क्या बिना कद्दावर नेता के सरसा में खिलेगा ‘कमल’?

Will 'Kamal' be seen in the neck of the leader?

 प्रचार के आखिरी दिन प्रत्याशियों व समर्थकों ने झोंकी ताकत

सच कहूँ/सुनील वर्मा
सरसा। 12 मई को होने वाले लोकसभा के चुनावों में जीत का परचम लहराने को लेकर सभी पार्टियों के आलाकमान व प्रत्याशियों ने एडी-चोटी का जोर लगा दिया है। खासकर सरसा में भाजपा व कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर हो रही है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी चुनाव प्रचार में प्रत्याशियों व उनके समर्थकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए पार्टी आलाकमान के नेता प्रचार कर चुके हैं। कांग्रेस की ओर से जहां कांग्रेस पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष राहुल गांधी, जहां अशोक तंवर के पक्ष में तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सिने अभिनेता सन्नी देयोल तक भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान के लिए पुरजोर प्रयास कर चुके हैं। इतना ही नहीं जब इन दोनों से बात नहीं बनी तो आखिरी समय में मुख्यमंत्री को सरसा में प्रचार के लिए उतरना पड़ा, लेकिन वे भी प्रचार की बजाय पार्टी से नाराज बिरादरी के लोगों की मान-मनुहार करते नजर आए। प्रदेश की सभी दस सीटों पर जीत का दम भरने वाली भाजपा के लिए सरसा की जमीं पर कमल खिलाना आसान नहीं है। जिसकी सबसे बड़ी वजह पार्टी के सरसा में कोई कद्दावर नेता का न होना है। हालांकि सरसा लोकसभा सीट पर पूर्व में इनेलो व कांग्रेस पार्टी का ही बोलबाला रहा है। लेकिन इनेलो पार्टी के टूटने से बनी जजपा के बाद इस बार समीकरण बदल गए हैं और पहली बार भाजपा व कांग्रेस में मुकाबला हो रहा है। अब देखना ये है कि क्या आने वाली 12 मई को भाजपा सरसा में कमल खिला पाती है या फिर कांग्रेस पार्टी अपना पुराना इतिहास फिर से दोहराएगी।

प्रचार की बजाय रूठे अपनों को मनाने में जुटे रहे सीएम

भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार को गति देने के लिए 8 मई को फतेहाबाद में प्रधानमंत्री की रैली हुई, वहीं 9 मई को सरसा में सिने अभिनेता सन्नी देयोल की ओर से भाजपा प्रत्याशी सुनीता दुग्गल के समर्थन में रोड शो निकाला गया। लेकिन पीएम व सिने अभिनेता भी सुनीता दुग्गल के प्रचार अभियान को गति नहीं दे पाए। अंतिम समय में भाजपा की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को प्रचार के लिए सरसा में उतरना पड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री प्रचार की बजाय सरसा में पार्टी से खफा चल रहे कुछ अपनों को मनाने में ज्यादा व्यस्त दिखे। वीरवार की सांय को सीएम का सरसा में आगमन हुुआ। वीरवार की रात्रि को सीएम जहां अकाली नेता वीरभान मेहता के आवास पर जलपान ग्रहण करने गए, वहीं शुक्रवार की सुबह पार्टी से खफा चल रहे राहुल सेतिया निवास पर पहुंचे और सुबह का नाश्ता किया। इसके पश्चात सीएम ने रोड़ी व डबवाली में जनसभाएं की।

नहीं है भाजपा का कोई कद्दावर नेता

बता दें कि सरसा में भाजपा के लिए कमल न खिल पाने की सबसे बड़ी वजह यहां पार्टी के किसी कद्दावर नेता का न होना भी है। वर्तमान में जितने भी भाजपा के पास सरसा में स्थानीय नेता व कार्यकर्ता हैं, उनकी छवि लोगों के दिलों में नहीं है और न ही उनकी ऐसी कोई पैठ है, जिससे वे मतदाताओं को रिझा सकें। पार्टी के प्रत्याशी के साथ ही स्थानीय नेता प्रचार अभियान में लगे हुए हैं, जिससे ये साफ पता चलता है कि उनकी लोगों के दिलों में छवि क्या है? वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के पास कई स्थानीय कद्दावर नेता हैं, जिन्होेंने अपने स्तर पर लोगों के मन में अपनी एक पहचान बनाई है। कांग्रेस के पास पूर्व में मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी रहे डा. केवी सिंह, हरियाणा योजना बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष व सांसद रह चुके चौ. रणजीत सिंह, पूर्व संसदीय सचिव प्रहलाद सिंह गिलांखेड़ा, प्रदेश प्रवक्ता होशियारीलाल शर्मा, पूर्व में विधायक रह चुके भरत सिंह बैनीवाल जैसे दिग्गज नेता हैं, जोकि पार्टी प्रत्याशी को मजबूती प्रदान करेंगे।

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