लॉकडाउन के बाद क्या होगा?

What will happen after lockdown?
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने जूम कांफ्रैसिंग के सहारे विपक्ष की चिंताओं को देश के सामने रखा जोकि होना भी चाहिए, इस दौरान उन्होंने साफ कहा कि वह मोदी जी के तमाम प्रयासों की न केवल प्रशंसा करते हैं बल्कि उनके साथ हैं। फिर भी देश को सोचना होगा कि लॉकडाउन एक ‘पॉज बटन’ के जैसा है। जैसा कि किसी गाने-वीडियो को आप कुछ देर के लिए रोक लेते हैं। कोरोना के लिए अभी तक कोई सटीक दवा या वैक्सीन नहीं बन सकी है। अत: यह बीमारी जरा सी चूक रह जाने पर फिर-फिर प्रकट होगी जैसा कि चीन में अभी हो रहा है वहां वुहान से कोरोना का सफाया किया तब वह रूस सीमा से सटे चीनी प्रांत में फैलने लगा है। भारत के साथ भी यह सब हो सकता है, कश्मीर से सेना को मिल रहे इनपुट्स साफ ईशारा कर रहे हैं कि पाकिस्तान कश्मीर के माध्यम से व नेपाल के रास्ते कोरोना वायरस को देश में भेजने के प्रयत्न कर रहा है। कोरोना अब विश्व में दो व इससे ज्यादा देशों के बीच जंग का हथियार बन चुका है। भारत को अब इस अदृश्य दुश्मन के खिलाफ सामाजिक एवं चिकित्सकीय प्रबंध करने होंगे।
सामाजिक प्रबंधों में देश के करीब 40 करोड़ लोगों का भरण-पोषण एवं साफ सफाई एक बड़ी चुनौती है, अभी लॉकडाउन के वक्त इन 40 करोड़ गरीबों को सरकार, समाजसेवी संस्थाएं, उद्योग जगत, अड़ोसी-पड़ोसी मिलकर संभाल रहे हैं। लेकिन इनका स्थाई हल करना होगा, ताकि वह भूखे न रहें एवं स्वस्थ रहें। दूसरा अब स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए हर वर्ष कारखानों, बड़े निर्माणों, सेना जैसा ही बजट खर्च करना होगा। देश के गांव-गांव, शहर-शहर को चिकित्सा के क्षेत्र में पूर्ण चौक-चौकबंध करना होगा। चूंकि बदलते विश्व में आगे खतरे और बड़े आ सकते हैं इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता। अभी लॉकडाउन की स्थिति में प्रशासन एवं सरकार के लाख प्रयत्नों के बावजूद संक्रमण का खतरा रोज-रोज मंडरा रहा है|
देश को शिफ्टों में चलाने की व्यवस्था विकसित करनी होगी ताकि किसी व्यवसाय, क्षेत्र में ज्यादा संक्रमण फैलता है तब उसे कुछ दिन लॉकडाउन में रखकर बाकी व्यवसाय एवं क्षेत्रों को चलाया जाए। आमजन को समझ आ जानी चाहिए कि सामाजिक दूरी, हाथ-मुंह की साफ-सफाई एवं बिना मतलब घर से बाहर न जाने की आदतें भावी जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हो गई हैं। घर व देश की सुरक्षा इसी में है कि आमजन स्वयं समस्या का हिस्सा न बनें। आतंकी घटनाओं से बचने के लिए नागरिकों को सिखाया जाता था कि लावारिस सामान रेडियो, टिफिन, सूटकेस आदि न छुएं वह बम हो सकता है। अब देश की सुरक्षा इसी में है कि बेमतलब कुछ न छुंए, बिना मतलब कहीं न जाएं, मुंह ढ़कें, हाथ धोएं, नहीं आप भी घातक वायरस की चपेट में आ सकते हैं।
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