यमुना सोम व पथराला नदी पर अभी तक नहीं हुआ काम भी शुरू
छछरौली (सच कहूँ न्यूज)। मानसून सीजन 30 जून में मात्र एक महीना बचा है लेकिन सिंचाई विभाग की तरफ से इस बार सोम व पथराला नदी पर काम शुरू तक नहीं हो पाए । मानसून सीजन 30 जून तक सभी कार्य पूरे कराना जरूरी है। हालांकि सिचाई विभाग जल्दी काम शुरू करने की बात भी कह रहा हैं, लेकिन तय समय में इन कार्यों को पूरा करवाना विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं हैं। हर वर्ष की भांति इस बार भी यमुना व नदियों पर लगभग 12 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से दो दर्जन के करीब काम होने हैं। बाढ़ से बचाव के लिए स्टोन स्टड, स्टोन पीचिंग व स्टोन स्टेनिग के कार्यों को शुरू करने में हर वर्ष देरी की जाती है।
बाढ़ के साए में दर्जनों गांव…
सिंचाई विभाग की तरफ से जिन गांवों में बाढ़ राहत कार्य करवाए जाते हैं। उनमें माली माजरा, नवाजपुर, लाक्कड़, लेदी, चिंतपुर बेलगढ़, टापू कमालपुर, होदरी, लापरा, बीबीपुर, मांडेवाला, खानूवाला, आंबवाली, टिब्बड़ियों, काटरवाली, रामपुर गेंडा, रणजीत पुर, भंगेड़ा, मलिकपुर, रणजीतपुर, मुजाफत, नगली, प्रलादपुर, पौबारी, संधाला, संधाली, लालछप्पर, माडल टाउन करेहड़ा, उन्हेड़ी, संधाला, संधाली, गुमथला समेत दर्जनों गांवों में हर वर्ष बाढ़ का खतरा रहता है।
यमुना सहित सोम और पथराला के करीब 152 किलोमीटर एरिया क्षेत्र में लगभग 20 जगह काम होने हैं। जिसमें हथनीकुंड बैराज से गुमथला तक यमुनानदी की लंबाई करीब 70 किलोमीटर है जबकि सोमनदी 42 किलोमीटर लंबी व पथराला की लंबाई 40 किलोमीटर बताई गई है।
बडी लापरवाही, हरियाणा की ओर कटाव
सिंचाई विभाग के कुछ कर्मचारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते स्टोन स्टड, स्टोन पीचिग व स्टोन स्टेनिग के कार्यो में जमकर कोताही बरती जाती है। हर वर्ष 12 से 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बाद भी नदियों में बाढ़ का खतरा बरकरार रहता है। लोगों के मुताबिक बाढ़ से बचाव के कार्यों के नाम पर खानापूर्ति होती है। ये काम जल्दबाजी व मिलीभगत के चलते मजबूती के साथ नहीं किए जाते।
स्थानीय लोगों के अनुसार कई जगहों से यमुना नदी का रुख हरियाणा की ओर बढ़ रहा है। पानी के तेज बहाव से हुए कटाव की वजह से हर साल 10 मीटर से लेकर 30 मीटर तक यमुना आबादी की तरफ आ रही है। जिसकी वजह से यमुना नदी बारिश के सीजन में क्षेत्र के लिए बड़ी तबाही का कारण बनती है। हथनीकुंड बैराज से लेकर गुमथला राव तक दर्जनों गांव यमुना नदी के किनारे पर बसे हुए हैं। कई गांव तो यमुना से मात्र कुछ ही दूरी पर बसे हुए हैं।
ऐसे ही डाल दिए जाते हैं पत्थरों से भरे ट्रक
बाढ़ से बचाव के कार्य में लगे सिंचाई विभाग के कर्मचारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से काम को जल्दी पूरा करने के चक्कर में पत्थरों से भरे ट्रैक्टर ट्राली और ट्रक ऐसे ही तटबंधों पर झाड़ दिए जाते हैं। जिसमें छोटे, मोटे, बड़े सभी पत्थर समा दिए जाते हैं। जिनकी जांच करने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में एक तरफ जहां आम जनता के साथ खिलवाड़ होता है वहीं सरकार को भी करोड़ों का चूना लगता है। जल्दबाजी में पत्थरों की पिचिंग तक नहीं हो पाती।
एक जुलाई तक काम कर लिए जाएंगे पूरे … एसई
इस बारे में सिंचाई विभाग यमुनानगर के एसई आर एस मित्तल का कहना है कि इस बार टेंडर थोड़ा लेट हुए है। फिर भी 1 जुलाई तक सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस बार लगभग 12 करोड रुपए बाढ़ बचाव कार्यों पर खर्च किए जाएंगे। उनका कहना है कि फिर भी कर्मचारियों को अलर्ट किया जाएगा ताकि काम अच्छे ढंग से व जल्दी पूरा किया जा सके।
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