वाशिंगटन। विश्व बैंक ने कहा है कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत भारत को झेलम और चेनाब नदियों की सहायक नदियों पर कुछ शर्तों के साथ पनबिजली विद्युत संयंत्रों के निर्माण की अनुमति दे दी गई है। आईडब्ल्यूटी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की बातचीत खत्म होने पर जारी एक ‘फैक्ट शीट’ में कहा गया है कि पाकिस्तान किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रातले (850 मेगावॉट) पनबिजली विद्युत संयंत्रों के निर्माण का विरोध कर रहा है।
इन संयंत्रों का निर्माण भारत कर रहा है। गौरतलब है कि दोनों संयंत्रों के तकनीकी डिजाइन संधि के प्रतिकूल है या नहीं, इस बात को लेकर दोनों देश असहमत हैं। इस संदर्भ में आईडब्ल्यूटी ने इन दोनों नदियों और सिंधु को पश्चिमी नदियां घोषित किया है, जिसका पाकिस्तान असीमित इस्तेमाल कर सकता है। फैक्ट शीट में विश्व बैंक ने कहा है कि अन्य इस्तेमालों के साथ-साथ भारत संधि के अनुलग्नक में शामिल शर्तों को ध्यान में रखते हुए इन नदियों पर पनबिजली विद्युत संयंत्र का निर्माण कर सकता है। बैंक ने कहा कि आईडब्ल्यूटी के तकनीकी मुद्दों को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव-स्तरीय बातचीत सद्भावना और सहयोग के माहौल में हुई।
सद्भावना माहौल में हुई भारत-पाकिस्तान में वार्ता
विश्व बैंक के कहा है कि सिंधु नदी जल संधि को लेकर भारत एवं पाकिस्तान के बीच सद्भावना एवं सहयोग की भावना के साथ वार्ता हुई और दोनों पक्षों ने इस मामले पर वार्ता जारी रखने के लिए यहां सितंबर में फिर से बैठक करने पर सहमति व्यक्त की है। विश्व बैंक ने सिंधु नदी जल संधि (आईडब्ल्यूटी) पर चर्चा के लिए हुई बैठक के बाद जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा कि पक्षों ने वाशिंगटन, डीसी में सितंबर में फिर से बैठक करने और वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई है। इससे पहले विश्व बैंक ने 25 जुलाई को पत्र लिखकर अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना को आश्वासन दिया था कि वह इस मामले में अपनी तटस्थता और निष्पक्षता को बरकरार रखेगा, ताकि सुलह का रास्ता खोजा जा सके।
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