George Soros: अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस एक ऐसा नाम हैं, जो अक्सर वैश्विक राजनीति, सामाजिक आंदोलनों और परोपकारी गतिविधियों से जोड़ा जाता हैं। इनका नाम एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया हैं। वैसे तो विवादों में रहना जॉर्ज सोरोस के लिए कोई नई बात नहीं हैं, खासकर भारत को लेकर जॉर्ज सोरेस का बयान किसी राजनेता के जैसा प्रतीत होता हैं, जॉर्ज सोरोस को लेकर बीजेपी हमलवार हैं और कांग्रेस पर सोरोस से संबंध रखने का आरोप लगाया हैं। वहीं पार्टी ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की हैं जिससे राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। बीजेपी का कहना हैं कि कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी उस संगठन से जुड़ी हैं, जो सोरोस से फंड लेती हैं, यही नहीं, पार्टी का आरोप हैं कि मोदी सरकार को कमजोरी करने के लिए कांग्रेस ने सोरोस के साथ हाथ मिलाया हैं।
जॉर्ज सोरोस को लेकर राजनीति तेज | George Soros
जॉर्ज सोरोस अमेरिका के बड़े कारोबारियों में से एक हैं, अमेरिका में उनका 30 से अधिक मीडिया आउटलेट्स में डायरेक्ट निवेश हैं, शेयर बाजार में भी जॉर्ज सोरोस का बड़ा नाम हैं, वे सटोरिए, निवेशक और कारोबारी हैं, लेकिन खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता बताने पर उनका ज्यादा जोर रहता हैं, उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए एजेंडा चलाने का आरोप लगता आ रहा हैं। इतना ही नहीं उन पर कई देशों में भारी-भरकम फंडिंग देकर चुनाव प्रभावित करने का भी आरोप हैं। यूरोप और अरब के कई देशों में सोरोस की संस्थाओं पर मोटा जुर्माना भी लगाया गया हैं, और बैन भी लगाया गया हैं। वहीं 94 साल के सोरोस पर ये आरोप आम हैं कि वे दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए अपना एजेंडा चलाते हैं।
दरअसल जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगा हैं कि वे दुनिया के कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसों के बल पर वहां की राजनीति में दखल देते हैं, अगर भारत में दखल की बात करें तो पिछले साल हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद जॉर्ज सोरोस के सपोर्ट वाली नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने अडानी ग्रुप को लेकर कई खुलासे किए थे, वैसे अधिकतर आरोप वहीं थें, जो हिंडनबर्ग ने लगाएं, रिपोर्ट मे कहा गया था कि गलत तरीके से शेयरों की कीमतें बढाई गई, जिसका अड़ानी ग्रुप ने खंडन किया था, गौतम अडानी के अलावा ने आरोप लगाया था कि वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने देश के पर्यावरण कानूनों को कमजोर करने के लिए गुपचुप तरीके से लॉबिंग की थी।
ओसीसीआईपी के पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ?
वहीं अब ये जानना जरूरी हैं कि ये OCCRP क्या हैं? इसका काम और इसका कर्ता-धर्ता कौन हैं? यह कंपनी पत्रकारों के एक ग्रुप द्वारा संचालित की जाती हैं, इसका मुख्यालय अमेरिका में हैं और इस कंपनी की शुरुआत साल 2006 ही थी, ये कंपनी दुनियाभर में आर्थिक अपराध खुलासों के लिए भी जानी जाती हैं, वैसे तो इसकी वेबसाइट पर जिक्र किया गया हैं, ये पब्लिक फंडेड फर्म हैं, लेकिन पब्लिक के साथ-साथ अरबपति जॉर्ज सोरेस की कंपनी भी OCCRP को आर्थिक मदद करती हैं, यानी यह जॉर्ज सोरेस फंडेड फर्म हैं।
वहीं जो लोग सोरोस के बारें में नहीं जानते हैं वे अब जान जाएंगे, दरअसल हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति जॉर्ज सोरोस अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, खासतौर पर उनकी नजर भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे राजनीतिक बदलावों पर रहती हैं, सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लगातार सत्ता में बने रहने से तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं। जॉर्ज सोरोस ने कब-कब भारत को निशाने पर लिया हैं।
भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था, सोरोस का आरोप था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ रहा हैं। वहीं 2024 जनवरी में जब हिंडनबर्ग से अडानी ग्रुप पर सवाल उठाया तो हाथ सेंकने के लिए जॉर्ज सोरोस भी सामने आए थे। जॉर्ज सोरोस ने अडानी मुद्दे के बहाने फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा, सोरोस ने दावा किया था कि अडानी के मुद्दे पर भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा।
वैसे जॉर्ज सोरोस बेतुके बयान देने में भी पीछे नहीं रहते हैं, बीते दिनों उन्होंने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं, मोदी के तेजी से बड़ा नेता बनने के पीछे अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा हैं।
वहीं इससे पहले 2020 में जॉर्ज ने कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ रहा हैं, ये बयान उन्होंने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में दिया था, उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून सीएए की भी खुलकर विरोध किया था। हालांकि जब-जब जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी और भारत के अंदरुनी मामलों पर बयान दिया हैं, उसी वक्त सरकार ने पलटवार किया हैं, सरकार का कहना हैं कि विदेशी धरती से भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे को हिलाने को ये साजिश हैं, जो कभी कामयाब नहीं हो पाएगी।
ये हैं जॉर्ज सोरोस की जन्म कुंडली | George Soros
जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था, वे खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी बताते हैं, हालांकि उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप लगता हैं, 11 नवंबर 2003 को वॉशिगंटन पोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में सोरोस ने कहा था, कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश को राष्ट्रपति पद से हटाना उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद हैं और ये उनके लिए जीवन और मौत का सवा हैं, सोरोस ने कहा था कि अगर कोई उन्हें सत्ता से बेदखल करने की गारंटी लेता हैं, तो वो उस पर अपनी पूरी संपत्ति लुटा देंगे।
वहीं जानकारी के मुताबित दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब हंगरी में यहूदियों को मारा जा रहा था, तब उनके परिवार ने झूठी आईडी बनवाकर जान बचाई थी, विश्व युद्ध खत्म होने के बाद जब हंगरी में कम्युनिस्ट सरकार बनी तो 1947 में वो बुडापेस्ट छोड़कर लंदन आ गए यहां उन्होंने रेलवे कुली से लेकर एक क्लब में वेटर का काम भी किया, इसी दौरान उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढाई की।
उसके बाद 1956 में वे लंदन से अमेरिका आ गए, यहां आकर उन्होंने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कदम रखा और अपनी किस्मत बदली, 1973 में उन्होंने ‘सोरोस फंड मैनेजमेंट’ लॉन्च किया उनका दावा हैं कि अमेरिकी इतिहास में उनका फंड सबसे बडा और कामयाब इन्वेस्टर हैं। सोरोस खुद को जरूरतमंदों की मदद करन वाला बताते हैं, उनकी एक वेबसाइट पर दावा किया हैं कि सोरोस अब तक अपनी पर्सनल वेल्थ से 32 अरब डॉलर जरूरतमंदों की मदद के लिए दे चुके हैं, वो ओपन सोसायटी फाउंडेशन चलाते हैं।
कैसी रही उनकी पर्सनल लाइफ?
जॉर्ज सोरोस ने 3 शादियां की हैं, 1960 में उन्होंने एनालिसे विश्चेक से शादी की थी, एनालिसे जर्मनी की प्रवासी थी, जो विश्व युद्ध के दौरान अनाथ हो गई थी। सोरोस और एनालिसे के 3 बच्चे हैं, हांलांकि ये शादी ज्यादा दिन नहीं चली और उन्होंने तलाक ले लिया, करीब 720 करोड़ डॉलर की दौलत के मालिक सोरोस के कारनामों की फेहरिस्त काफी लंबी हैं, 1992 मे बैंक औफ इग्लैंड को बर्बाद करने के लिए जॉर्ज सोरोस को कसूरवार माना जाता हैं, वैसे 92 साल के जॉर्ज ने अपना उत्ताराधिकारी 37 साल के बेटे अलेक्जेंडर को चुना हैं, जॉर्ज के कुल 5 बच्चे हैं।
इसके अलावा यूके में सोरोस को बैंक ऑफ इग्लैंड को बर्बाद करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता हैं। कथित रूप से सोरोस ने पहले पाउंड उधार लिए और फिर उन्हें बेच दिया, इससे यूके की करेंसी कमजोर हो गई, इस पूरे लेन-देन से सोरोस को कथित तौर पर एक अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था, इस करैंसी मैनिपुलेशन की वजह से कई एशियाई देशों मे सत्ता बदल गई, साउथ कोरिया में पहली बार किसी विपक्षी उम्मीदवार ने राष्ट्रपति चुनाव जिता था। वहीं जॉर्ज सोरोस पर 1997 में थाइलैंड की मुद्रा (बाहट) पर सट्टा लगाकर उसे कमजोर करने के भी आरोप लगे थे, लेकिन सोरोस ने हमेशा ही इन आरोपों को खारिज किया, इसके बाद उनका नाम उस समय शुरू हुए वित्तीय संकट से जोड़ा गया जो पूरे एशिया में फैल गया था।