सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का नाम सुखों की खान है, जितना भी जीव नाम का जाप करेगा, उससेकई गुणा बढ़कर खुशियां मालिक आपकी झोली में भरता जाएगा। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि ओंकार, जिसने सारी सृष्टि व ब्रह्मा, विष्णु, महेश को बनाया, उस सुप्रीम पावर को बुलाने के लिए एक मूलमंत्र है। क्योंकि इस संसार में 365 करोड़ देवी-देवता हैं और सभी भगवान हैं। उनका भी अलग से एक मूलमंत्र है, इसलिए उनको भगवान, भगवान कहने से तो वह नहीं आएंगे। इस लिए जिसने सभी देवी-देवताओं को बनाया है, उस ओंकार, सुप्रीम पॉवर का जो नाम है, उसे गुरुमंत्र, कलमां, नाम, मैथड ऑफ़ मेडिटेशन कह लें एक ही बात है। आप उस मालिक को जब उसके नाम से बुलाते हैं, तो उसकी दया-मेहर बरसती है और आप अंदर-बाहर से खुशियों से मालामाल हो जाते हैं।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि यह बहुत जरूरी है कि आप उस मालिक के नाम का जाप करें, और सुख व शांतिमयी तरीके से उस मालिक के नाम का सुमिरन करते रहिये। दु:ख आने पर तो हर कोई उस मालिक को याद करता है, लेकिन सुख-शांति में कोई उसे याद नहीं करता। अगर सुख-शांति में ही उस मालिक को याद कर ले तो जीव को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ही न करना पड़े। इसलिए अगर आप स्वस्थ हैं तो उस मालिक का नाम लेते रहना चाहिए क्योंकि उस मालिक को याद करने से जीवों के जन्मों-जन्मों के पाप-कर्म कट जाया करते हैं और मालिक का नाम लेने से ही जीव के अंदर एक अलग तरह की ताकत आती है, आत्मविश्वास मिलता है व विल पावर मिलती है, इसलिए उस मालिक को हमेशा याद करते रहना चाहिए। राम नाम का सुमिरन एक ऐसी दवा व रसायन है जिसको लेने से इन्सान के सामने आने वाले पहाड़ जैसे कर्म कंकर में बदल जाया करते हैं।
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