। गांव कनोयी की 21 वर्षीय युुवा लड़की अमनदीप कौर अपने परिवार के साथ मिलकर कृषि को नयी दिशा देने में जुटी हुई है। अमनदीप कौर ने कृषि में अपने हाथों से काम करने की ऐसी मिसाल तैयार की है, जिससे वह न सिर्फ अन्य लड़कियों के लिए मार्ग दर्शक बनकर उभरी है, बल्कि उसने पंजाब के उन हजारों युवाओं के लिए भी एक मिसाल पेश की है जो अपने खेतों में काम करने की बजाय विदेशों में जाकर मजदूरी करते हैं।
अमनदीप कौर अपने पिता स. हरमिलाप सिंह तूर के साथ 37 एकड़ जमीन में खेती करती है। उन्होंने बताया कि अमनदीप कौर अपनी फूड प्रोसेसिंग की ग्रेजुएशन के साथ-साथ अपने पिता के साथ पुत्र की तरह काम करके अपनी मातृभूमि और परिवार की सेवा का आनंद ले रही है। अमनदीप ने लगभग तीन साल पहले अपने पिता के साथ कृषि का काम करवाना शुरू कर दिया था। अब वह काफी सारा काम करना सीख चुकी है और खुद ट्रैक्टर चलाकर खेती का सारा काम कर लेती है। वह तवियां व हल के साथ खेतों की जुताई कर लेती है और आधुनिक कृषि मशीनरी, जिनमें हैपी सिडर और डीएसआर मशीन भी शामिल है, चला लेती है।
अमनदीप का कहना है कि अब जब भूमिगत पानी का स्तर नीचे जाने पर वातावरण प्रदूषण सहित कृषि को अन्य कई चुनौतियां पेश आ रही हैं तो कृषि में आधुनिक तकनीकें अपनाना समय की मुख्य जरूरत है, जिसके लिए वह अपने पिता की तरह कृषि विज्ञान केंद्र, खेड़ी, खेत सलाहकार सेवा केंद्र और कृषि और किसान भलाई विभाग, संगरूर के विशेषज्ञों के साथ जुड़ी हुई है। उसकी प्रेरणा से ही उसके परिवार ने धान की पराली और गेहूं के अवशेष को आग लगानी भी छोड़ दी है। उन्होंने पिछले सीजन में रीपर और स्प्रैडर चलाकर धान के अवशेष का निपटारा किया और बाद में हैपी सिडर के साथ गेहूं की बिजाई कर दी, जिससे उनको 20 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक की पैदावार प्राप्त हुई।
रिश्तेदारों को भी अच्छी कृषि के लिए उत्साहित कर रही है अमनदीप
अमनदीप की प्रेरणा से ही संगरूर जिले के गांव चट्ठा सेखवां में रह रहे उसके ननिहाल परिवार ने भी लगभग एकड़ क्षेत्रफल में हैपी सिडर के साथ गेहूं की बिजवाई की और 21 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक का उत्पादन प्राप्त किया। अमनदीप ने अपने पिता व मामा के साथ खुद हैपी सिडर चलाकर गेहूं की बिजाई की। इस साल उसका परिवार 35 एकड़ क्षेत्रफल में सुपर एसएमएस वाली कम्बायन के साथ धान की फसल कटवाने के बाद खड़े कचरे में हैपीसीडर के साथ गेहूं की बिजवाई कर रहा है, जिसमें से 15 एकड़ में उसने खुद हैपीसीडर चलाकर गेहूँ की बिजाई की है।
वह बताती है कि एक एकड़ की बिजाई करने के लिए तकरीबन डेढ़ घंटे का समय लगता है और लगभग 4-5 लीटर डीजल की खपत होती है। वह चट्ठा सेखवां में रह रहे उस के ननिहाल परिवार को भी हैपीसीडर के साथ गेहूं की बिजाई के लिए उत्साहित करने के लिए एक दिन के लिए वहां जाकर भी बिजाई करके आई है जो कि कुल 25 -26 एकड़ क्षेत्रफल में पराली को बिना आग लगाए गेहूं की हैपीसीडर से बिजाई कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से भी अमनदीप की इस पहल कदमी और प्रयासों की भरपूर प्रशंसा की जा रही है।
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