नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पेगासस जासूसी मामले में समाचार पत्रों की कतरनों के आधार पर याचिका दायर करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा की गुरुवार को जबरदस्त खिंचाई की। शर्मा पेगासस मामले में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले पहले याचिकाकर्ता हैं। उनके बाद ही एन राम सहित अन्य पत्रकारों एवं सामाजिक कार्यकतार्ओं ने याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान शर्मा से कहा कि उनकी जनहित याचिका अखबारों की कतरनों पर आधारित है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि शर्मा की याचिका में प्रतिवादियों के नाम दिये गये हैं और वह (न्यायालय) इस प्रकार नाम से कोई नोटिस जारी नहीं कर सकता। शर्मा ने पेगासस जासूसी मामले की अदालत की निगरानी वाली विशेष जांच संबंधी याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को प्रतिवादी बनाया है। खंडपीठ ने कहा, ‘आपने कुछ व्यक्तियों (प्रधानमंत्री और गृह मंत्री) को याचिका में प्रतिवादी के रूप में शामिल किया है। हम इस तरह से नोटिस जारी नहीं कर सकते।
पीठ ने कहा, ‘यह पीआईएल दायर करने का तरीका नहीं है। न्यूजपेपर क्लिपिंग के अलावा अन्य सामग्री कहां है? शर्मा ने दलील दी कि उनकी याचिका तथ्यों पर आधारित है, न कि केवल समाचार पत्रों की कतरन पर। पीठ द्वारा उनकी याचिका में व्यक्तियों को प्रतिवादी बनाने पर आपत्ति जताए जाने के बाद, शर्मा ने अपनी याचिका को संशोधित किये जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया।
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