कब आएगा पैगाम
आपके आने का
रहमों – कर्म भरे करिश्में सुनाने का
दिलकश अदाओं से जाम पी जाने का
दर्द भरी दास्ताँ तुम्हे बतलाने का
स्टेज पर हो विराजमान
सत्संग फरमाने का
कब आएगा पैगाम
आपके आने का…
यूँ तो किस्से जमाने के सुनते हैं
बनावटी खुशियों की हंसी
हम हर रोज हँसते हैं
पर कब आएगा समय
दिल से मुस्कराने का
हर दिल की बात
दिल से बताने का
कार्य नया समझाने का
कब आएगा पैगाम
आपके आने का…
किसे सुनाये किस्से हम
तुम बिन कौन सहारा है
तुम्हे पा कर हुए निहाल
समय कीमती तुम्हारा है
छू न ले गम
फिर से जमाने
कब आएगा पैगाम
आपके आने का…
तेरा वास की खिड़कियों से
कौन भूल जायेगा
दिलकश आपकी अदाओं को
याद दिलाने वाली इन
सर्द हवाओं को
डान्ट के बहाने
समय वो —-
आपके प्यार लुटाने का
कब आएगा पैगाम
आपके आने का..
करूं क्यू आस किसी से
जब तूं झोलियाँ भरता हैं
मुस्करा उठी फिर से जिंदगी
तूं ऐसा रहमों -कर्म करता है
क्या भरोसा किसी पर
खुद जमाना दर्दों से भरा है
जो सचाई पर चल रहा
वही सिक्का खरा है
उठाये न सर फिर से
जमाना ये रुलाने का
कब आएगा पैगाम
आपके आने का
तुझे पा कर
और क्या पाएंगे
आने पर आपके
गीत रहमतों के गाएंगे
जो तूने रहमों कर्म किया
समय दुनिया को बताने का
कब आएगा पैगाम
आपके आने का
जल्दी आ जाओ
इन्तजार कर रहे हैं
यादों के समुंद्र में
हर रोज डूब रहें हैं
समय कब का हुआ है
दुनिया को भवपार ले जाने का
कब आएगा पैगाम
आपके आने का
@ कुलदीप स्वतंत्र
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