माँ का रो-रोकर बुरा हाल, कहा-बड़ी ही मन्नतों से मिला था एक बेटा
Jaipur। राजस्थान के नागौर में तीन दिन पहले आइस्क्रीम खाने से तीन बच्चों की मौत पर आज तीन परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। जो बच्चे तीन दिन पहले आइस्क्रीम खाकर नाच रहे थे, उनकी मौत पर आज तीन परिवार रो रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक परिवार का बेटा न जाने कितने मंदिरों में भगवान के आगे सिर पटक-पटक कर मन्नतें मांगने से पैदा हुआ था, वही चिराग बुझने से उस मां की कोख फिर से सुनी हो गई है।
जानकारी अनुसार तीन दिन पहले नागौर में तीन मासूमों की आइस्क्रीम खाने से मौत हो गई थी। एक के बाद एक तीन बच्चों की मौत ने जहां तीन परिवारों को झकझोर कर रख दिया वहीं आसपास के लोगों में एक डर भी पैदा कर दिया है। ऐसे में लोग अपने बच्चों को आइस्क्रीम खिलाने से गुरेज करने लगे हैं। जहरीली आइस्क्रीम खाने से जहां तीन बच्चों की मौत हो गई वहीं मेडिकल डिपार्टमेंट मौत के कारणों को लू का नाम दे रहा है और बच्चों की मौत में परिजनों की लापरवाही बताने में लगा हुआ है। इस घटना के जिम्मेवारों ने किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए बच्चों के किसी भी शव को पोस्टमार्टम नहीं कराया। सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित होकर रह गया। बताया जा रहा है कि घटना के पीछे क्षेत्र में आइस्क्रीम का जहरीला कारोबार, झोलाछाप डाक्टरों का इलाज और सरकार की लापरवाही शामिल है।
दूसरों के खेतों में काम करके करते हैं परिजन गुजारा
मिली जानकारी से पता चला है कि मृतक बच्चों के पिता बहुत ही गरीब हैं और दूसरों के खेतों में काम करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। 11 मई को परिवार सहित वो खेत में काम करने गए हुए थे। पीछे से सरिता और रूपाराम ने किसी कबाड़ वाले को थोड़ा सा कबाड़ बेचकर कहीं से लोकल आइस्क्रीम खरीदकर खा ली। शाम को जब परिजन खेतों से लौटे तो बच्चों ने पेट में दर्द होने की शिकायत की।
परिजनों ने इसे हल्के में ले लिया। लेकिन अगली सुबह अचानक रूपाराम की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। बच्चे का पिता उसे डाक्टर के पास ले जाने की बजाय दैवीय प्रकोप मानकर उसे एक धाम ले गया। वहां पर कोई आराम न होता देख रूपाराम को लेकर मेड़ता सिटी के सरकारी अस्पताल में ले गया। रूपाराम की गंभीर हालत को देखते हुए उसे उन्होंने उसे अजमेर के लिए रैफर कर दिया।
देर शाम वो रूपाराम को अजमेर स्थित जेएलएन अस्पताल में लेकर पहुंचे। वहां डाक्टरों ने कहा कि कुछ गलत खा लेने से तबीयत बिगड़ी है और बच्चे एडमिट कर लिया। रात भर इलाज करने पर भी रूपाराम की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ और 13 मई की सुबह ढाई बजे के करीब रूपाराम ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने शव को घर ले जाकर उसका दाह संस्कार कर दिया। संस्कार से लौटने के बाद डूंगरराम की बेटी सरिता की भी तबीयत खराब हो गई, उसे उल्टियां लगने लगी। ऐसे में तुरंत उसे मेड़ता स्थित प्राइवेट अस्पताल में ले गए, जहां प्राथमिक चिकित्सा के बाद उसे वहां से जवाब दे दिया गया। फिर वो सरिता को लेकर जोधपुर पहुंचे जहां इलाज शुरू होने से पहले ही सरिता ने दम तोड़ दिया।
झोलाछाप डाक्टर ने पिलाया था एक्सपायरी डेट का ओआरएस का घोल
13 मई को ही क्षेत्र में एक चार की बच्ची लक्ष्मी की मौत हो गई। बच्ची के पिता श्याम लाल ने बताया कि लक्ष्मी ने भी उसी दिन रूपाराम और सरिता के साथ आइस्क्रीम खाई थी। उसे भी उल्टी होने पर अस्पताल से दवाई दिलवाई थी, जिससे उसे नींद आ गई थी लेकिन अगली ही सुबह उसे पेट दर्द की शिकायत हुई और उसने दम तोड़ दिया। जानकारी में निकल कर आया है कि श्यामलाल ने अपनी बेटी को एक झोलाछाप डाक्टर को दिखाया था, जिसने उसे ओआरएस का घोल पिलाया था, जिसकी एक्सपायरी डेट हो चुकी थी और पैरासिटामोल का इंजेक्शन लगाया था।
इस संबंध में मेड़ता ब्लॉक के बीसीएमओ डॉ. सुशील दिवाकर ने बताया कि रूपाराम को तेज बुखार था। संभव है उसे तेज गर्मी से हीट स्ट्रोक हुआ होगा लेकिन फिर भी हमने मृतक बच्चे के घर से खाने-पीने के सैम्पर लिए है, उनकी जांच करने पर ही मामला साफ हो पाएगा। उन्होंने बताया कि मेड़ता सिटी में इसके अलावा दो बच्चे और भी हादसे का शिकार हुए हैं। सभी के घर की चीजों सैंपल लेकर टेस्ट के लिए जयपुर भेज दिए हैं। रिपोर्ट आने पर ही कुछ खुलासा हो पाएगा। अभी हमने पूरे ब्लॉक के सभी आइस्क्रीम बनाने वालों और बेचने वालों के सैम्पल लेने शुरू कर दिए हैं। सभी की जांच की जाएगी।