छोटे-छोटे नोटों की तो, पोट सी है बंधी पूरी
नोट में क्या खोट हुआ! दूर से बाजार बचे।
पांच-पांच की भी जांच, एक बार हो चुकी है
एक और दो ही गये, बाकी कै हजार बचे!
बड़ा ही पड़ा है श्वांस, आईसीयू में है खींचे
किसी दूल्हे के गले में, अब ना ये हार जंचे।
संजय बघियाड़