किसानों के बहुत काम आएंगी यह अहम जानकारियां
हिसार। लो जी, एक बार फिर आ गया है गेहूं की कटाई का समय। कुछ जगह तो गेहूं कटाई का काम शुरु हो चुका है और अधिकतर जगह (Wheat harvesting ) किसान कटाई की तैयारी कर रहे हैं। गेहूं की कुछ किस्मों में अधिक पकने पर दाने झड़ने लगते हैं तथा बालियां टूटकर गिरने लगती हैं। इससे उपज घट जाती है। कटाई में देरी करने पर चूहों व पक्षियों द्वारा भी हानि पहुंचाई जाती है। इसलिए फसल की समय पर कटाई तथा दुर्घटनाओं से बचाव के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है।
आज हम आपको बताएंगे कि गेहूं कटाई से पहले किसान क्या-क्या सावधानियां बरतें ताकि तनिक भी नुकसान न हो। कटाई से पहले यह जांच लें कि गेहूं पूरी तरह से पका है या नहीं। बाली को हाथ में मसलकर देखें कि इसमें 10 से 12 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं हो। कुछ पौधे कटाई के समय पर भी हरे रह जाते हैं, उनको अलग कर देना चाहिए। उपजाए गेहूं में कुछ मात्रा अगले साल बीजाई के काम लेने के लिए अलग निकालकर सुरक्षित रख लेने चाहिए। इससे बाजार के हल्के स्तर के बीजों के बजाय खुद के विश्वसनीय बीजों को काम में ले सकेंगे।
यह है कटाई का सही समय
गेहूं की कटाई का वैसे तो कोई तय समय नहीं होता, क्योंकि इसकी बुआई कब और कौन से बीज से की है, उसी पर कटाई का समय निर्भर करता है। फिर भी दाने की नमी जांच लें, ताकि दाने के सिकुड़ने की स्थिति नहीं रहे। आमतौर पर 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कटाई हो जानी चाहिए। गेहूं की कटाई के बाद और थ्रेसिंग से पहले गेहूं की पूलियां बनाकर खेत में सूखने के लिए रख दें। पूली बांधने के लिए इन्हीं पौधों को एक दिन भिगोकर रखें और अगले दिन पूलिया बांध लें। इसके बाद थ्रेसिंग करें।
कटाई में सावधानी
फसल पकने पर प्राय: पत्तियां सूखने लगती हैं। बालियां सुनहरी व पीली पड़ जाती हैं। हाथ से कटाई करनी हो तो दाने में नमी 25 से 30 प्रतिशत तथा कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई के समय नमी 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। हाथ से कटाई अच्छी दरातियों से करनी चाहिए। रीपर बाइंडर मशीन से भी कटाई कर सकते हैं। काटने के बाद फसल को अच्छी तरह सुखाकर एकत्र करें।
भंडारण में बरतें सावधानियां
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक बीजों को अगले साल तक सुरक्षित रखने के लिए कट्टों की सिलाई ठीक से करें। भंडार में रखने से पहले भंडारगृह में इंसेक्टीसाइट्स के रूप में रोगर का स्प्रे करें। सूखने के बाद वहां गेहूं के कट्टे रखें। कट्टों के बीच सेल्फॉस भी रखे। इसके बाद भंडार को सील कर दे, ताकि उसमें कीट या जीवाणु न घुस सकें। जुलाई में पहली बारिश के बाद भंडार को संभाल लें और फिर सेल्फॉस रखें ताकि जीवाणु नहीं आएं। इस बार मौसम में बदलाव का असर आ सकता है।
गेहूं की फसल 30 डिग्री तक तापमान में ही सुरक्षित और अच्छी मानी जाती है। 35 डिग्री तापमान होने पर नुकसान हो सकता है। अगर किसानों ने आरजे 4238, आरजे 4083, आरजे 4037 या आरजे 4079 किस्में बोयी हैं तो ये किस्में गर्मी झेलने में सक्षम है, इन पर प्रभाव नहीं आएगा।
गहाई या थ्रैसिंग
कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई व गहाई एक साल में हो जाती है। उसके बाद खेतों में स्ट्रा रीपर चलवाकर भूसा बना लें। हाथ से कटाई की गई हो तो गहाई के लिए उन्नत तकनीक से बनाए थ्रैसर का इस्तेमाल करें। थ्रैच्सग के दौरान थोड़ी सी चूक से बड़ी हानि हो सकती है। छोटी सी चिंगारी से हजारों टन अनाज व चारा जलकर नष्ट हो सकता है। किसान दुर्घटना का शिकार हो कसता है।
आग व बिजली लाइन से सावधान
कटाई व गहाई में थोड़ी सी सावधानी बरत कर किसान दुर्घटनाओं और खाद्यान्न के नुकसान से बचाव कर सकते हैं। कटाई के बाद फसल को एक ही जगह एकत्र न रखें और रेलवे लाइन, सड़क तथा बिजली लाइन से दूर रखें। खेतों में बीड़ी सिगरेट का सेवन न तो खुद करें और दूसरों को भी रोकें। आग जलाते वक्त भी सावधानी बरतना जरूरी है क्योंकि एक मामूली से चिंगारी हजारों एकड़ को चंद मिनटों में राख कर सकती है।
मशीन का पतनाला 90 सेमी लंबा तथा 45 सेमी ढका होना चाहिए। ऐसी मशीन का इस्तेमाल करें, जिसमें कटाई वाली फसल स्वत: ही अंदर चली जाए। थ्रैंसिग के दौरान नशा व धूमपान आदि नहीं करना चाहिए। कपड़े भी ढीले-ढाले न हों और हाथ में कड़ा आदि न पहने। आग से बचाव के लिए खलिहान में पानी व रेत का प्रबंध रखें। ट्रैक्टर को ओवरलोड न चलाएं और उसके साइलेंसर पर च्चगारी रोधक लगाएं।
बीज को इस तरह रखें संरक्षित
वरिष्ठ गेहूं प्रजनक डॉ. होशियार सिंह का कहना है कि बुआई के समय ध्यान रखें कि अच्छी किस्म और सामान्य किस्म की अलग-अलग बुआई करनी चाहिए। कटाई के बाद इनकी पूलियां भी अलग रखे। अगर किसी कारण से मिक्सिंग हो गई है तो थ्रेसिंग के समय पहले 40-50 किलो गेहूं अलग कर देना चाहिए। इसके बाद निकलने वाले अच्छी किस्म के गेहूं को अपनी जरूरत के अनुसार कट्टों में भर लें।
-एग्रीकल्चर डेस्क
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