आजकल भीड़ की हिंसा हमारे देश के लिए आम होती जा रही है। हालात ये हैं कि कोई भी छुटपुट घटना उग्र होकर भीड़ हिंसा का रूप धारण कर जाती है। भारत मे भीड़ हिंसा इनदिनों चरम सीमा पर है। भीड़ हिंसा में बढ़ावा को देखते हुए सरकार ने कड़े नियम लगाने की पेशकश की है। भीड़ तंत्र का भयवाह रूप होना उसके भीड़ को दर्शाती है। बिहार के हाजीपुर से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया जहां कुछ लोगों ने एक महिला पर चोरी का आरोप लगाकर उसकी जमकर पिटाई कर दी। वहां बने एक मंदिर में पूजा के दौरान एक महिला के चेन की चोरी हो गई।
चेन की खोजबीन में वहां की भीड़ ने एक औरत को पकड़ लिया। शक के तौर पर वहां उपस्थित भीड़ ने औरत पर चेन के चोरी का आरोप लगा दिए। औरत के बार बार बेकसूर बताए जाने पर भी लोगों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया इस दौरान महिला को अर्धनग्न कर दिया और आरोपी घंटों तक महिला को इसी हालत में पीटते रहे। यही नहीं आरोपियो ने इस दौरान महिला के पति को भी लात-घूंसों से पीटा और बेल्ट से उसकी जमकर पिटाई कर दी। जिस वक्त हिंसा का दर्दनाक मंजर हाजीपुर में दिख रहा था उस वक्त बड़ी संख्या में लोग वहां मौजूद थे। लोगों ने मोबाइल से वीडियो बनाना उचित समझा। यह घटना ज्यादा विचलित करने वाली इसीलिए है क्योंकि एक और जहां हम महिलाओं के प्रति बढ़ रहे शोषण में पूरा भारतीय समाज एक हो रहे हैं वहीं ऐसी घटना को अंजाम आखिर कौन दे रहा है।
कोई भी घटना जो महिलाओं के शोषण को दर्शाता है, ऐसी घटनाओं में पूरा भारतीय समाज एक होकर लड़ता दिखता है। चाहे वो कश्मीर में हो या कन्याकुमारी में ऐसी घटनाओं के प्रति गुस्सा हर राज्य में प्रकट होता देखा जा सकता है। दिल्ली में किसी महिला के शोषण का गुस्सा झारखण्ड के एक जिले में दिखता है। जिससे पता चलता है कि भारतीय समाज अब महिलाओं के प्रति जागरूक हो रहा है और उनका दर्द समझ रहा है। वहीं बिहार की ऐसी घटना में विचारणीय प्रशन उठना लाजमी है। एक और जहां हम मूर्ति की देवियों को वस्त्र पहनाने में लोग खुशी की बात समझते हैं वहीं दूसरी और महिलाओं को निर्वस्त्र करना शर्म की बात है। ये सोचने वाली बात है कि महिला शोषण के खिलाफ इतने लोग पैदा होते हैं फिर ये सामूहिक शोषण में कौन भागदारी लेता है। क्या भीड़तंत्र में भागीदारी लेने आंतकवादी ग्रुप आता है? या हमारे समाज में ही पैदा हुए कुछ लोग ऐसी घटनाओं को अंजाम दे देते हैं? इसका जवाब आपको स्वत: ही मिल जाएंगे। हर बात पर सरकार को कोसना सही नहीं होता, हम अपने कामों को धरातल पर लाएं तो बेहतर भारत का निर्माण होगा और इसी में देश की भलाई होगी।
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