काबुल (एजेंसी)। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सत्ता का खेल शुरू हो गया है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने तालिबान के प्रमुख नेता अनस हक्कानी के साथ नई सरकार बनाने पर चर्चा की है। तालिबान राज में कौन होगा राष्ट्रपति, इसका फैसला अमीर को चुनने की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर नेता चुनाव लोया जिरगा के माध्यम से होता है तो उसे देश में बड़े पैमाने पर लोग स्वीकार करेंगे। आइए समझते हैं तालिबान राज में कैसे हो सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि तालिबान के कट्टरपंथी धड़े के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी की सरकार गठन में भूमिका और प्रभाव तालिबान के राजनीतिक चेहरे मुल्ला बरादर से ज्यादा होगी। बिना एक स्थायी सहमति के वारलार्ड्स की भूमिका को नकारा नहीं जा सकेगा। यही नहीं तालिबान को अपनी नई सरकार में गैर पश्तून जातियों जैसे ताजिक, हजारा आदि को भी जगह देनी होगी। ऐसे में नई अफगान सरकार का गठन टेढ़ी खीर साबित होने जा रहा है।
अफगान सेना का भविष्य में लटका
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के आद अफगान का भविष्य अधर में लटक गया है। करीब 3 लाख की सेना तितर बितर हो गई है। अगर अफगान सेना को तालिबान में शामिल किया जाता है तो वे तालिबानियों को अमेरिकी हथियारों का प्रशिक्षण दे सकते हैं जो अभी तालिबान के कब्जे में हैं। अगर सैनिकों को सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया गया तो वे विद्रोह का भी रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। इराक में सद्दाम हुसैन की सेना के पतन के बाद अमेरिका ने इराकी सेना को खत्म कर दिया। बाद में अमेरिका को यह फैसला बड़ा भारी पड़ा था। आने वाले दिनों में अफगान सैनिक किस ओर जाएंगे, उसका पलड़ा भारी हो सकता है।
पाकिस्तान के पास क्या हैं विकल्प
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में बेहद मजबूत तरीके से शुरूआत की है। पाकिस्तान ने तालिबान को सुरक्षित पनाहगार मुहैया कराया और अफगानिस्तान में उनकी वापसी को सुनिश्चित किया। तालिबान अब पाकिस्तान की क्षेत्रीय महत्वकांक्षाओं को पूरा करने की बजाय अपनी ताकत को और ज्यादा मजबूत करने पर काम कर सकता है। यही नहीं तालिबानी अब आईएसआई के पिछलग्गू बनने की बजाय इस्लामिक दुनिया में और ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर काम कर सकते हैं।
चीनी ड्रैगन ने अफगानिस्तान के लिए बनाया मास्टर प्लान
चीन ने तालिबान से उइगर विद्रोहियों पर काबू करने की मांग की है। चीन ने संकेत दिया है कि अगर तालिबान ऐसा करता है तो वह उनके साथ संबंध बनाने के लिए तैयार हैं। चीन की नजर अफगानिस्तान के एक ट्रिल्यन डॉलर के खनिजों पर है जिसमें सोना, तांबा, रेयर अर्थ आदि शामिल हैं। चीन अपने बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिए अफगानिस्तान में निवेश करना चाहता है और पाकिस्तान के पेशावर से काबुल तक रोड बनाना चाहता है।
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