महिला क्रिकेट का गहराता संकट

Women cricket deep crisis

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वरिष्ठ खिलाड़ी मिताली राज को पिछले दिनों टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल से बाहर रखे जाने के बाद मचे बवाल के उस वक्त शांत होने की उम्मीदें जगी थी, जब टीम के कोच रमेश पोवार का करार 30 नवम्बर को खत्म होते ही बीसीसीआई द्वारा उनकी इस पद से छुट्टी कर दी गई थी किन्तु अब जिस प्रकार महिला टीम की मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत कौर तथा उपकप्तान स्मृति मंधाना सहित प्रशासकों की समिति (सीओए) की सदस्य और भारतीय महिला टीम की पूर्व खिलाड़ी डायना एडुल्जी भी खुलकर कोच रमेश पोवार के समर्थन में खड़ी हो गई हैं और इतनी फजीहत होने के बावजूद पोवार ने एक बार फिर जिस तरह कोच पद के लिए फिर से आवेदन किया है, उससे महिला क्रिकेट टीम का विवाद और गहरा गया है और महिला टीम के खिलाड़ियों की आपसी लड़ाई खुलकर सामने आ गई है।

मिताली विवाद के बाद टीम से हटाए गए पोवार को ही कोच बनाए रखने के लिए पिछले दिनों हरमनप्रीत तथा मंधाना ने बीसीसीआई को ईमेल भेजी थी लेकिन बीसीसीआई ने कोच पद के लिए विज्ञापन जारी करते हुए एक समिति बना दी। डायना इस समिति के गठन के खिलाफ थी और पोवार को ही कोच बनाए रखने के लिए दबाव बना रही थी किन्तु सीओए प्रमुख विनोद राय द्वारा उनकी अपील खारिज करने के बाद जिस प्रकार डायना द्वारा उनके खिलाफ भी तीखे तेवर अपनाए गए, उससे महिला क्रिकेट के भीतर पनप रही राजनीति का भी पदार्फाश हो गया है

रमेश पोवार ने कोच पद के लिए पुन: आवेदन किया है और इसका कारण बताया है कि वो उनका समर्थन करने वाली वरिष्ठ खिलाड़ियों हरमनप्रीत तथा मंधाना को ‘नीचा गिराये’जाते नहीं देख सकते थे। उनकी इस टिप्पणी से एक बात और साफ हो गई है कि महिला टीम के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। ऐसे में यह गंभीर सवाल भी खड़ा हो गया है कि हरमनप्रीत टीम की कप्तान हैं जबकि स्मृति उप कप्तान, फिर भला उन्हें कौन नीचे गिरा रहा था? महिला क्रिकेट के भीतर गहराये इस विवाद से टीम के अंदर व्याप्त गुटबाजी के स्पष्ट संकेत मिले हैं।

निश्चित रूप से महिला टीम के इस विवाद से टीम की साख बुरी तरह से प्रभावित हुई है। डायना एडुल्जी ने जिस प्रकार सीओए प्रमुख तथा बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी पर निशाना साधा है, उससे भी विवाद और गहरा गया है। डायना ने सीधे-सीधे बीसीसीआई के सीईओ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पिछले साल जुलाई माह में नियमों का उल्लंघन कर अनिल कुंबले के इस्तीफे के बाद रवि शास्त्री को कोच नियुक्त किया था। डायना का कहना है कि उन्होंने उस वक्त भी इसके लिए विरोध जताया था क्योंकि रवि शास्त्री के लिए बोर्ड ने अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया था और अब वह महिला टीम के नए कोच के लिए समिति बनाए जाने के बोर्ड के फैसले का पुरजोर विरोध कर रही हैं।

यह पूरा प्रकरण इतना विवादित हो गया है कि इसके चलते महिला क्रिकेट की साख पर लगे ग्रहण को मिटा पाना आसान नहीं होगा। इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल से बाहर रखे जाने पर जब मिताली ने बीसीसीआई को लिखे ई-मेल में कोच पोवार तथा डायना एडुल्जी पर बरसते हुए उन प्रकार पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर उनके कैरियर को बर्बाद करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने 20 साल के कैरियर में उन्होंने इतना अपमानित कभी महसूस नहीं किया तो खेल जगत में हड़कम्प मच गया। मिताली ने ट्वीट भी किया कि उनकी देशभक्ति पर संदेह जताकर और खेल के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाकर उनकी 20 वर्षों की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया गया।

हालांकि कोच पोवार ने मिताली से अपने तनावपूर्ण रिश्तों को स्वीकार करते हुए मिताली पर कोचों पर दबाव डालने, उन्हें ब्लैकमेल करने, पारी की शुरूआत करने का अवसर नहीं दिए जाने पर दौरा बीच में छोड़ने की धमकी देने, टीम के बजाय अपने निजी रिकॉर्ड के लिए खेलने, टीम प्लान को नहीं मानने के आरोप मढ़े थे। उनका कहना था कि खराब स्ट्राइक रेट के कारण मिताली को इंग्लैंड के खिलाफ मैच से बाहर किया गया क्योंकि टीम प्रबंधन पिछले मैच में जीत दर्ज करने वाली टीम को ही कायम रखना चाहता था लेकिन पोवार इस बात का कोई जवाब नहीं दे सके कि आयरलैंड और पाकिस्तान के खिलाफ मैचों में मिताली का स्ट्राइक रेट आड़े क्यों नहीं आया?

उन दोनों मैचों में मिताली ने अर्धशतक जड़े थे और उन्हें प्लेयर आॅफ द मैच चुना गया था। मिताली के इस आरोप का भी किसी के पास कोई जवाब नहीं था कि अंतिम एकादश की घोषणा प्राय: एक दिन पहले ही की जाती है जबकि मिताली को टॉस से ठीक पहले बताया गया कि वो टीम का हिस्सा नहीं है। पोवार के आरोप हैरान करने वाले इसलिए भी लगे क्योंकि उनसे पहले किसी ने भी मिताली पर इस तरह के आरोप नहीं लगाए। मिताली जैसी सीनियर खिलाड़ी को दो बार प्लेयर आॅफ द मैच बनने, विश्व कप में खेले तीन मैचों में 103 रन के स्ट्राइक रेट तथा 53.5 की औसत से दो अर्धशतक के साथ 127 रन बनाने और पूरी तरह फिट होने के बाद भी अचानक सेमीफाइनल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है और टीम बुरी तरह से मैच हार जाती है तो कोच सहित चयनकतार्ओं पर भी सवाल तो उठने ही थे।

मिताली हों या हरमनप्रीत, दोनों ही महिला टीम की दिग्गज खिलाड़ी हैं और टीम की जान हैं, इसलिए अगर ऐसी प्रतिभाशाली वरिष्ठ खिलाड़ियों में किसी को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाता है तो यह टीम के सुखद भविष्य के लिए उचित नहीं। बेहतर होता कि कोच एक वरिष्ठ खिलाड़ी को बेवजह टीम से बाहर रखने के बजाय टीम की वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच पनपते मतभेदों तथा गुटबाजी को दूर करने की कोशिश करते ताकि भारतीय महिला क्रिकेट पूरी दुनिया में अपना परचम लहराता रहता। इस प्रकार के विवादों से न टीम का कोई भला हो सकता है और न ही विवादों में घिरी ऐसी टीम के प्रति खेल प्रेमियों का जुनून बरकरार रह सकता है। इसलिए जरूरत है कि सीओए तथा बीसीसीआई अब ऐसे सख्त कदम उठाएं, जिससे भारतीय महिला क्रिकेट में गहराये इस संकट का तत्काल कोई समाधान संभव हो और भविष्य में इस प्रकार के विवाद न पनपने पाएं।

योगेश कुमार गोयल

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