क्या भारत के खिलाफ खड़ा हो जाएगा रूस?

अमेरिकी नेतृत्व में ‘क्वाड’ के बाद चीन-रूस बनाएंगे ‘सुरक्षा मंच’

गुइलिन। अमेरिका, भारत, जापान और आॅस्ट्रेलिया के अनौपचारिक राजनीतिक वार्ता समूह क्वाड के गठन से रूस और चीन तेवर तीखे हो गए हैं। दोनों देशों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए ‘क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद मंच’ के गठन का प्रस्ताव रखा है। जानकारों के अनुसार दक्षिणी चीन के शहर गुइलिन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोफ के बीच एक अहम् बैठक हुई। गत 19 मार्च को हुई इस बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने अमेरिका द्वारा क्षेत्रीय टकराव की मंशा से छोटे-छोटे समूह बनाने को लेकर निशाना साधा। हालांकि एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में दोनों ने कहा कि क्षेत्र में देशों की सुरक्षा चिंताओं के समाधान के लिए ‘क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद मंच’ की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा गया।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि अमेरिका को दूसरे देशों के घरेलू मामलों में दखल देना और क्षेत्रीय टकराव बढ़ाने का प्रयासों को बंद करना करना चाहिए। दरअसल बैठक में अमेरिका दोनों देशों के निशाने पर रहा और जिन छोटे-छोटे समूहों को लेकर चेतावनी दी गई है, वो इशारा साफ तौर पर क्वाड की तरफ है। अब सवाल उठता है कि क्या भारत का सबसे पुरानी और विश्वनीय सहयोगी रूस उसका साथ छोड़ने जा रहा है और उसके धुर विरोधी चीन से घनिष्ठता बढ़ाने जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो निश्चित ही ये हमारे देश के लिए एक चिंताजनक बात है।

क्या है क्वाड

साल 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने द क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्यूसिड) जिसे क्वाड के नाम से भी जाना जाता है, के गठन का प्रस्ताव रखा था। यह अमेरिका, भारत, जापान और आॅस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक राजनीतिक वार्ता समूह है। क्वाड की स्थापना की मुख्य वजह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना बताया जा रहा है।

चीन विरोधियों ने किया था गठन

दरअसल चीन की बढ़ती शक्ति को अमेरिका एक चुनौती के तौर पर देख रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध से लेकर अंदरूनी मामलों में बयानबाजी अनेक बार सामने आ चुकी है। वहीं, आॅस्ट्रेलिया और जापान का भी दक्षिण चीन सागर में चीन से टकराव चल रहा है। भारत का चीन से सीमा विवाद बरसों पुराना है, जो फिलहाल चरम पर है। क्वाड के जरिए ये चारों देश एक साथ आ गए।

क्यों नाराज हैं चीन और रूस

चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई तो क्वाड को ‘चीन विरोधी फ्रंटलाइन’ या ‘मिनी-नाटो’ तक कह चुके हैं। जानकारों का मानना है कि चीन में चिंता है कि क्वाड समूह भविष्य में चीन विरोधी आकार लेकर उसके लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। वहीं, रूस भी क्वाड के गठन से अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा जाहिर कर चुका है।

ये बढ़ रहा खतरा

अमेरिका के नेतृत्व में ‘क्वाड’ और चीन-रूस के ‘क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद मंच’ भविष्य में बढ़ते बड़े खतरे की ओर संकेत कर रहे हैं, क्योंकि इन हालात में ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान या यूरेशियाई देश चीन और रूस का दामन थाम सकते हैं। उन्हें अमेरिका के धुर विरोधी उत्तर कोरिया का साथ भी मिल सकता है। ऐसे में शीत युद्ध जैसा खतरा बढ़ जाएगा।

 

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