द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में ताइवान पर चीन का आधिपत्य आज ही के दिन (25 अक्टूबर) स्थापित हुआ था। जापानी सेना ने चीन गणराज्य की सेना के सामने हथियार डाले थे। इससे पहले ताइवान प्रायद्वीप पर जापान का कब्जा था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 25 अक्टूबर 1945 को जापान ने ताइवान का अधिकार चीन गणराज्य के हाथों सौंप दिया। चीन में रिपब्लिक आॅफ चाइना की स्थापना 1912 में हुई थी। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद गृह युद्ध के खत्म होने पर कम्युनिस्ट पार्टी ने मेनलैंड चाइना पर पूरी तरह कब्जा कर लिया और रिपब्लिक आॅफ चाइना को मेनलैंड छोड़कर ताइवान जाना पड़ा।
चीन गणराज्य का अधिकार क्षेत्र ताइवान और उसके आसपास के कुछ द्वीपों तक सीमित हो गया। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से ही चीन गणराज्य संयुक्त राष्ट्र में चीन का प्रतिनिधित्व कर रहा था। लेकिन 1971 में यह अधिकार साम्यवादी चीन के पास चला गया। धीरे धीरे दूसरे देशों के बीच भी चीन गणराज्य के रूप में इसकी पहचान घटती गई। इस समय इसे ताइवान के रूप में ही जाना जाता है। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ताइवान ने काफी आर्थिक तरक्की की। अस्सी और नब्बे के दशक में ताइवान में कई लोकतांत्रिक पार्टियों का विकास हुआ। आर्थिक दृष्टि से ताइवान इस समय एशिया के कुछ प्रमुख देशों में माना जाता है। यह विश्व व्यापार संगठन और एशिया पैसिफिक आर्थिक सहकारिता का सदस्य है। आर्थिक मामलों में ताइवान का तकनीक उद्योग दुनिया भर में अहम है, यह दुनिया की 19वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती है।
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