अंग्रेजी के महान लेखक नाथानिएल हौथोर्न की कामयाबी के पीछे उनकी पत्नी सोफिया की अहम भूमिका थी। एक दिन वह परेशान अपने घर लौटे और सोफिया से बोले, ‘आज मुझे कस्टम हाउस की नौकरी से निकाल दिया गया है। अब क्या होगा?’ सोफिया यह सुनकर पहले तो परेशान हुईं फिर मुस्करा कर बोलीं, ‘ इसमें चिंता की क्या बात है। अगर आपका यह रास्ता बंद हुआ है तो इसके साथ ही एक ऐसा रास्ता खुला है जो आपको भविष्य में दुनिया में प्रसिद्ध कर देगा।’
पत्नी की बात सुनकर नाथानिएल हैरानी से बोले, ‘तुम भी कैसी बातें कर रही हो। मेरा यह दरवाजा बंद होने से कौन सा ऐसा दरवाजा खुल गया है जो मुझे प्रसिद्ध कर देगा?’ इस पर सोफिया बोलीं, ‘आप बहुत अच्छा लिखते हैं। समय मिलने पर आपने अपनी लिखी हर कहानी और लेख मुझे पढ़वाया है। अब तक नौकरी के कारण ही आप लेखन को पूरा समय नहीं दे पा रहे थे। लेकिन अब तो आपके पास समय ही समय है। आप लेखन करिए, सफलता अवश्य मिलेगी।’
पत्नी की बात सुनकर नाथानिएल बोले, ‘लेकिन तब तक घर का खर्च कैसे चलेगा?’ सोफिया मुस्करा कर बोलीं, ‘आप निश्चिंत होकर अपने लेखन को निखारिए तब तक घर खर्च मैं चलाऊंगी।’ अपनी पत्नी का इतना गहरा आत्मविश्वास और समर्पण देखकर नाथानिएल मुस्तैदी से लेखन में जुट गए। साल खत्म होते-होते उन्होंने महान उपन्यास ‘द स्कार्लेट लैटर’ लिख डाला। आज भी इस महान लेखक को इस उपन्यास से पहचाना जाता है। वह अपने लेखन की सफलता का श्रेय अपनी पत्नी को देते थे, जिसने मुश्किल वक्त में न सिर्फ उनका साथ दिया, बल्कि उन्हें उनकी विलक्षण लेखन प्रतिभा का अहसास भी कराया।
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