1996 के बाद नही बना किसी राजनीतिक दल का विधायक | Kaithal News
पुंडरी/कैथल (सच कहूं/कुलदीप नैन)। Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा की पुंडरी विधानसभा सीट कैथल जिले के अंतर्गत आती है। इस सीट को राजनीतिक तौर पर हरियाणा में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पहले पुंडरी विधानसभा कुरुक्षेत्र का हिस्सा हुआ करती थी। यहां पहली विधानसभा के लिए 1967 में प्रथम चुनाव हुए थे। यहां जातिगत राजनीति ज्यादा हावी है। कुछेक मौको को छोड़ दे तो यहां ज्यादातर रोड़ और ब्राह्मण समाज के लोग ही विधायक बने है। पुंडरी सीट का एक दिलचस्प इतिहास यह भी रहा है कि 1996 से हलका निर्दलीय का गढ़ माना जाता रहा है। Kaithal News
उसके बाद यहां से किसी पार्टी का उम्मीदवार नहीं जीता है। बात करे अगर 2024 विधानसभा चुनाव की तो इस बार भी यहां से सबसे अधिक 18 प्रत्याशी निर्दलीय और 6 विभिन्न पार्टियों से मैदान में उतरे है। हालांकि इसमें अभी कुछ कवरिंग कैंडिडेट भी है जिनके नामांकन आज वापिस होने के बाद पता चल जायेगा कि कितने प्रत्याशी बचे है। अब देखना ये होगा कि क्या पुंडरी का इतिहास कायम रहता है या फिर किसी राजनीतिक दल को यहां लंबे समय बाद जीत नसीब होगी।
रणधीर गोलन इस बार भी निर्दलीय लड़ेंगे | Kaithal News
2019 में हुए चुनाव में बीजेपी ने रणधीर सिंह गोलन का टिकट काटकर वेदपाल एडवोकेट पर भरोसा जताया था। ऐसे में रणधीर सिंह गोलन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे थे। उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की थी। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने बीजेपी को अपना समर्थन दिया। लेकिन चुनाव से कुछ समय पहले वे कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन आखरी मौके पर उनको कांग्रेस के टिकट से वंचित रहना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए आजाद उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करवा दिया।
निर्दलीय बिगाड़ेंगे खेल
कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बढ़ते कद को लेकर हुड्डा खेमे से जुड़े राजनेताओं के हौंसले भी बुलंद थे और टिकट भी हुड्डा खेमे के सुल्तान सिंह को मिला। सतबीर भाना पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लड़ते हुए चुनाव हार गए थे और इस बार फिर टिकट के दावेदारों में थे। पिछले लंबे समय से वे रणदीप सुरजेवाला के साथ जुड़े हुए है। लेकिन टिकट वितरण में हुड्डा का दबदबा होने के चलते उन्हें टिकट नहीं मिल पाया। उनके साथ ही सुनीता बतान भी निर्दलीय चुनाव लड़ रही है। भाजपा से भी कई टिकट के दावेदार थे जो भाजपा प्रत्याशी सतपाल। Kaithal News
जांबा को टिकट मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। दिनेश कौशिक का नाम सबसे आगे है जिन्होंने निर्दलीय पर्चा भरा है। वहीं पूर्व विधायक तेजवीर सिंह टिकट वितरण होते ही कांग्रेस ज्वाइन कर चुके है। इस तरह कांग्रेस और भाजपा से टिकट के ज्यादातर दावेदार टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है, जो पार्टी उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ सकते है।
बड़ा सवाल….क्या इस बार टूटेगी परंपरा?
राजनीतिक क्षेत्र के जानकार मानते है कि इस बार पूंडरी सीट किसी राजनीतिक पार्टी के खाते में जा सकती है और निर्दलीय की परंपरा टूट सकती है। जानकर इसकी एक बड़ी वजह ये भी बता रहे है कि पिछले छह प्लान से लगातार यहां निर्दलीय विधायकों के कारण विकास की गति सुस्त पड़ी है। इस बार भाजपा के शासन में विधायक रणधीर सिंह गोलन ने भाजपा में शामिल होकर हलके में विकास कार्य करवाए। उसके बावजूद पार्टी के विधायक की कमी खलती रही है। इसके अलावा हलके में कोई बड़ा उद्योग या बड़ी परियोजना भी लागू नहीं हो पाई है। यहां तक कि पुंडरी को सब-डिवीजन बनवाने का मुद्दा जो कि पिछले कई प्लान से उठता रहा है, इस बार भी अधूरा रह गया।
पुंडरी हल्के का कौन कब बना विधायक | Kaithal News
- 1967 में कंवर रामपाल ने काग्रेस के चौधरी ईश्वर सिंह को हराया।
- 1968 में ईश्वर सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी तारा सिंह को हराकर पुंडरी में निर्दलीय का खाता खोला।
- 1972 में काग्रेस टिकट पर ईश्वर सिंह ने हरचरण को हराया।
- 1977 जनता पार्टी के स्वामी अग्निवेश ने कांग्रेस के अनंतराम को हराया।
- 1982 में कांग्रेस के ईश्वर सिंह ने लोकदल के भाग सिंह को हराया।
- 1987 में लोकदल के मक्खन सिंह ने कांग्रेस के ईश्वर सिंह की हराया।
- 1991 में कांग्रेस के ईश्वर सिंह ने मक्खन सिंह को हराया।
- 1996 में पूर्व मंत्री नरेंद्र शर्मा ने कांग्रेस उम्मीदवार ईश्वर सिंह को हराया
- 2000 में चौ. तेजबीर सिंह आजाद उम्मीदवार
- 2005 में दिनेश कौशिक ने आजाद उम्मीदवार
- 2009 में सुल्तान सिंह जडौला आजाद उम्मीदवार
- 2014 में दिनेश कौशिक ने आजाद उम्मीदवार
- 2019 में रणधीर गोलन आजाद उम्मीदवार
2019 के चुनावों के परिणाम
पार्टी कैंडिडेट वोट
- निर्दलीय रणधीर सिंह गोलन 41,008
- कांग्रेस सतबीर सिंह जांगड़ा 28,184
- बीजेपी वेदपाल एडवोकेट 20,990
4 बार विधायक बने ईश्वर
पूंडरी का नाम आते ही पूर्व विधान सभा स्पीकर ईश्वर सिंह का नाम भी आता है। इस सीट पर पांच चुनाव में ईश्वर सिंह परिवार का दबदबा रहा है। यह खुद 1968, 1972, 1982 और 1991 में यहा से विधायक बने। वर्ष 1987 और 1996 में वह चुनाव हार गए थे। वर्ष 1996 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार नरेंद्र शर्मा ने उन्हें सिर्फ 1231 वोटों से हराया था। Kaithal News
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