स्प्रे का सफेद मक्खी पर नहीं पड़ रहा कोई प्रभाव
भटिंडा(अशोक वर्मा)। भटिंडा पट्टी में एक बार फिर से सफेद मक्खी ने किसानों को काले दिन दिखा दिए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के गतदिवस दौरे ने स्थिति की गंभीरता दिखा दी है। किसानों का कहना है कि यदि अब भी मौका न संभाला गया तो नरमे की फसल का बड़ा नुक्सान हो सकता है सफेद मक्खी को रोकने में खेती विभाग भी नाकाम साबित हो रहा है। अधिकारियों की कार्यकारी सिर्फ बैठकों तक सीमित हो कर रह गई है।
बड़ी संख्या किसान नष्ट कर चुके हैं नरमा
सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए स्प्रेयों ने नरमे कपास की काश्त करने वाले किसानों के हाथ खड़े करा दिए हैं भटिंडा जिले के विभिन्न गांवों के किसानों के साथ बातचीत दौरान यह तथ्य उभर कर सामने आए हैं कि गांव राजगढ़ कुबे के किसान सिकन्दर सिंह का अपने गांव के पांच एकड़ व लहरी में 16 एकड़ सिंह 21 एकड़ क्षेत्रफल नरमे की काश्त की गई है उक्त किसान ने बताया कि वह 4 बार कृषि वर्सिटी द्वारा सिफारिश किए कीटनाशकों का छिड़काव कर चुका है
लेकिन फिर भी सफेद मक्खी व जूं पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ है गांव झुम्बा के किसान बलविन्दर सिंह ने कहा कि सफेद मक्खी पत्ते की जड़ खा रही है जिसका कोई इलाज नहीं है। किसान जगतार सिंह निवासी सन्दोहा ने बताया कि उसका करीब 9 एकड़ क्षेत्रफल इस बीमारी की चपेट में है।
चिट्टी मक्खी को रोकने में कृषि विभाग भी हुआ नाकाम
उसने बताया कि वह आधी दर्जन स्प्रे कर चुका है। खास तौर पर संबंधित विभागों की सिफारिश पर भी कीड़ेमार दवा का छिड़कावा किया था जो जो बेकार रहा। उन्होंने बताया कि उन्होंने 42,500 रुपए प्रति एकड़ जमीन ठेके पर ली थी।
उन्होंने कहा कि इस मुसीबत के वक्त सरकार को उनका साथ देना चाहिए। इन गांवों में फसल पर हुए हमले से डरे किसान तुरंत फसलों पर स्प्रे करने में जुटे हुए हैं परंतु जब मामला का हल न हुआ तो किसानों को नरमे की फसल नष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। प्राप्त जानकारी मुताबिक सांसदीय हलके में किसानों ने तकरीबन पांच सौ एकड़ नरमे की फसल नष्ट दी है।
खतरे के निशान से नीचे सफेद मक्खी: डॉयरेक्टर
कृषि विभाग पंजाब के डॉयरेक्टर जसबीर सिंह बेस का कहना था कि सफेद मक्खी का हमला है परंतु खतरे के निशान से काफी नीचे है। उन्होंने कहा कि किसान घबराने की जगह खेती विशेषज्ञों की सलाह से खेती वर्सिटी द्वारा सिफारिश किए कीटनाशकों का छिड़काव करें।
सरकार की किसान विरोधी नीतियां जिम्मेदार
भारती किसान यूनियन सिद्धूपुर के राज्य जरनल सचिव काका सिंह कोटड़ा का कहना था कि सफेद मच्छर पर हमला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा, जिसके लिए सरकार की खेती विरोधी व धनाढ्य कंपनियों को चारा डालने वाली नीतियां ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इन कारणों के कारण ही गैर मानक कीटनाशक बिक रहे हैं, जिन्होंने पिछले पांच सालों दौरान खेती क्षेत्र को पूरी तरह नीचे उतार दिया है।
करोड़ों के रगड़े नीचे आए किसान: सन्दोहा
भारती किसान यूनियन सिद्धूपुर के जिला प्रधान बलदेव सिंह सन्दोहा ने बताया कि सफेद मक्खी कारण कीड़ेमार दवाओं के व्यापार को बढ़ावा मिला है व किसान करोड़ों के रगड़े नीचे आ गए हैं। उन्होंने कहा कि बीटी बीज की आमद के बावजूद किसानों को कीटनाशकों से निजात नहीं मिली है। उन्होंने मांग की है कि सरकार किसानों को उचित कीटनाशक मुफ़्त मुहैया करवाए, जिससे किसानी को कुछ राहत मिल सके।
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