कितनी भी पियो नुकसान ही नुकसान
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। शराब के सेवन की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है और किसी भी मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ‘लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक बयान में यह जानकारी सामने आई है। कैंसर पर शोध करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने एस्बेस्टस (रेशेदार खनिज), विकिरण और तंबाकू के साथ ही शराब को उच्च जोखिम वाले समूह-1 ‘कार्सिनोजेन’ (कैंसर कारक) के रूप में वगीर्कृत किया है, जो दुनियाभर में कैंसर रोग का कारण बन रहे हैं।
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एजेंसी ने पहले पाया कि शराब का सेवन कम से कम सात प्रकार के कैंसर का कारण बनता है, जिसमें आंत का कैंसर और स्तन कैंसर सबसे आम हैं। शराब जैविक तंत्र के माध्यम से कैंसर का कारण बनता है क्योंकि यौगिक शरीर में टूट जाते हैं, जिसका अर्थ है कि अल्कोहल युक्त कोई भी पेय, चाहे इसकी मात्रा और गुणवत्ता कैसी भी हो, कैंसर का खतरा पैदा करता है।
डब्ल्यूएचओ के बयान में सामने आई ये बात
डब्ल्यूएचओ के बयान के मुताबिक, यूरोपीय क्षेत्र में वर्ष 2017 के दौरान कैंसर रोग के 23,000 नये मामले सामने आये थे, जिनमें से 50 फीसदी का कारण शराब की हल्के से मध्यम (प्रतिदिन शुद्ध अल्कोहल की 20 ग्राम से कम मात्रा) मात्रा का सेवन रहा था। बयान में कहा गया, ‘वर्तमान में उपलब्ध साक्ष्य उस सीमा का संकेत नहीं दे सकते, जिस पर शराब के कैंसर कारक वाले प्रभाव शुरू होते हैं और शरीर में नजर आने लगते हैं।
डेरा सच्चा सौदा लगातार कर रहा लोगों का जागरूकशराब की हानियों के बारे में डेरा सच्चा सौदा अपनी स्थापना से बताता आ रहा है और करोड़ों लोगों को जागरूक कर चुका है। इस बाबत मौजूदा समय में पूज्य गुरू संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां डेप्थ मुहिम भी शुरू की है, जो पूरे देश से नशों के खात्मों के लिए एक जनक्रांति बन गई है। भारत के विभिन्न राज्यों में हर रोज लोग शराब, स्मैक, हैरोइन, चिट्टा इत्यादि नशा इस मुहिम के तहत छोड़ रहे हैं व अपना जीवन सुधार रहे हैं।
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