प्रदूषण व भ्रष्टाचार की गंदगी से दम तोड़ती यमुना

यमुना की दिन-ब-दिन बिगड़ती हालत एवं बढ़ते प्रदूषण पर पिछले चार दशकों से लगभग हर सरकार कोरी राजनीति कर रही है, प्रदूषणमुक्त यमुना का कोई ईमानदार प्रयास होता हुआ दिखाई नहीं दिया है। क्या दिल्ली में कोई ऐसी जगह है जहाँ आपको यमुना का साफ पवित्र निर्मल जल दिखाई दे? क्योंकि जहाँ भी आप जाएंगे, हर जगह यमुना का पानी काला एवं झागभरा ही नजर आएगा। यमुना की साफ-सफाई के नाम पर कई हजार करोड़ रुपए बहा दिए गए हैं, लेकिन लगता है सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गये। यही कारण है कि इस नदी में प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है बल्कि साल-दर-साल पानी और गंदा व यमुना की स्थिति खराब ही हुई है। राजधानी दिल्ली की जनता केवल वायु प्रदूषण के कहर से ही नहीं जूझ ही रही है, बल्कि अब यमुना के जहरीले पानी ने भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। लंबे समय से यह समस्या बनी रहने के बावजूद इसके समाधान का रास्ता निकालने को कोई तैयार नहीं है। बल्कि यमुना के नाम पर राजनीतिक दल जमकर राजनीति करते हैं, एक दूसरे दलों एवं पड़ोसी राज्य एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पला झाड़ लेते हैं।

यमुना के प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों- हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इसका जिम्मेदार ठहरा रही है, तो दूसरी ओर ये राज्य इसके लिये दिल्ली सरकार की गलत नीतियों एवं उदासीनता को दोषी मानते हैं। कुल मिलाकर यमुना का यह संकट राजनीति के दुश्चक्र में उलझ कर रह गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यमुना प्रदूषण मुक्त कैसे हो? यमुना की प्रदूषण-मुक्ति के लिये सरकार के साथ-साथ जन-जन को जागना होगा। सरकार की सख्ती एवं जागरूकता ज्यादा जरूरी है। यमुना प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय हरित पंचाट, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे निकाय औद्योगिक इकाइयों के लिए समय-समय पर सख्त नियम बनाते रहे हैं। पर लगता है कि इनके दिशानिदेर्शों पर अमल करवाने वाला तंत्र कमजोर साबित हो रहा है।

वरना क्या कारण है कि सख्ती के बाद भी औद्योगिक कचरा और जहरीले रसायन यमुना में बहाए जा रहे हैं? औद्योगिक इकाइयों को सख्त हिदायत है कि वे तरल कचरा नदियों में प्रवाहित न करें। पर जिस सरकार, उसके महकमे और कानून प्रवर्तन एजेंसी पर इसे सुनिश्चित करवाने की जिम्मेदारी है, लगता है वह काम ही नहीं कर रही। यह एक तरह का भ्रष्टाचार है, गैर-जिम्मेदारी है। अगर दिल्ली की यमुना को अप्रदूषित करना है तो एक-एक व्यक्ति को उसके लिए सजग होना होगा। प्रकृति ने जो हमें जीवनदायिनी नदियां दी है जो रोज नया जीवन देती हैं, उन्हें हम प्रदूषित नहीं करें।

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