जब सतगुरु ने पहले ही अन्तिम समय के बारे बताया…

Satguru sachkahoon

प्रेमी जगदीश कुमार इन्सां गांव सिवाहा, जिला जींद से (Satguru) पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रत्यक्ष रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:- जगदीश कुमार इन्सां बताते हैं उनकी धर्मपत्नी को पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पूर्व में ही मौत का आभास करवा दिया था। जगदीश कुमार बताते हैं कि धर्मपत्नी फूलपति देवी इन्सां तथा वह दोनों डेरा सच्चा सौदा, सरसा दरबार में सेवा करते थे।

दोनों का एक साथ डेरा सच्चा सौदा में आना-जाना होता था। फूलपति देवी इन्सां (Satguru) कई सालों से लंगर घर में सेवा करती आ रही थी। यही नहीं, उसने अपने अंतिम समय में भी 29 सिंतबर से 6 अक्तूबर 2015 तक नए धाम में सेवा की। अगले दिन 7 अक्तूबर की शाम को शाह मस्ताना जी धाम से वह दोनों घर के लिए रवाना हुए। उस दौरान फूलपति ने अपने साथ सेवा करने वाली बहनों को बताया कि यह मेरी आखिरी सेवा है। सतगुरू ने उसे आभास करवा दिया था कि उसका अंतिम समय नजदीक है। घर आने के बाद फूलपति ने अपने माता-पिता से मिलने की इच्छा जताई, जिसके बाद हम 17 अक्तूबर को गांव हथवाला चले गए।

तीन दिन वहां रहने के बाद 20 अक्तूबर को फिर वापिस गांव सिवाहा आ गए। घर पहुंचते ही फूलपति ने कहा कि मैंने जो फोटो बनवाई थी, वो मंगवा लो। दरअसल उन्होंने कुछ दिन पहले ही फोटोग्राफर से फोटो बनवाई थी। हमनें फोटोग्राफर कर्मबीर गांव बराड़खेड़ा, जिला जींद से फोन करके फोटो लाने के लिए कह दिया। फू लपति ने पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए मरणोपरांत शरीरदान करने का प्रण लिया हुआ था और इस संबंध में फार्म भी भरा हुआ था।

22 अक्तूबर की रात को 12 बजे अचानक उन्हें सतगुरू (Satguru) की रहमत से शरीरदान के बारे में ख्याल आया। इस दौरान फूलपति ने मुझे शरीरदान का फार्म लाने के लिए कहा। मैंने उसको जब फार्म लाकर दिया तो उसने कहा कि देखो, मैंने यह शरीरदान का फार्म भरा हुआ है, मेरा शरीरदान कर देना। मेरे मरणोंपरांत खंड जुलाना फोन कर देना ताकि सेवादार पार्थिव शरीर को समय पर दान कर सकें।

इन्हीं विचारों के बीच अगली सुबह फूलपति ने दुनियावी लेन-देन का हिसाब कर दिया। राजू की बहू को 70 रूपये देने की बात कहते हुए उसने बताया कि सूट सिलवाने के लिए टेलर्स सीला को 950 रूपये देने हैं। हालांकि उनका स्वास्थ्य ठीक था लेकिन उन्हें आभास हो चुका था कि अब बस इस दुनिया से जाने की तैयारी है।

24 अक्तूबर को फूलपति सभी परिवार वालों से मिली। शाम को 9 बजे जब बड़ा बेटा सुरेन्द्र घर आया तो उसने कहा कि मां जी, आपकी आवाज कुछ बदली सी लग रही है, कल आपको रोहतक पीजीआई चैकअप करवाने के लिए ले चलेंगे, तब वह कहने लगी कि मेरा तो टाईम आ गया है, मुझे कहीं भी ले जाने की जरूरत नहीं है, मेरा सब लेन-देन चुकता हो गया। जो दो लेन-देन रह गए हैं उनके बारे में मैंने जगदीश कुमार को बता दिया है। उसी रात करीब 1:30 बजे फूलपति ने पीने के लिए गर्म पानी मांगा, पानी पीकर बाहर कुर्सी पर बैठ गई। उस दौरान हम दोनों पति-पत्नी आस पास ही बैठे थे।

फूलपति कहने लगी कि ऐसे लग रहा है जैसे मेरे घुटनों की जान सी निकल रही है। बातें करते-करते ही हम दोनों ने चाय पी। कुछ देर बाद ही बेटा सुरेन्द्र हमारे पास आ गया और कहने लगा- मां जी तैयार हो जाओ, सुबह वाली गाड़ी से रोहतक चलेंगे, मैं भी नहाकर तैयार हो जाता हूं। फूलपति कहने लगी, बेटा तो जिद्द कर रहा है, मुझे कहीं भी ले जाने की जरूरत नहीं है।

मेरा अंतिम समय आ चुका है। इसी बीच मैं थोड़ी देर टहलने का बहाना सा बनाकर घूमने चला गया। करीब 3:55 बजे जब मैंने वापिस आकर देखा तो फूलपति इन्सां चारपाई पर आराम से लेटी हुई थी। वो अपने मालिक सतगुरू (Satguru) जी गोद में जा समाई थी। पूज्य गुरू जी के चरणों में अरदास है कि परिवार का सतगुरू के प्रति ऐसा प्रेम हमेशा ही बना रहे जी।

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