क्या केजरीवाल Modi को टक्कर दे पाएंगे ?

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देश के पश्चिमी राज्य गुजरात में राजनीतिक तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। पिछले तीन दशकों में राज्य में राजनीतिक प्रतिद्वंदिता मुख्यतया भाजपा (Modi) और कांग्रेस के बीच द्विपक्षीय रही है किंतु इस बार आप के प्रवेश से यह त्रिकोणीय बनती जा रही है। आप ने पहले ही 182 सदस्यीय विधान सभा के लिए 29 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है। राष्ट्रीय राजनीति में गुजरात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का गृह राज्य है और यह भाजपा की प्रयोगशाला के रूप में भी जाना जाता है।

1995 के बाद भाजपा राज्य में सभी विधान सभा चुनाव जीती है। वर्ष 1996 में राज्य में भाजपा की सरकार का पतन पार्टी में गुटबाजी के कारण हुआ था किंतु 1998 मे वह पुन: सत्ता में लौटी। उसके बाद से राज्य में भाजपा ही सत्ता में है। भाजपा ने इतने लंबे समय तक किसी भी राज्य में शासन नहीं किया है।

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भाजपा के इस सबसे मजबूत गढ़ में विधान सभा चुनाव ऐसे समय पर हो रहे हैं जब विपक्ष को वर्ष 2024 में मोदी को हराने की पूरी कोशिश में जुटी है क्योंकि जदयू के सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ दिया है और इससे एक मजबूत संकेत दिया है। किंतु यह बात किसी से नहीं छिपी हुई है कि नीतीश ने एक वर्ग का राजनीतिक समर्थन खो दिया है जो उन्हें इस सदी के पहले दशक और 2010 के दशक में प्राप्त था।

कांग्रेस में आंतरिक विद्रोह | Modi

इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है और Rahul ghandi मतदाताओं को लुभाने के लिए सरदार पटेल के नाम को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस में आंतरिक विद्रोह चल रहा है। इसके पुराने नेता जैसे कपिल सिबल और गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी है और कांग्रेस मानती है कि उसका भारत जोड़ो अभियान देश की राजनीति के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। किंतु हैरानी की बात यह है कि इस यात्रा का मार्ग गुजरात से होकर नहीं गुजरता है।

गुजरात विधान सभा चुनाव | Modi

वर्ष 1995 के विधान सभा चुनावों में भाजपा की सदस्य संख्या कभी भी 100 से कम नहीं रहीं है किंतु 2017 के चुनावों में भाजपा केवल 99 सीटें जीत पाई जबकि कांग्रेस की सदस्य संख्या 77 पर पहुंच गयी। मत प्रतिशत के रूप में भाजपा कांग्रेस से लगभग 8 प्रतिशत आगे थीे और उस समय यह माना गया कि भाजपा की सदस्य संख्या में कमी का कारण कृषि संकट रहा है और उसने ग्रामीण क्षेत्रों में अपना जनाधार खोया है। इस समय भी राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कृषि संकट चुनावों में एक मुख्य कारक बनेगा और यह एक बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा। कृषि क्षेत्र में असंतोष से इंकार नहीं किया जा सकता है। किंतु इस बात को ध्यान में रखना होगा कि यह वर्ष 2017 नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मत है कि वर्तमान प्रदेश कांग्रेस में भाजपा को चुनौती देने की शक्ति नहीं है। इसके तीन युवा नेता जिन पर वर्ष 2017 में कांग्रेस निर्भर थी, उनमें पिछड़े वर्ग के नेता अल्पेश ठाकुर, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पहले ही पार्टी छोडकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं और पार्टी के दलित नेता जिग्नेश मेवानी ही पार्टी में रह गए हैं। पाटीदार आंदोलन भी ठंडा पड गया है किंतु यही एकमात्र चुनौती नहीं है।

आप कांग्रेस के मतों को प्रभावित करेगी

वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना शुरू नहीं की गयी थी जिसे मोदी सरकार ने 2018 में शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को वर्ष में दो हजार रूपए की तीन किश्तों के रूप में छह हजार रूपए दिए जाते हैं। अप्रैल 2020 में गुजरात सरकार ने दावा किया कि वह 40 लाख से अधिक किसानों को इस योजना के अंतर्गत पैसा दे रही है। कृषि संकट एक वास्तविक मुद्दा है किंतु प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के प्रभाव को नजरंदाज करना बेवकूफी होगी साथ ही भाजपा को राज्य की चुनावी राजनीति में आप के प्रवेश का मुकाबला भी करना होगा। आप मुफ्त बिजली और अच्छी शिक्षा तथा महिलाओं के हित की योजनाओं के फामूर्ला पर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले कुछ माहों में गुजरात के दौरे किए हैं और पंजाब में जीत के बाद आप के हौसले बुलंद हैं। वस्तुत: आप गुजरात चुनावों को अपने दर्जे को एक राज्य स्तरीय पार्टी से राष्ट्रीय स्तरीय पार्टी के रूप में बढ़ाने का अवसर देखती है। वर्तमान में आप की उपस्थिति केवल दिल्ली, पंजाब और गोवा में है और उसे चौथे राज्य में भी अपना खाता खोलना होगा तभी वह इस दिशा में आगे बढ़ पाएगी। राष्ट्रीय स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए उसे 6 प्रतिशत वोट और कम से कम 3 सीटें जीतनी होंगी। पार्टी ने भारतीय ट्राइबल पार्टी से गठबंधन किया है जो पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी और उसने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। राज्य की जनसंख्या में आदिवासियों की जनसंख्या 16 प्रतिशत है।

केजरीवाल आप को एक सच्ची राष्ट्रीय पार्टी के रूप में दशार्ने का प्रयास

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आशा की जाती है आप कांग्रेस के मतों को प्रभावित करेगी। किंतु इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह इन मतों का उपयोग सीटों के रूप में करे। इसके लिए वह न केवल भाजपा विरोधी मतों पर निर्भर है अपितु भाजपा के मतदाताओं को भी निशाना बना रही है। केजरीवाल आप को एक सच्ची राष्ट्रीय पार्टी के रूप में दशार्ने का प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने किसान सूर्योदय योजना शुरू की है जिसके अंतर्गत किसानों को 16 घंटे मुफ्त बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही मोदी सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना, जन धन योजना, उज्जवला योजना, पीएम आवास योजना, अन औषधि योजना, हर घर जल अभियान आदि जैसी अनेक महत्वपूर्ण कल्याण योजनाएं दी जा रही हैं और पार्टी आप की कल्याण योजनाओं का मुकाबला कर सकती है।

पाटीदार समुदाय के नेता भूपेन्द्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया | Modi

आगामी चुनावों में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती 24 सालों तक राज्य में सत्ता में रहने के चलते प्रशासन विरोधी लहर हो सकती है हालांकि पार्टी ने इससे निपटने का प्रयास किया है। पिछले वर्ष पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित पूरे मंत्रिमंडल को बदला और प्रभावशाली पाटीदार समुदाय के नेता भूपेन्द्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया। वस्ुतत: भाजपा पर न केवल अपने गढ़ को बचाने अपितु पर्याप्त संख्या में सीट जीतने का भी दबाव है ताकि वह 2024 के चुनावों के लिए एक मजबूत संकेत दे सके। महंगाई, बेरोजगारी और कृषि संकट जैसे मुद्दों के बावजूद भाजपा अपनी कल्याण योजनाओं, सुदृढ़ संगठन और मोदी के प्रभाव के कारण राज्य में चुनावी दौड़ में आगे है। किंतु बड़ा प्रश्न यह है कि क्या आप राज्य में सेंध लगा पाएंगी। यह भी देखना है कि क्या गुजरात के माध्यम से आप राष्ट्रीय पार्टी बनने के अपने सपने को पूरा कर सकती है।

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