अपना दुखड़ा कहां रोए पंचकूला पुलिस…

Panchkula Police sachkahoon

जिले में पुलिस स्टाफ की कमी

  • डीसीपी समेत पुलिस अधिकारी भी अनेकों बार प्रदेश सरकार को बतौर चिट्ठियां लिखकर करवा चुके अवगत

सच कहूँ/चरन सिंह,पंचकूला। जिला पंचकूला पुलिस भारी अभाव में चल रहा है, जिसके चलते डीसीपी समेत पुलिस अधिकारी भी अनेकों बार प्रदेश सरकार को बतौर चिट्ठियां लिखकर अवगत करवा चुके है, परन्तु अब तक पुलिस बल बढ़ाने की नजर से कोई कार्यवाही न होना प्रदेश सरकार की अपराधों के रोकथाम की बात पर सवाल खड़ा करता है। शिवालिक विकास मंच के प्रधान व राज्य सरकार में चेयरमैन रह चुके विजय बंसल एडवोकेट ने आरटीआई में प्राप्त जानकारी से जिला पंचकूला में पुलिस की भारी कमी को उजागर किया है, जिसमें कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आए है।

पुलिस अनुसन्धान एवं विकास ब्यूरो 2013 की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक थाने में 114 पुलिस बल की आवश्यकता है तो वही आन एवरेज में प्रत्येक थाने में संख्या 20 से 30 ही है। अब आलम यह है कि पुलिस आयुक्तालय पंचकूला में कोई भी पुलिस कर्मी डेपुटेशन पर नहीं है जबकि यहां से अन्य जगह कुल 320 पुलिस कर्मी डेपुटेशन पर है तो वही काफी समय से यहां के 300 पुलिस जवान हरियाणा पुलिस मुख्यालय में व हरियाणा पुलिस की अन्य यूनिट्स में अस्थाई ड्यूटियों पर तैनात है जोकि पंचकूला पुलिस की कुल स्वीकृत नफरी का एक चौथाई यानी 25 प्रतिशत हिस्सा है। इसके साथ ही सेक्टर 14 का पुलिस थाना तो ऐसा है जहां एक भी पद स्वीकृत नहीं है तो वही सेक्टर 2-सेक्टर 6-सेक्टर 10-रामगढ़-मढ़ावाला ऐसी कुल 5 पुलिस चौंकिया है, जहां एक भी पद स्वीकृत नहीं है फिर भी वह कार्य कर रही है। सूत्रों के मुताबिक अनेको पुलिस कर्मी फोर्स बढ़ाने की बात को कहना तो चाहते है परन्तु यह भी सच है कि वह अपना दुखड़ा आखिर कहा रोए ऐसे में अब विजय बंसल उन सभी पुलिस कर्मियों व लोगों की आवाज बनकर आए है, जो जनहित में पुलिस फोर्स बढ़ाने के पक्षधर है।

अब विजय बंसल ने गृह मंत्री अनिल विज को पत्र भेजकर जिला पंचकूला में आमजन को पुलिस थानों व चौंकियो में समय पर न्याय दिलवाने तथा अपराधों की रोकथाम के साथ कानून व्यव्यस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल बढ़ाने हेतु कहा है। हालांकि जिला पंचकूला पुलिस उपायुक्त द्वारा कई मर्तबा आला अधिकारियों को जिला पंचकूला में आवश्यक पुलिस बल स्वीकृत करने के लिए पत्र लिखे गए है जबकि अब तक इस पर कोई कार्यवाही न किया जाना बेहद चिंता का विषय तो है ही वही दूसरी ओर प्रदेश सरकार व स्थानीय भाजपाई नेतृत्व का क्राइम फ्री क्षेत्र सुनिश्चित करने के दावों की पोल को खोलता है।

वर्तमान में 841 अन्य पदों की स्वीकृत बेहद जरूरी

आंकड़ो की तरफ नजर डाले तो यह साफ पता चलता है कि 1995 में कुल सेंक्शन स्ट्रेंथ पर ही अब तक पुलिस स्टाफ काम कर रहा है हालांकि सेंक्शन स्ट्रेंथ बढ़ाया जाना जरूरी है जबकि सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा 8 दिसम्बर 2020 को पुलिस अधिकारियों को भेजे गए पत्र के अनुसार 42 एसआई, 106 एएसआई, 215 एचसी, 478 कॉन्स्टेबल समेत कुल 841 पुलिस फोर्स के पद स्वीकृत करने के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है। इसके अलावा भी पुलिस उपायुक्त द्वारा 18 दिसम्बर 2020 को पत्र भेजा गया हौ। इसके साथ ही मोटर ट्रांसपोर्ट ब्रांच में कुल 100 चार पहिया वाहनों पर सिर्फ 78 जवान ही स्वीकृत है जबकि अब 240 अन्य पुलिस जवान स्वीकृत किए जाने जरूरी है। इसके साथ ही पीसीआर, मोटरसाइकिल राइडर्स, क्यूआर्टिस पर इंचार्ज ड्यूटी के लिए भी कोई पद स्वीकृत नही है ऐसे में इसके लिए भी 81 पदों की स्वीकृति जरूरी है।

जनसंख्या व क्राइम बढ़ा परन्तु भाजपा-जजपा सरकार ने पुलिस बल नहीं बढ़ाया

विजय बंसल ने बताया कि 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल ने पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन व उनके प्रयासों से पंचकूला को जिला बनाकर कुल 6 पुलिस थाने व 4 पुलिस चौकियां दी थी जबकि उस समय 1991 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल आबादी 3,10,396 थी व अब 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 5,61,293 हो गई है जबकि अब 2021 में जनसंख्या इससे भी कई ज्यादा है।अब वर्तमान में कुल 11 पुलिस थाने है व 16 पुलिस चौकियां,ऐसे में नए थाने व चौकियां तो बनगई पर लेकिन उनमें कार्य करने वाले पुलिस बल को सेंक्शन ही नहीं किया गया, जिससे अब अपराध पर रोकथाम के लिए उपयुक्त पुलिस बल ही नहीं है।

कम पुलिस बल से जिला पंचकूला के पुलिस कर्मचारी दबाव व तनाव में

विजय बंसल को डीसीपी द्वार आरटीआई में दी गई जानकारी के अनुसार 1995 की तुलना में अब जिले में जनसंख्या भी काफी बढ़ गई है तो वही औद्योगिक विकास होने के चलते भी देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आए है तो अब थानों में अपराधों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है तथा नए कानूनों के अस्तित्व में आने से श्रेणी विशेष के अनुसन्धान अधिकारियों की आवश्यकता भी बढ़ रही है। कम पुलिस बल होने के कारण पुलिस कर्मियों पर कार्य का दबाव बढ़ रहा है, जिससे कार्य ज्यादा होने के चलते तनाव भी पुलिस कर्मियों में बढ़ रहा है।

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