अपने लिए जिए तो क्या जिए, दूसरों के लिए जीना ही जिंदगी है…
उकलाना (कुलदीप स्वतंत्र)। रक्त, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। रक्त की कमी से रोगी अस्पताल में जिंदगी की जंग हार जाता है। कोरोना काल में रक्त की बहुत कमी हुई और समय पर रक्त ना मिलने से बहुत से लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ भी धोना पड़ा। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाए गए रक्तदान अभियान को लेकर रक्तदान करने में काफी जागरूकता आई है।
जहां कहीं भी रक्त की जरुरत पड़ी रक्त के अभाव में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने बिना रक्त कोई मरने नहीं दिया। रक्तदान के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा ने इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाए। डेरा सच्चा सौदा को रक्तदान के क्षेत्र में ट्रू ब्लड पंप के नाम से जाना जाता है। ये वर्ल्ड रिकॉर्ड ऐसा मील का पत्थर साबित हुआ जो आज इन्हें तोड़ना किसी के बस की बात नहीं। आज आपको उन रक्तदानियों से रू-ब-रू करवाते हैं जो रक्तदान करने से घबराते नहीं बल्कि पुण्य कार्य समझते हैं।
मैंने 23 बार रक्तदान किया है। ये सब पूज्य गुरु जी की प्रेरणा से हुआ है। रक्तदान करके यदि किसी की जिंदगी बच जाती है तो इससे फक्र की और क्या बात हो सकती है। जहां कहीं भी रक्त की जरुरत पड़ती है, रक्तदान अवश्य करते हैं और जिंदगी भर करते रहेंगे। दूसरों को भी इस नेक कार्य में आहुति अवश्य डालनी चाहिए।
-बलबीर इन्सां, 45 मैंबर हिमाचल।
मैं 21वीं बार रक्तदान कर चुका हूँ। शुरू-शरू में उनको रक्तदान करने में घबराहट जरूर हुई थी, लेकिन उसके बाद पूज्य गुरु जी की रहमत से उन्हें कभी कोई घबराहट महसूस नहीं है और लगातार रक्तदान करता आ रहा हूँ। यही कहना चाहता हूँ। कहीं भी हस्पताल में यदि रक्त की जरुरत पड़ती है तो रक्तदान अवश्य करें। रक्तदान करने से अगर किसी की जान बचती है तो इससे और पुण्य कार्य क्या हो सकता है।
-डॉ. राणा इन्सां 15 मैंबर।
मुझे 15 बार रक्तदान का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे रक्तदान करने की प्रेरणा पूज्य गुरु जी से मिली और रक्तदान करके बहुत गर्व महसूस होता है, जब भी सूचना मिलेगी रक्तदान करते रहेंगे।
-संजय इन्सां, कैंटीन सेवादार।
16 बार रक्तदान कर चुका हूँ। पूज्य गुरु जी की प्रेरणा से ही मुझे रक्तदान शुरू किया है वरना आज इस कलियुगी जमाने में रक्तदान करना तो दूर की बात कोई अपना सिर का बाल तक देने को तैयार नहीं होता। समय-समय पर वे रक्तदान करते रहते हैं। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती बल्कि पहले से और स्फूर्ति बढ़ती है, जिससे शरीर में ताजगी बनी रहती है।
-जोनी इन्सां पाबड़ा, उकलाना।
अब तक 12 बार रक्तदान किया है। यह हमारी किस्मत है कि हम पूज्य गुरु जी की रहमत से रक्तदान करते हैं और हमारा खून किसी की जान बचाने के काम आता है। मैं इस बात को बिलकुल भी नहीं मानता की रक्तदान करने से शरीर में किसी प्रकार की कोई कमी आती है। रक्तदान करने से पहले से और स्वच्छ खून का शरीर में निर्माण होता है। रक्तदान से बेहतर और समाज सेवा नहीं हो सकती। प्रत्येक व्यक्ति को साल में दो या तीन बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए।
मुकेश इन्सां, कल्लर भैणी।
पहले कभी रक्तदान करने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन पूज्य गुरु जी की रहमत से ऐसा संभव हो पाया है। पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा से मैं 6 बार रक्तदान कर चुका हूँ। रक्तदान करने से मुझे किसी प्रकार की कोई घबराहट नहीं होती। बल्कि रक्तदान करके मुझे बहुत खुशी होती है और गर्व होता है की मेरा रक्त किसी के तो काम आया।
दलबीर इन्सां, दौलतपुर, उकलाना।
रक्तदान एक सामाजिक कार्य है और बीमारियों के बढ़ने से रक्त की कमी होती जा रही है, लेकिन हम पूज्य गुरु जी की रहमत से रक्त की कमी नहीं होने देंगे और जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान करते रहेंगे।
-अमित इन्सां कनोह, उकलाना।
मुझे 17 बार रक्तदान का अवसर मिल चुका है। रक्तदान एक सामाजिक कार्य है। मुझे रक्तदान करके बहुत खुश होती है। मैं तो यही कहूंगा कि रक्तदान का अवसर नहीं चूकना चाहिए। रक्तदान करने वाले को बहुत सी दुआएं मिलती, जो उसकी जिंदगी में खुशी का कारण बनती है।
-नरेश कपूर बिठमड़ा, हिसार।
मैं तीन बार रक्तदान कर चुका हूँ और रक्तदान करके उन्हें बहुत खुशी महसूस होती है। समाज भलाई के इस कार्य में प्रत्येक व्यक्ति को आहुति अवश्य डालनी चाहिए।
-मनोज कपूर बिठमड़ा, हिसार।
मैंने 11 बार रक्तदान किया है और रक्तदान करके मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है। रक्तदान करके दूसरों की जिंदगी बचाने से बेहतर कार्य कोई और नहीं हो सकता।
-संजय गुप्ता संचालक आदिश्वर जैन हाई स्कूल, उकलाना।
मैं 43 बार रक्तदान कर चुका हूँ। रक्तदान करके मुझे बहुत खुशी महसूस हुई और आत्म संतुष्टि भी मिली। हर व्यक्ति को साल में एक या दो बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए। रक्तदान वास्तव में ही नेक और पुण्य कार्य है।
-सरपंच जोगेंद्र उर्फ बबलू खटोड़।
मुझे 10 बार रक्तदान का सौभाग्य मिला। रक्तदान करके आत्म संतुष्टि के साथ-साथ एक प्रेरणा भी मिली कि हमें दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए यदि अपने रक्त का दान करना पड़े तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए और हर व्यक्ति को साल में एक या दो बार अवश्य रक्तदान करना चाहिए।
-संदीप भाटीवाल, प्रधान नेहरू युवा संगठन, मुगलपुरा।
मैं जब रक्तदान करता हूँ तो मैं बहुत गर्व महसूस करता हूँ। क्योंकि वो कहते हैं ना अपने लिए जिए तो क्या जिए किसी दूसरे के लिए जीना ही जिंदगी है। जोगिन्दर ने कहा की इस नेक कार्य में हमें कभी पीछे कदम नहीं हटाना चाहिए, बल्कि दुगुने उत्साह से रक्तदान कर दूसरों को भी रक्तदान की प्रेरणा देनी चाहिए।
-जोगिन्दर सिंह सूरेवाला, उकलाना।
अभी तक मैं 30 बार रक्तदान कर चुका हूँ। रक्तदान करने से शरीर में रक्त की कमीं नहीं होती बल्कि पहले से स्वच्छ रक्त शरीर में बनता है। मैं तो यही कहूंगा कि साल में व्यक्ति को दो या तीन बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए।
-गुलशन इन्सां, नंगथला, उकलाना।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।