कोटा। राजस्थान में कोटा संभाग में मानसून की बेरुखी के चलते ज्यादातर क्षेत्रों में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं। वर्ष की कमी से अब संभाग के कोटा, बूंदी और बारां जिले के सिंचित क्षेत्र में चंबल नदी की दोनों प्रमुख नहरों से सिंचाई के लिए पानी छोड़ने की मांग जोर पकड़ रही है। मध्य प्रदेश को पानी छोड़ने पर आपत्ति नहीं है क्योंकि उन्हें ग्वालियर संभाग के क्षेत्र में भी पानी की आवश्यकता है। आधे से भी अधिक सावन माह बीत जाने के बावजूद कोटा संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी बारां और झालावाड़ करीब अनावृष्टि के शिकार हैं जिसके कारण खरीफ की इस कृषि क्षेत्र में किसानों को अपनी बोई फसलों में व्यापक नुकसान होने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
खासतौर से कोटा संभाग के कोटा, बूंदी और बारां जिले के कुछ हिस्सों के किसानों में इस बात को लेकर व्यापक असंतोष है कि गांधी सागर बांध में पर्याप्त पानी की उपलब्धता के बावजूद चंबल नदी की दाईं और बाईं मुख्य नहर से सिंचाई के लिए किसानों को पानी नहीं दिया जा रहा है, जबकि उनकी फसलें सिंचाई के अभाव में संकट में हैं।
इस बारे में किसानों की मांग को लेकर लगातार संघर्ष करती रही हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने बताया कि कोटा संभाग की नौ लाख हेक्टेयर से भी अधिक कृषि भूमि में इस साल खरीफ के कृषि सत्र में ज्वार, बाजरा, मक्का, धान, उड़द, मूंगफली, तिल्ली आदि की बुवाई की गई है और इसका बड़ा हिस्सा चंबल सिंचित क्षेत्र में आने के बावजूद किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। इससे फसलों के तबाह होने की गहरी आशंका है जिसके चलते किसानों में गहरा आक्रोश है। किसान यूनियन ने नहरों से पानी छोड़ने की मांग को लेकर इसी सप्ताह संभागीय कार्यालय के बाहर धरना भी दिया था।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।