Haryana News: पेहवा (जसविंद्र सिंह)। चुनाव आयोग के एक अक्तूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव करवाने की घोषणा के साथ ही चुनावी बिगुल बज चुका है और राज्य में बहुकोणीय मुकाबला होगा जिसमें यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) क्या तीसरी बार सरकार बना पाती है या नहीं।
हरियाणा में 2104 से भाजपा का शासन रहा है। कुल 90 सदस्यीय विधानसभा में पिछले चुनाव यानी 2019 में पार्टी ने 40 सीटें जीतीं थीं और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 व निर्दलीय विधायकों के समर्थन से एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। लोकसभा चुनाव से एन पहले, मार्च में भाजपा ने अचानक जजपा से नाता तोड़ दिया। पार्टी ने मुख्यमंत्री भी बदला और नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंपकर खट्टर को लोकसभा चुनाव लड़वाया। वह करनाल से चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन चुके हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा था और प्रदेश की दस में से पाँच सीटें काँग्रेस ने उससे छीन लीं। यह देखने वाली बात होगी कि विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर होता है। Haryana News
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काँग्रेस जहां लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित है और ह्यलोकसभा चुनाव में भाजपा को हाफ किया, विधानसभा चुनाव में साफ करेंगे के दावे कर रही है, वहीं विधानसभा चुनावों में उसकी राह भी उतनी आसान नहीं लग रही। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और काँग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। आप के हिस्से में एक सीट कुरुक्षेत्र आई थी, जहां से कड़े मुकाबले में भाजपा जीत गई। आप विधानसभा चुनाव अकेले अपने बूते लड़ रही है और दिल्ली व पंजाब के बाद हरियाणा में सरकार बनाने की महत्वकांक्षा पाले है।
सत्तारोधी वोट के दावेदार और भी हैं। भाजपा को विपक्ष में वोट बंटवारे का लाभ मिलने की उम्मीद है क्योंकि लोकसभा क्षेत्र बड़े होने से वोट कटने से किसी प्रमुख उम्मीदवार को उतना फर्क नहीं पड़ता जितना विधानसभा क्षेत्र छोटे होने के कारण पड़ता है। यहाँ हार-जीत का अंतर अपेक्षाकृत कम होता है।