सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का नाम सुखों की खान है। मालिक का नाम जपना हर इन्सान के लिए जरूरी है, क्योंकि इन्सान सुमिरन नहीं करता तो वह आत्मिक रूप से कमजोर हो जाता है। जरा-जरा सी बात उसके दिलो-दिमाग में असर करती है। नाम के बिना गम, चिंता, टेंशन, परेशानियां जीव को सताती रहती है। अगर जीव सुमिरन करे तो तमाम गम, चिंता, परेशानियों से आजादी हासिल कर ले। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है।
जब तक शरीर चलता, हिलता-डुलता है तो जिंदगी है और जैसे ही आत्मा इस शरीर में से चली जाती है तो सब कुछ खत्म हो जाता है। इन्सान के लिए जब तक आत्मा है तो सारा संसार बसता है। जो इन्सान खुद चला जाता है, उसके लिए सारा संसार है या नहीं है, एक बराबर है लेकिन वो इन्सान समय आने से पहले संतों के वचन सुने, अमल करे तो मालिक की दया-मेहर, रहमत के काबिल बनता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वचनों पर अमल करना अति जरूरी है। इस कलियुग में वचनों की ही भक्ति है। इसलिए मनमते नहीं चलना चाहिए और पीर-फकीरों के वचनों पर अमल करना चाहिए। संतों के वचन सबके लिए सुखदायी होते हैं। जो जीव वचन सुनकर अमल करते हैं, वही मालिक की दया-मेहर, रहमत को हासिल करते हैं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।