चलचित्र यानी सिनेमा के आविष्कार का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं जाता। इसके विकास मे कई आविष्कारकों का योगदान रहा है। लेकिन इतना अवश्य है कि चलचित्र के जन्म का श्रेय किसी हद तक लुमिये बधुओं (फ्रांस) को दिया जा सकता है। हालाकि लुमिये बधुओं से पहले एडीसन, माइब्रिज तथा फ्रीज ग्रीन आदि अनेक वैज्ञानिको ने सिनेमा क्षेत्र मे कार्य किया। चलचित्र या सिनेमा की कहानी 1830 से आरंभ होती है। अनेक व्यक्तियों ने ऐसे घूमने वाले चक्र बनाए जिनके ऊपर चित्र बने होते थे और जब उन्हे घुमाया जाता था तो ये चित्र चलते-फिरते प्रतीत होते थे। सिनेमा का यह आरम्भिक रूप था।
इसके बाद अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एडीसन ने काइनेटो स्कोप नामक एक यंत्र बनाया। इसमे लगाने के लिए उसने 158 प्लेटो पर विभिन्न क्रमबद्ध मुद्राओ के फोटो खींचे, जो एक प्रणय-दृष्य से सबंधित थे। गत्ते पर छपे इन चित्रों की एक रील बनाकर इस यंत्र मे फिट की गयी। एक गोल छेद में से जब ये चित्र तेजी से एक-एक कर दर्शक की दृष्टि से गुजरते, तो इनमे गति के कारण सजीवता आ जाती और स्त्री-पुरुष चलते-फिरते नजर आते।
किसने किया सिनेमा का आविष्कार
1880-90 में ब्रिस्टल के रहने वाले विलियम फ्रीज ग्रीन नामक अंग्रेज फोटोग्राफर ने चलते फिरते चित्रों पर अनेक प्रयोग किए। उन्होंने चित्रों के लिए प्रकाशग्राही इमल्सन के लेप वाले सेलुलाइड फिल्मों का इस्तेमालकिया। उन्होंने एक फर्म से अपना कैमरा और प्रोजेक्टर बनवाया और एक पार्क में जाकर कैमरे से कुछ फुट लम्बी एक फिल्म तैयार की। उसे अपनी प्रयोगशाला में धोकर उन्होने जब फिल्म से प्रोजेक्टर पर चढ़ाकर पर्दे पर देखा, तो वे खुशी से उछल पडे।
पर्दे पर बच्चे स्त्री-पुरुष, घोड़े आदि दौडतें भागते नजर आ रहे थे जैसे वे सचमुच के हो। परन्तु विलियम फ्रीज ग्रीन को अपने आविष्कार का विकास करने और पेटेंट कराने के लिए तत्काल धन न मिल सका। आर्थिक दबाव बढने से उन्होंने अपना ध्यान इस सिनेमा प्रोजेक्टर से हटा लिया ओर दूसरे कार्यो में लग गये।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।