क्रिकेट के ‘दूसरे भगवान’ बनेंगे कोहली?

Will Kohli become the 'other god' of cricket?

भारतीय क्रिकेट जगत में ‘भगवान’ माने जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर जब अपने कैरियर में पूरे फॉर्म में थे, तब अक्सर सवाल उठता था कि सचिन जिस प्रकार नए-नए कीर्तिमान बनाते हुए पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर रहे हैं, उनके बाद क्या भारतीय क्रिकेट में कोई अन्य खिलाड़ी उनकी जगह ले पाएगा? दरअसल सचिन ने अपने दो दशक लंबे टेस्ट और वनडे कैरियर में इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया था कि देश में खेलप्रेमियों ने उन्हें ह्यक्रिकेट के भगवानह्ण का दर्जा दे दिया था। लंबे अरसे बाद ही सही, अब भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने अपने रिकॉर्डों के जरिये खुद इस सवाल का जवाब दे दिया है। 24 अक्तूबर को वेस्टइंडीज के खिलाफ एकदिवसीय सीरिज के दूसरे मैच में 48वां रन बटोरते हुए पारी में 129 गेंदों पर 13 चौके और चार छक्कों की मदद से 157 रनों की शानदार पारी खेलकर कुल 213 मैचों की 205 पारियों में 10076 रन बटोरकर विराट न केवल सचिन सहित अन्य भारतीय खिलाड़ियों के सबसे तेज दस हजार रन बनाने के रिकॉर्ड को ध्वस्त करने में सफल हुए बल्कि वे शतक, अर्द्धशतक, रन और औसत के मामले में भी सचिन से बेहतर साबित हुए हैं। सचिन 463 मैचों में 49 शतकों के साथ 18426 रन, सौरव गांगुली 311 मैचों में 22 शतक के साथ 11363 रन, राहुल द्रविड़ 344 मैचों में 12 शतकों के साथ 10889 और धोनी 329 मैचों में 10 शतकों के साथ 10143 रन बना चुके हैं किन्तु औसत की दृष्टि से सबसे तेज गति से सबसे कम मैचों में सर्वाधिक शतक और सर्वाधिक रन बनाने के मामले में विराट इन सबसे बहुत आगे निकल गए हैं।

हालांकि 27 अगस्त को वेस्टइंडीज के खिलाफ विराट की कप्तानी में खेले गए तीसरे वनडे मैच में भारत भले ही पराजित हो गया किन्तु भारत ने पांच मैचों की यह सीरिज जीतकर दिखा दिया कि टीम इंडिया में कितना दम है और इस सीरिज में लगातार तीन शतक बनाकर विराट वनडे में यह कारनामा करने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए। उनके अलावा विश्वभर में कुल दस बल्लेबाज अब तक यह कारनामा कर सके हैं, जिनमें लगातार 4 शतक बनाने का रिकॉर्ड श्रीलंका के कुमार संगकारा के नाम है। अपने कैरियर के 38वें शतक के दौरान विराट ने 119 गेंदों पर 10 चौके और एक छक्का लगाकर 107 रन बनाए और इस तरह 38 शतक के साथ कुल 214 मैचों में 10183 रन बटोरकर रन बनाने की अपनी तूफानी रफ्तार के जरिये वह सबसे तेज दस हजार रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज और एक वर्ष में सबसे तेज गति से एक हजार रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि विराट ने अपने कैरियर का पहला रन धोनी की कप्तानी में बनाया और अपना दस हजारवां रन भी उन्होंने धोनी की मौजूदगी में ही बनाया। याद करें, जब विराट कोहली के कैरियर का आगाज हुआ था, उस समय धोनी और वीरेन्द्र सहवाग की क्रिकेट में तूती बोलती थी लेकिन विराट ने कुछ ही समय में अपने प्रदर्शन से हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया किन्तु तब किसने सोचा था कि एक दिन यही विराट अपने नाम के ही अनुरूप क्रिकेट में विराट कीर्तिमान स्थापित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का इतना बड़ा सितारा बन जाएगा और रिकॉर्डों के मामले में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को भी पीछे छोड़ देगा। अंडर-19 क्रिकेट टीम हो या सीनियर टीम, विराट ने हर जगह अपने ऐसे जलवे दिखाए कि खेलप्रेमी उनके दीवाने हो गए। कहना गलत नहीं होगा कि अपने जोश, जुनून, तेज गति से रन बनाने की भूख और कड़ी मेहनत के बलबूते पर विराट आज जिस पायदान पर खड़े हैं, वहां से सचिन काफी पीछे खड़े नजर आने लगे हैं। हालांकि यहां चर्चा सचिन बनाम विराट की नहीं है लेकिन जब भी कोई खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए नया कीर्तिमान स्थापित करता है तो तुलनात्मक विवेचन तो होता ही है और ऐसे में सभी खिलाड़ियों के हर एंगल से बनाए गए रनों का बारीकी से आकलन किया जाता है और इस लिहाज से विराट ने तमाम भारतीय खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया है।

जहां विराट ने 205 पारियों में 10 हजार रनों का टारगेट पूरा किया, वहीं सचिन को इतने रन बनाने के लिए 259 पारियां खेलनी पड़ी थी। विराट ने यह कारनामा 10 वर्ष 68 दिन में कर दिखाया जबकि सचिन को इसमें 11 वर्ष 103 दिन और राहुल द्रविड़ को 10 वर्ष 317 दिन का समय लगा। विराट ने अपने शुरूआती दस हजार रन 24 पारियों में बनाए थे किन्तु दस हजार रन पूरे करते हुए आखिरी एक हजार रन मात्र 11 पारियों में बनाने में सफल हुए। यही नहीं, उन्होंने एक कैलेंडर वर्ष में सबसे तेज गति से एक हजार रन बनाने का दक्षिण अफ्रीका के हाशिम अमला का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। वह अब तक 12 मैचों में 1153 रन बनाकर इस मामले में सबसे आगे निकल गए हैं। पिछले साल उन्होंने कुल 6 शतक लगाए थे और इस वर्ष अब तक वह 6 शतक लगा चुके हैं तथा सचिन के 49 शतकों की बराबरी करने के लिए उन्हें अब सिर्फ 11 शतक और लगाने की जरूरत हैं और अगर वह इसी फॉर्म में रहे तो उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी दो वर्ष के भीतर विराट सचिन के इस रिकॉर्ड को तोड़ने में भी सफल होंगे।

5 नवम्बर 1988 को दिल्ली में जन्मे विराट का जीवन इतना आसान नहीं रहा। जिस दिन वह दिल्ली की ओर से कर्नाटक के खिलाफ रणजी मैच खेल रहे थे, उस दिन उनके पिता का देहांत हो गया था किन्तु दुखों का इतना बड़ा पहाड़ टूटने पर भी विराट ने टूटने के बजाय न केवल वह मैच पूरा किया बल्कि वह मैच अपने पिता के नाम समर्पित कर दिया था। 2008 में विराट ने एकदिवसीय मैचों में पदार्पण किया था और 2011 में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा। 2011 में ही वो विश्व कप की विजेता टीम का हिस्सा भी बने और उस दौरान अपने पदार्पण मैच में ही शतक जड़कर विराट ने दिखा दिया था कि उनके हौंसले कितने बुलंद हैं। एक ओर जहां सचिन ने विराट की निरंतरता और जुनून के साथ उनकी बल्लेबाजी को बेमिसाल बताया है, वहीं वीरेन्द्र सहवाग का कहना है कि विराट ने निरंतरता को नए आयाम दिए हैं और यह ‘सॉफ्टवेयर’ हर वक्त अपडेट होता रहा है। आस्ट्रेलिया के विख्यात क्रिकेटर टॉम मूडी का तो यहां तक कहना है कि विराट इस शिखर पर अकेले हैं, जहां न पहले कोई था और न बाद में कोई होगा। बांग्लादेश के स्टार बल्लेबाज तमीम इकबाल तो विराट की तारीफ करते हुए यह तक कह गए कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि भारतीय कप्तान विराट कोहली इंसान नहीं हैं क्योंकि जैसे ही वह बल्लेबाजी के लिए उतरते हैं तो ऐसा लगता है कि वह हर मैच में शतक बनाएंगे। तमीम कहते हैं कि विराट जिस तरह अपने खेल पर कार्य करते हैं, वह अविश्वसनीय है। वह कहते हैं कि पिछले 12 वर्षों में उन्होंने सभी महान खिलाड़ियों को खेलते देखा है किन्तु ऐसा व्यक्ति नहीं देखा, जिसने विराट जैसा दबदबा बनाया हो।

हालांकि विराट की इस ‘विराट’ सफलता के साथ उनके कुछ नकारात्मक पक्ष भी जुड़े हैं। मसलन, कहा जाता है कि विराट पर सफलता का नशा कुछ इस कदर छाया है कि मैच में फॉर्म सुधारने के लिए जो कार्य चयनकतार्ओं को करना चाहिए, वहां विराट पूरी तरह अपनी मनमानी करते हैं और खिलाड़ियोें के चयन में उनकी इसी मनमानी के चलते टीम की कमजोरी का खामियाजा विभिन्न अवसरों पर मैच गंवाकर भारत को भुगतना भी पड़ा है। बहरहाल, विराट को लेकर क्रिकेट जगत के दिग्गजों की सकारात्मक टिप्पणियों के बाद तो खेल जगत में अब इस प्रकार के सवाल उठने लगे हैं कि कहीं अपने अद्भुत प्रदर्शन की बदौलत विराट कोहली सचिन तेंदुलकर के बाद क्रिकेट के ‘दूसरे भगवान’ तो नहीं बनने वाले हैं!

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो।