रक्षा करना प्रत्येक देश का अधिकार है लेकिन जब कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी पूरी दुनिया में फैल रही हो तब किसी देश द्वारा युद्ध की तैयारी करना बिल्कुल मूर्खता है। साथ ही उस देश की नीयत पर संदेह होना भी स्वाभाविक है। भले ही भारत-पाक में टकराव जारी है और गत दिवस जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों ने कई आतंकवादियों को भी मार गिराया है। इसके बावजूद दिल्ली और इस्लामाबाद तल्ख ब्यानों से बच रहे हैं। दूसरी तरफ चीन जहां से कोरोना वायरस की शुरूआत हुई और वहां तीन हजार लोग मारे गए, एक लाख के करीब लोग रोग से पीड़ित भी हुए और आज भी वहां कोरोना मरीज निरंतर मिल रहे हैं फिर भी चीन मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। गत दिवस चीन ने युद्ध पोत से गोले भी दागे। चीन ने कई दिन पूर्व किसी अन्जान स्थान पर युद्ध अभ्यास करने की भी चर्चा है। चीन से भयभीत जापान को सीमा पर मिसाइलें तैनात करनी पड़ी हैं।
हैरानी इस बात की है कि पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रही है, चीन का विरोधी अमरीका तो कोरोना वायरस के कारण घुटनों के बल बैठा है। प्रश्न यह उठ रहा है कि फिर चीन को इस वक्त किस देश से खतरा है? जबकि चीन द्वारा युद्ध की तैयारियां हो रही हैं। ऐसे में चीन की नीयत पर सवाल उठना जायज है। इससे पहले वायरस फैलने के पीछे किसी देश का हाथ होने की चर्चा भी शुरू हुई और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी चेतावनी दे रहा है। चीन की कार्रवाईयों का उसका समर्थन उत्तर कोरिया भी कर रहा है, जिसने कम समय में कई बार मिसाइलों का परीक्षण किया। यह देश पहले ही हाईड्रोजन बम होने का दावा कर चुका है। दरअसल यह वक्त कोरोना वायरस से बचाव के लिए एक-दूसरे देश की मदद करने या बीमारी की वैक्सीन ढूँढने का है लेकिन कुछ देश किसी की मदद करने की बजाए अपना स्वार्थ देख रहे हैं। मुश्किल वक्त में भारत-पाक भी एक दूसरे को मदद की पेशकश कर रहे हैं। ताजा मामले में अमेरिका ने अपने कट्टर विरोधी ईरान को भी मदद की पेशकश की है। लेकिन चीन और उत्तर कोरिया के मंसूबे दुनिया की शांति के लिए खतरनाक हैं। मुसीबत में घिरी मानवता के साथ हमदर्द होने की बजाय हथियारों का परीक्षण करना संवेदनहीनता का प्रमाण है। भारत सहित अन्य देशों को चीन की नीतियों व नीयत से सतर्क रहना होगा।
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