…जब पूजनीय बेपरवाह सांईं शाह मस्ताना जी महाराज रानियां पधारे!

Shah Mastana Ji Maharaj
...जब पूजनीय बेपरवाह सांईं शाह मस्ताना जी महाराज रानियां पधारे!

पूजनीय बेपरवाह सांईं शाह मस्ताना जी महाराज रानियां पधारे हुए थे। रानियां में साध-संगत की सुविधा हेतु कमरों के ऊपर चौबारे बनाने की सेवा चल रही थी। रानियां के थानेदार का रिश्तेदार चौधरी रण सिंह (रिटायर्ड डीएसपी) महम से रानियां अपने बहनोई से मिलने आया हुआ था। चौधरी ने थानेदार से पूछा कि आपके इलाके मैं कौनसी ऐसी चीज है जो देखने लायक है। थानेदार ने पूजनीय बेपरवाह सांईं शाह मस्ताना जी महाराज की महिमा बताते हुए उसे कहा कि आप बहुत महात्माओं से मिले होंगे। आप आज पूजनीय बेपरवाह सांईं शाह मस्ताना जी महाराज से मिलें। आप वहां सच्ची रूहानियत पाएंगे, जिसकी आपको तलाश है। Shah Mastana Ji Maharaj

डीएसपी साहिब बोले चाय मैं बाद में पीऊंगा, पहले बाबा जी के दर्शन करवाओ

चौधरी रण सिंह को बेपरवाह जी से मिलने का इच्छा पैदा हुई। वह बोले कि मुुझे अभी दर्शन करवाओ। थानेदार ने कहा कि मुझे इस समय जरूरी काम है। आप खुद मिल आएं। डीएसपी साहिब डेरे में आ गए। सेवादारों ने सारा डेरा दिखाया और चाय के लिए पूछा। डीएसपी साहिब बोले चाय मैं बाद में पीऊंगा, पहले बाबा जी के दर्शन करवाओ। मेरा बहनोई यहां थानेदार है। उसने पूजनीय बेपरवाई सांईं शाह मस्ताना जी महाराज की बहुत ही प्रशंसा की है। मुझे आप बाबा जी से मिलवाओ। दादू बागड़ी सेवादार उस समय पहरे पर था। सेवादार ने नम्रतापूर्वक कहा इस समय शहनशाह जी भजन-सुमिरन पर बैठे हैैं। आप बैठकर इंतजार करें। चौधरी रण सिंह को घमंड था कि मुुझे कौन रोक सकता है? मेरा बहनोई थानेदार लगा हुआ है इसलिए जबरदस्ती तेरावास में जाने लगा।

सेवादार ने हाथ जोड़कर विनती की कि आप थोड़ी देर इंतजार करें। परंतु वह नहीं माना और तेरावास में जाने की जिद करने लगा। इसी बीच मामला भड़क गया और डीएसपी तैश में आकर कहने लगा कि अभी थाने जाकर थानेदार को साथ लाकर तुझे दिखाता हूं। तूने मुझे कैसे रोका? डीएसपी साहिब चले गए। पूजनीय बेपरवाह सांईं जी ने तेरावास से बाहर आकर सेवादारों से सारी बात पूछी। दादू ने बताया कि वह जबरदस्ती करने लगा तो मैंने उसे रोक दिया। आप जी मौन रहे और दरबार में घूमते रहे। थोड़ी देर बाद डीएसपी और थानेदार दोनों डेरे में आ गए। आप जी ने सेवादारों को फरमाया, ‘‘ये डीएसपी हैं, इनके लिए कुर्सियां लाओ।’’ चौधरी रण सिंह यह सुनकर हैरान हो गया। कुर्सियां आ गई और कुर्सियों पर बैठने को कहा। डीएसपी अहंकारवश कुछ बोलने लगा। Shah Mastana Ji Maharaj

शहनशाह जी ने कहा, ‘‘पहले हमारी बात सुनो

शहनशाह जी ने कहा, ‘‘पहले हमारी बात सुनो, उसके बाद आपकी बात सुनेंगे।’’ आप पंचायत करो और बताओ यदि कोई भी आदमी किसी के घर में बिना आज्ञा घुसने की कोशिश करे, उस पर आपका कानून क्या कहता है? यह सुनकर दोनों बहुत ही शर्मिंदा हुए। आप जी ने उनके लिए चाय मंगवाई व खाने के लिए प्रसाद दिया। जिसे ग्रहण करने से उनका दिल एकदम से बदल गया। प्यारे सतगुरु जी ने चौधरी साहिब पर मेहर भरी अपनी दृष्टि डाली और वचन फरमाए। रामनाम की चर्चा सुनकर वह बहुत ही खुश हुए। अपनी गलती की हाथ जोड़कर बार-बार क्षमा मांगने लगे।

शहनशाह जी ने फरमाया, ‘‘आज रात को मजलिस है, आप मजलिस में आएं।’’ जब रात को दोनों मजलिस में आए तो आपजी ने उनके लिए कुर्सियां मंगवाई। डीएसपी साहिब नम्रतापूर्वक बोले कि मैं साध-संगत के साथ ही मिलकर बैठूंगा। वह मजलिस सुनकर और भी मस्त हो गया। शहनशाह जी से प्रार्थना की कि मैं इस लायक नहीं था आप जी ने बड़ी दया मुझ पर की है। मुझे नाम-शब्द देने की कृपा करें। दाता! शहनशाह जी ने उसके प्रेम को देखते हुए फरमाया, ‘‘नाम-दान कल देंगे।’’ दूसरे दिन नामदान प्राप्त कर वह बहुत प्रसन्न हुआ और प्यारे सतगुरू जी का धन्यवाद करता हुआ आज्ञा लेकर वापिस गांव चला गया। Shah Mastana Ji Maharaj

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