इलाही वचन: इस सच्चा सौदा में जो आवे, कभी खाली ना जावे

सरसा। परम पूजनीय शहनशाह मस्ताना जी महाराज फरमाते हैं, ‘‘हर एक फकीर को रूहानी दौलत किसी परम संत कामिल फकीर से मिली है और उसने उसी उस्ताद का शुक्रिया अदा किया है।’’
साईं बुल्लेशाह जी भी फरमाते हैं : शाह इनाइत भेद बताया ता खुले सब इसरार ।

‘इसी तरह हमें (मस्ताना बिलोचिस्तानी को) भी दाता सावणशाह कामिल फकीर से ही यह रूहानी दौलत बख्शिश में मिली है। असीं जब बिलोचिस्तान से आए तो 9 गुरू किए परन्तु किसी ने अन्दर वाला मौत से छुड़ाने वाला सच्चा गुरू ना
बताया। फिर परम संत सावण शाह दाता कामिल फकीर के पास आए और अर्ज की कि असीं अपना मौत से छुड़ाने वाला गुरू लेना है। सच्चे पातशाह जी ने वचन फरमाया कि वो तुम्हारा गुरू तेरे अन्दर है। जो कोई अपने अन्दर वाले राम गुरू को खुश कर ले वही इस दुनिया में आनन्द लूटे। इस जहान में तो अन्धेरा हो रहा है। पाखण्डों में पड़कर दुनिया ने अन्दर वाले गुरू को बिल्कुल छुड़ा दिया है और उसके साथ लगने नहीं देते। सच्चे पातशाह दाता जी ने फरमाया कि हमने तुम्हें तुम्हारा अन्दर वाला राम गुरू बख्श दिया है। तुम बिलोचिस्तान में जाओ वो तुम्हारा सब काम आप करेगा।

दाता सावणशाह जी के बख्शे हुए उसी राम गुरू ने इस जगह
(डेरा सच्चा सौदा सरसा) में भी जंगल में मंगल बना दिया है।’’

परम पूजनीय परम संत शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने वचन फरमाया, ‘‘वो राम-गुरु परम संत सावणशाह के हुक्म में था जो कुछ उन्होंने फरमाया वही हुआ और बिल्कुल सही निकला। उस परम सतों के बख्शे हुए राम-गुरू ने जो बिलोचिस्तान में काम किया वो बिलोचिस्तानियों को ही पता है। दाता सावणशाह जी के बख्शे हुए उसी राम गुरू ने इस जगह (डेरा सच्चा सौदा सरसा) में भी जंगल में मंगल बना दिया है।’’

  “धन धन परम संत सावण शाह दाता जिसने राम को वश में किया है।”

पूजनीय शहनशाह जी ने आगे फरमाया, “एक दिन लाला श्री नेकी राम जी ने हमारे सामने पूज्य दाता जी से पूछा कि अपने अन्दर वाले राम गुरू को कितना वक्त देना चाहिए तो इस पर सच्चे पातशाह जी ने फरमाया, वो तो दोनों जहानों की जागीर है, दुनिया उससे खाली फिर रही है। इसलिए हम कितना शुक्रिया अदा करके अपने मुर्शिदे-कामिल दाता सावणशाह जी का करें कि जिन्होंने दोनों जहानों की जागीर का हमें पता बताया है। फर्ज करो, किसी का दस सेर सोना गुम हो जाए और कोई उसको ढूंढ कर दे देवे और वो उस सोने से महल वगैरह बनाये और सुख हासिल करे तो पहले शुक्रिया लभ्भ (ढूंढने) देने वाले का करे कि सोने का ? आप सब गौर करें। इसलिए हम बार-बार अपने पूज्य सतगुरु जी परम संत कामिल फकीर दाता सावणशाह जी का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने हमें दोनों जहान में सुख पहुंचाने वाला हमारा अपना राम गुरु बख्श दिया है। धन धन परम संत सावण शाह दाता जिसने राम को वश में किया है।”

 इस सच्चा सौदा में जो आवे, कभी खाली ना जावे

“सच्चे सौदे की शान निराली तो लोगों ने बोला चलो बई सरसा में सच्चा सौदा है उत्थे चलो। संतों-रूहानी फकीरों ने जो सच्चा मुकर्रर किया है, वो सच्चा सौदा इन दोनों आंखों के बीच में है। वो सच का सौदा करने वाली आत्मा यहां पर जेल में है। अगर कोई उस्ताद कामिल फकीर उसे मिल जाए और उसको बोले भाई तेरा गुरू एथे (दोनों आंखों के बीच में) है और तू एथे आवें और पूरा ख्याल रख कर सतगुरु को पुकारे और वो सच्चा सौदा करे तो वो मालिक-सतगुरु उसे (तुझे) कभी खाली न मोड़े क्योंकि वो शाहों का शाह है जरूर अपनी मेहर उस (साधक) पर करेगा और उसकी रूह को आजाद कर अपना रूप बनाकर आगे सचखण्ड सतलोक में ले जाएगा। इसलिए संतों ने कहा है कि इस सच्चा सौदा में जो आवे, कभी खाली ना जावे। या कोई मेहर या कोई दिलासा या कोई सिंगेजां प्यार मिले। जे ना मिले तो आत्मा-परमात्मा बन कर सीधी अपने घर (सचखण्ड) को चली जावे। दिन को जावे, रात को जावे। सुबह को आ जावे।

अपना काम-काज करे बाल-बच्चा में रहा उनके साथ रहा. खाना इत्यादि खाया, कारोबार किया और फिर रात हुई तो अपनी आंखें बन्द कर खूब भजन किया और मालिक के दरबार में जाकर आत्मा ने अपना सच्चा सौदा किया। किसी नसीबों वाले को ही यह बख्शिश नसीब होती है। इसलिए बोला है कि इसका नाम सच्चा सौदा है। आंखों के बीच में एथे निरंकार की जोत, निरंकार की धार आती है, यहां आंखों तक इसके नीचे नहीं। तू ऐसे आंखों के नीचे रहेगा तो तू पांच चोरों और नौ द्वारों में फंसा हुआ जेली है। हां, अगर तूने सच्चा सौदा करना है तो इह राम-नाम का सच्चा सौदा एथे आंखों के अन्दर ऊपर बैठकर कर। तेरी रूह यहां से कभी खाली नहीं लौटेगी। वो मालिक दाता तेरे पर जरूर अपना रहमो-कर्म करेगा और तुम्हें एक दिन अपना रूप बना लेगा। वो एक सच (मालिक) अन्दर है और यह एक सच (आत्मा) बाहर तन-मन के पिंजरे में बन्द है। तो इन दोनों सच (मालिक और आत्मा) का मेल ही सच्चा सौदा है। यह सच्चा सौदा कोई पूर्ण रूहानी फकीर पूरा गुरू उस्ताद मिले तो वो कराए लेकिन उस सच्चा सौदा में जाने के लिए पहले इस सच्चा सौदा में आना पड़ता है। “

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