हादसों के बाद भी तकनीकी जाँच क्यों नही?
Railway: वैश्विक महामारी कोविड काल के दौरान लंबे समय तक बंद रहने वाली भारतीय रेलवे को जब दोबारा शुरू किया गया तो यह दावा किया जा रहा था कि रेलवे की तकनीकी खामियां दूर करने के बाद अब आधुनिक तकनीक से भारतीय ट्रेन ट्रैकों पर दौड़ती नज़र आएंगी। पर हुआ कुछ और ही। पिछले 4 महीना के दौरान देश में उड़ीसा के बालासोर रेल हादसे के साथ-साथ छोटे बड़े चार हादसे हो चुके हैं। बुधवार देर रात बिहार में अब एक ओर रेलवे हादसा हो गया। यह हादसा बक्सर-आरा के बीच रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के पास रात 9:35 पर हुआ।
इस हादसे में दिल्ली से गुवाहाटी जा रही नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस ट्रेन की सभी 21 बोगियां बेपटरी हो गई। जिनमें से ऐसी 3 टियर की 2 बोगियां पलट गई। इस हादसे में सुबह तक 4 यात्रियों की मौत हो चुकी थी। जबकि 20 अन्य यात्रियों को गंभीर चोटें आई है। जिनमें से 10 यात्रियों की हालत गंभीर बनी हुई है। अन्य घायल यात्रियों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में चल रहा है।
लापरवाही या फिर तकनीकी खामी, जिम्मेदार कौन?
लापरवाही व तकनीकी खामी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आधा घंटे पहले ही इसी रेलवे ट्रैक से एक पैसेंजर ट्रेन गुजरी थी। लेकिन ठीक आधा घंटा बाद जब दिल्ली से गुवाहाटी जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस यहां से गुजरी तो इंजन सहित पूरी ट्रेन बेपटरी हो गई। यह हादसा होने के 16 घंटे बाद तक हुई रेलवे विभाग यह नहीं बता पाया है कि आखिर हादसा हुआ कैसे? लेकिन महज अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह हादसा ट्रैक के टूटने के कारण हुआ होगा।वास्तव में यह हादसा हुआ कैसे? इस बात पर गौर करने की जरूरत है।
हर हादसे के बाद मृतकों के परिवारों को मुआवजा देकर मामला शांत करने से बात नहीं बनने वाली, बल्कि उन सभी तकनीक की पहलुओं पर ध्यान देना होगा। जिसकी वजह से लगातार रेलवे हादसे होते जा रहे हैं। इस हादसे के बाद बिहार की नीति सरकार ने सभी मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपए व रेलवे ने मृतकों का परिवारों को 10-10 लाख रुपए की मदद की घोषणा की है। वहीं घायलों को 50 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। सभी घायलों का इलाज भी एम्स सहित विभिन्न अस्पतालों में सरकारी खर्च पर होगा।
इसी वर्ष 2 जून को रेलवे (Railway) हादसे में 288 कई गई थी जान
हालांकि इन हादसों में सबसे बड़ा रेलवे हादसा बालेश्वर उड़ीसा का ही था, जो 2 जून को हुआ था। इस हादसे में 288 लोगों की जान चली गई थी। लेकिन सोचने की बात यह है कि देश में बार-बार हो रहे रेलवे हादसों के बावजूद भी रेलवे विभाग का तकनीकी विभाग या तो गहरी नींद में सोया हुआ है या फिर लापरवाही का शिकार है। इतना ही नहीं जिस स्थान पर पहले बड़ा रेलवे हादसा हुआ हो, उस स्थान पर फिर से कोई हादसा हो जाए वह सोचने की बात है।
कानपुर के पुखरायां रेलवे स्टेशन पर हादसे करीब 7 साल पहले जिस जगह पर इंदौर से राजेंद्र नगर पटना जा रही एक्सप्रेस ट्रेन डिरेल हो गई थी। इस स्थान पर 18 सितंबर की सुबह करीब 3 बजे गोरखपुर से मुंबई जा रही कुशीनगर एक्सप्रेस ट्रेन के साथ ऐसा हादसा हुआ। जिसे खुद रेलवे ही समझ नहीं पा रहा है। उस सुबह हुए हादसे में कुशीनगर एक्सप्रेस गाड़ी का इंजन पुखरायां स्टेशन से पहले ही तेज गति में दौड़ता हुआ आगे निकल गया।
लेकिन इसी ट्रेन के दो डिब्बे पीछे छूट गए। इन डिब्बो में भी यात्री थे। लेकिन गनीमत रही इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। लेकिन याद रहे इसी जगह पर 20 नवंबर 2016 को इंदौर से राजेंद्र नगर पटना एक्सप्रेस ट्रेन तेज धमाके के साथ डिरेल हुई थी। तब इस हादसे में 152 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। खास बात यह है 18 सितंबर को जिस स्थान पर यह हादसा हुआ। उसका समय भी एक जैसा था। तब भी सुबह 3 बजे हादसा हुआ था और उस दिन भी भी सुबह 3 बजे ही हादसा हुआ।
रेलवे (Railway) टेक्निकल टीम की तय हो जिम्मेदारी
कानपुर के पुखरायां स्टेशन पर हुए 18 सितंबर के हादसे व बुधवार को बिहार में हुए हादसे में रेलवे के टेक्निकल टीम पर सवाल उठा दिए हैं। क्योंकि जब भी प्रारंभिक स्टेशन से कोई ट्रेन चलती है तो उससे पहले ट्रेन के इंजन से लेकर पिछले डिब्बे तक टेक्निकल जांच की जाती है। वहीं रेलवे ट्रक की भी हर बार जाँच की जाती है। पर यहाँ इस क्यों नहीं हुआ? यह सोचने की बात है। क्या इस ट्रेन को बिना टेक्निकल जांच के ही केवल भगवान भरोसे अपने गंतव्य की ओर रवाना किया गया? इन बातों के सवाल सबके मन को कचोट रहे हैं। पर अब समय आ गया है सरकार को व रेलवे विभाग को इनका जवाब आम जनता को देना चाहिए, ताकि भारत की सबसे बड़ी परिवहन व्यवस्था पर कोई सवाल न खड़ा हो।
सुबह 3 बजे पुखरायां स्टेशन से पहले हुआ था हादसा
इससे पहले कानपुर में 18 सितंबर को सुबह करीब तीन बजे कपलिंग टूटने से गोरखपुर से मुंबई जा रही कुशीनगर एक्सप्रेस दो भागों में बंट गई थी। इस दौरान बेशक कोई जनहानि नहीं हुई पर ट्रेन पुखरायां स्टेशन पर करीब चार घंटे खड़ी रही। बाद में कपलिंग टूटने वाले कोच को हटाकर दूसरे कोच को जोड़ा गया और ट्रेन को करीब चार घंटे बाद रवाना किया गया। ध्यान रहे कि 7 साल पहले इसी स्टेशन पुखरायां पर ही ट्रेन पलटने से भीषण दुर्घटना हुई थी।
कानपुर में ही 2019 में पूर्वा एक्सप्रेस के 12 डिब्बे हुए थे हुए पटरी
20 अप्रैल 2019 को कानपुर के रूमा इलाके में हावड़ा हावड़ा से दिल्ली आ रही पूर्वा एक्सप्रेस के 12 डिब्बे बेपटरी हो गए थे। हालांकि इस हादसे में भी किसी की जान नहीं गई थी। लेकिन 14 लोग जख्मी जरूर हुए थे। हादसा रात करीब एक बजे हुआ था। तब हादसे की वजह से इलाहाबाद-कानपुर रूट की ट्रेनों को डायवर्ट करते हुए रवाना किया गया था। एक ट्रेन इलाहाबाद-जयपुर एक्सप्रेस रद्द भी करना पड़ा था।
आज भी सदमें में है बालासोर हादसे के पीड़ित लोग | Railway
इसी वर्ष 2 जून को उड़ीसा के बालासोर में एक साथ तीन ट्रेन में टकरा गई थी। इस हादसे में कल 288 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के बाद 2 महीने तक भी 29 लोगों के सबों की पहचान तक नहीं हो पाई थी। तब भी प्रारंभिक तौर पर इस हादसे के बारे में कोई भी रेलवे अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं था। बाद में केंद्रीय रेलवे मंत्रालय की सिफारिश पर सीबीआई जांच के दौरान रेलवे के तीन अधिकारियों को इस हादसे के लिए जिम्मेदार मानकर उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले के तहत गिरफ्तार किया गया। पर हादसों की वास्तविक वजह जानते हुए रेलवे ट्रकों को दुरुस्त करना होगा,ताकि रेलवे सफर बिना किसी चिंता के तय हो सके।
डॉ संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र लेखक।
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