भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके दो सहयोगी फ्लाइट इंजीनियर यूरी मालेनचेंको और अकी होशिदे चार माह तक कक्षा में रहने के बाद सकुशल धरती पर वापिस लौटे थे। यह अंतरिक्ष अभियान दुनिया के 15 देशों के सक्रिय सहयोग से सफल हो पाया है। सुनीता विलियम्स ने पृथ्वी पर वापसी से पहले केविन फोर्ड को अंतिरक्ष केंद्र की कमान सौंपी, जो अंतिरक्ष अभियान 34 के कमांडर थे। 15 जुलाई को कजाकिस्तान के बैकानूर कोस्मोड्राम से सुनीता ने अंतिरक्ष के लिए उड़ान भरी थी। गुजराती पिता और चेक मां की बेटी सुनीता इससे पहले भी अंतिरक्ष का सफल सफर कर चुकी हैं।
सुनीता ने 1987 में अमेरिकी नौसैन्य अकादमी से स्नातक किया था। वह नासा द्वारा 1998 में अंतिरक्ष यात्री के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने से पहले नौसेना अधिकारी थीं। कल्पना चावला के बाद अंतिरक्ष यात्री के रूप में नासा द्वारा चुनी जाने वाली वह दूसरी भारतीय मूल की महिला हैं। सुनीता ने नौ दिसंबर 2006 से 22 जून 2007 तक अंतिरक्ष अभियान 14 व 15 में अंतरिक्ष स्टेशन में फ्लाइट इंजीनियर के रूप में काम किया था। इस दौरान उन्होंने सबसे अधिक अंतरिक्ष भ्रमण करने वाली पहली महिला अंतिरक्ष यात्री का रिकार्ड बनाया था। हालांकि, बाद में अंतरिक्ष अभियान 16 में काम करने वाली पेगी व्हिट्सन ने उनका यह रिकार्ड तोड़ दिया था। सुनीता ने अपना यह रिकार्ड फिर अंतरिक्ष अभियान 33 में दोबारा बनाया।
उनके नाम 50 घंटे 40 मिनट के अंतिरक्ष भ्रमण का रिकार्ड है, जो उन्होंने सात बार में हासिल किया है। तीनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के साथ ही उनका 127 दिन का अंतरिक्ष प्रवास पूरा हुआ, इनमें से 125 दिन उन्होंने 15 जुलाई को कजाकिस्तान के बैकानूर कॉस्मोड्रोम से प्रक्षेपण के बाद स्टेशन पर बिताए। सुनीता का जन्म आज ही के दिन (19 सितम्बर, 1965) अमेरिका के ओहियो प्रांत में स्थित क्लीवलैंड में हुआ था। इतिहास के पन्नों पर अपना नाम अमर कर देने वाली सुनीता का एक अरमान फिर भी पूरा न हो सका, मां बनने का। दरअसल नासा के नियमों के अनुसार वे कभी मां नहीं बन सकतीं।
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