पुल हादसों से मौत का जिम्मेदार कौन?

Who is responsible for the death of bridge accident?

गत दिवस मौत ने खुलेआम फिर से तांडव किया जिसमें मुम्बई फुटओवर ब्रिज हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई व 40 घायल हो गए। ऐसी खबरें अब हमें बहुत अटपटी नही लगती क्योंकि शासन-प्रशासन की लापरवाही से इस तरह की घटनाओं के हम आदि हो चुके हैं। यह पुल दक्षिण मुंबई के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराजा टर्मिनल से डीएनडी रोड के दूसरी ओर सड़क पार करने के लिए बना था। लगातार हो रहे ऐसे हादसों से हमारा तंत्र कोई सीख लेने को तैयार नही है क्योंकि भारत में पिछले करीब पौने दो दशक में 14 बड़े हादसों में 590 लोगों की जाने जा चुकी हैं। कोई भी सरकार नेशनल हाईवे या पुलों के लिए बजट को लेकर किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ती बावजूद इसके देश का यह हाल है।

संचालन प्रक्रिया हमेशा की तरह होती आ रही है। गड़बड़ी से हम आजादी से लेकर आज तक रुबरु हैं लेकिन इस क्षेत्र में लगातार विफलता हमें घेरे रहती है। यह कहना अद्भुत है लेकिन इसमें नेता से लेकर अफसर तक हर बार बजट की धज्जियां उड़ाकर अपना घर भरते आए हैं जिससे यह लोग उतना ज्यादा या मजबूत मैटिरियल नहीं लगाते जिससे वह पुल अपनी मियाद तक और सुचारु रुप से चल सके। किसी भी दुर्घटना की जांच होती है,फिर संबंधित अधिकारियों को बर्खास्त या उस पर विभागीय जांच बैठा दी जाती है,नेता विलाप करते हैं और सरकारें मृतक के परिवारों को मुआवजे के तौर पर पैसा या घर के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा कर देती है।

लेकिन अधिकारियों पर मात्र कार्यवाही से उन लोगों की जिंदगी वापिस नहीं आती और मौत के यह सौदागर फिर से अपनी जिंदगी में वैसे ही लौट आते हैं जैसे कुछ भी नहीं हुआ। पिछले कुछ किस्से हैं जिनको हम भूलाकर भी नहीं भुला पाते जैसे कि कोलकाता के गिरीश पार्क के पास अतिव्यस्त रबींद्र सरानी-केके टैगोर रोड क्रॉसिंग कांड में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी व 90 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।कोलकाता के अलीपुर में माझेरहाट पुल ढहने से तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 25 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हैदराबाद के दक्षिण में वालिगोंडा शहर हादसे में 114 लोगों से ज्यादा की मौतें हुई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। वाराणसी, कैंट रेलवे स्टेशन के सामने बन रहे फ्लाई ओवर का बड़ा हिस्सा गिरने से 18 लोगों की दबकर मौत हो गई थी। इसके अलावा भी तमाम बड़े हादसों की लंबी सूची है।

मन सबसे ज्यादा दुखी तब होता है जब रोजाना इस तरह की घटनाओं को देख रहे हैं और बावजूद इसके सुधार व नियंत्रण के नाम पर सब शून्य हैं। जब केंद्र सरकार ने इसके लिए एक अलग विभाग बना रखा है तो इसमें पारदर्शिता के नाम पर सब शून्य क्यों हैं? इसके लिए एक अलग प्रशासनिक विभाग बने व इसका आॅडिट जनता के समक्ष रखा जाए व गुणवत्ता के लिए जांच टीम को रिपोर्ट को प्रधानमंत्री निगरानी स्तर पर अपडेट किया जाए। पिछले महीने ही 8 राज्यों को देश से जोड़ने वाली कुर्सेला थाना क्षेत्र का कोसी सड़क नेशनल हाइवे 31 के पाइप नम्बर 8 पर 6 इंच धंस गई थी जिस वजह से सैंकडों वाहनों को लंबे समय तक रुकना पड़ा व करोडों के फल,सब्जी व अन्य तमाम चीजें बेकार हो गई थीं। एनएचएआई के ऊपर यदि कोई जांच समिति कार्यरत हो जाए तो सालाना जान व माल हानि होने से बचाई जा सकती है।

ऐसी तर्ज पर अवैध बिल्डिगों का खेल भी साफ देखने को मिलता है। विगत दिनों दिल्ली-एनसीआर में कई जगह बिल्ंिडग ढ़हने से सैंकड़ों लोगों की मौत हुई थी। अधिकारियों की मिलिभगत के बिना नक्शे व मानकों के बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी हो जाती हैं फिर उनमें रहने वालों की जान हमेशा जोखिम में बनी रहती है। ऐसे ही पुरानी व जर्जर बिल्डिगों का भी मामला सामने आता है। कई बार देखा गया कि बेहद पुरानी इमारतों में लोग रहते हैं। संबंधित प्रशासन को इसकी जानकारी भी होती है लेकिन कुछ रुपयों के लालच में वो सिर्फ कागजों में ही कार्यवाही दिखाकर कई जिंदगियों का सौदा कर लेते हैं। इस तरह के बिल्ड़र या भवन मालिक पैसों के बल पर सब कुछ मैनेज कर लेते हैं क्योंकि शायद वो समझ चुके हैं कि कुछ दिनों तक हंगामा होगा और फिर सब सामान्य हो जाएगा जिसकी उनको आदत भी पढ़ चुकी।

लेकिन आपको यह बात समझनी होगी कि जो आज किसी के साथ है वो कल तुम्हारे साथ हो सकता है। इसलिए अपने आस पास इस तरह के कार्यों पर आरटीआई या कुछ गलत होने पर शिकायत करें। हम दिन-प्रतिदिन डिजिटल इंडिया की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं लेकिन हम सारा भरोसा व काम,सरकारों या प्रशासन पर ही छोड़ देगें तो भविष्य नकारात्मकता की ओर जा सकता है और जा भी रहा है जिसके तमाम सजीव उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। आज के युग में सभी व्यस्त हैं और हर कोई सामाजिक जिम्मेदारियों से पलड़ा झाड़ना चाहता है लेकिन हम ऐसी किसी होने वाली दुर्घटना को युद्ध स्तर पर आला अधिकारियों को अपडेट कराते रहेगें और सोशल मीडिया पर डालते रहेगें तो वह ऐसे मामलों में रिश्वतखोरी करने से पहले सौ बारी सोचेगें। दुनिया बहुत बड़े स्तर पर परिवर्तन की ओर है और सबसे बड़े उदाहरण हम यानि भारत हंै जिसके लिए हमें हर उस घटना का साक्षी बनना पड़ेगा जो हमें इतिहास और भविष्य के लिए सुज्जित करती हैं।

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