सरसा (सच कहूँ/सुनील खारियां)। पावन महापरोपकार दिवस (Maha Paropkar Diwas) की शुभ वेला पर शाह मस्तान-शाह सतनाम जी धाम डेरा सच्चा सौदा में रूहानियत का ऐसा समुद्र बहा कि साध-संगत निहाल हो गई। चहुँओर खुशियों के आलम के बीच हर कोई पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की रहमतों को गा रहा था। किसी ने कहा सच्चे रूहानी रहबर, रहमतों के दाता के चरणों में जुड़कर निहाल हो गए तो किसी की वैराग्य से आँखें भर आर्इं तो कोई हाथ जोड़कर सतगुरु को बार-बार सजदा कर रहा था। Sirsa News
अपने जीवन के अनुभव बताते हुए साध-संगत ने अपने दिल के उद्गार कुछ यूं ब्यां किए। मंैने वर्ष 1984 में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त की। 23 सितंबर को जब पूजनीय परमपिता जी ने हजूर पिता जी को डेरा सच्चा सौदा की तीसरी पातशाही के तौर पर विराजमान किया तो साध-संगत उसी दिन को पावन भंडारे के रूप में मनाने लगी। हमारे लिए ये दिन किसी त्यौहार से कम नहीं है। भंडारे में आने से जो खुशी मिलती है, उसको शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
– बलजिन्द्र सिंह इन्सां, ब्लॉक मलोट पंजाब।
डेरा सच्चा सौदा रूहानियत का एक ऐसा दर है जहां हमें केवल सांसारिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि रूहानियत के साथ-साथ अच्छे संस्कारों व नेक कर्म करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। यहां पर आने से इन्सान बुरे कर्मों को छोड़कर नेकी व प्रकृति की सेवा में अग्रसर होता है।
– सुखमन सिंह इन्सां, ब्लॉक मलोट पंजाब।
डेरा सच्चा सौदा से जुड़ने से पहले मेरे परिवार की हालात बहुत खराब थी। कामकाज व अच्छा व्यवसाय ना होने से बच्चों की परवरिश तो दूर की बात, दो टाइम के खाने के लिए जूूझना पड़ रहा था। जैसे ही मैंने पूज्य हजूर पिता जी से गुरूमंत्र प्राप्त कर सुमिरन करना शुरू किया तो घर के हर कार्य में बरकत होने लगी। वो दिन और आज का दिन, मैं कभी भी डेरा सच्चा सौदा की सेवा व भंडारा नहीं छोड़ता। आज जो कुछ मेरे पास है मेरे सतगुरू की कृपा से है।
– दर्शन सिंह इन्सां, ब्लॉक मवी पटियाला।
वर्षों पूर्व परमपिता जी लाडवा आए थे, जहां मैंने गुरूमंत्र की दात प्राप्त की। नामदान से पूर्व मैं सेवा सुमिरन से कोसों दूर था, लेकिन जैसे ही मैंने डेरा सच्चा सौदा से प्रीत लगाई। मेरा मन खुद-ब-खुद सेवा व मानवता भलाई के कार्योें में लग गया। बाद में मैंने दरबार की पानी समिति की पक्की सेवा ली व परिवार को भी इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। मुझे खुशी है कि आज मेरा परिवार डेरा सच्चा सौदा के दिखाए मार्ग पर चल रहा है।
– निरंजन सिंह इन्सां, ब्लॉक लाडवा कुरूक्षेत्र।
मैंने सन् 1971 में परमपिता जी से गुरूमंत्र की दात प्राप्त की थी। मैंने पूज्य पिताजी के वचनों को सुना और डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे आॅर्गेनिक फल-सब्जियां व खाद्यानों की गुणवता के फायदों को देखा तो उसके बाद मैंने घर पर प्रयोग होने वाली सब्जी, मसाला, अनाज, तेल, घी, दूध, दही व फल इत्यादी अपने खेतों में उगाने शुरू किए। जिससे परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। इसके लिए मैं हमेशा पूज्य पिताजी का शुक्रगुजार रहूंगा।
– तेजा सिंह इन्सां, ब्लॉक हनुमानगढ़ राजस्थान।
परमपिता जी लाडवा ब्लॉक में जब सत्संग फरमाने आए तो वचन फरमाए थे कि तुम तो हमें भूल जाओगे, पर हम ना तुम्हे भूलांएगे, कुछ भी करें यत्न काल के देश से छुड़ाकर ले जाएंगे। उसी समय मैंने परमपिता जी से गुरूमंत्र लिया और उनके दिखाए मार्ग पर चलने लगा। जीवन में सब कुछ ठीक ठाक था, दो तीन वर्ष पूर्व मुझे पैरालाईसिस/अधरंग हो गया। जिसके बाद मुझे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व यूपी के बड़े से बड़े अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन लाखों रूपये लगाने के बाद भी कुछ सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद मुझे डेरा सच्चा सौदा स्थित शाह सतनाम जी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में लाया गया, जहां से पूज्य गुरु जी की रहमत से कुछ ही दिनों में पूर्णतया ठीक हो गया और अब मैं पानी समिति में सेवा लगा रहा हूं। -जंगीर सिंह इन्सां, ब्लॉक लाडवा कुरूक्षेत्र।
आधुनिकता के दौर में समाज का हर इन्सान आज भी बुरे कर्मों व कुरीतियों में संलिप्त है, लेकिन डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी नेकी, रूहानियत व इन्सानियत के गुणों से लबरेज हैं। समाज में ये सब बदलाव पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के दिखाए मार्ग का ही परिणाम है। डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु, समितियां बनाकर लोगों को नशा, कुकर्मों, बुराइयों, अंध विश्वासों व कुरीतियों से दूर करने में जुटे हुए हैं।
-बघेल सिंह इन्सां, ब्लॉक बठिंडा पंजाब।
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