सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब
- ऑक्सीजन आबंटन फार्मूले में सुधार की बताई जरूरत
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय में वीरवार को ऑक्सीजन संकट को लेकर सुनवाई हुई। केन्द्र ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली को गत दिवस 700 एमटी ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई गई है। इससे पूर्व दिल्ली को 585 एमटी ऑक्सीजन दी थी। उन्होंने बताया कि बीती रात्रि दिल्ली के 50 से अधिक अस्पतालों का एक सर्वे किया गया था। सरकार ने कोर्ट को बताया कि देरी का कारण टैंकर्स हैं। सर्वे में पाया गया है कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन का जरूरी स्टॉक मौजूद है।
कोर्ट को बताया गया कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन से वीरवार को 280 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आएगी। साथ ही केन्द्र ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली के अलावा कई अन्य राज्य भी हैं, जिनमें ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है। इनमें राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। सुनवाई में शीर्ष न्यायालय ने सवाल उठाया कि क्या अस्पतालों के पास ऑक्सीजन को स्टोर करने की सुविधा उपलब्ध है। कोर्ट पहले ही केंद्र को 3 मई तक बफर स्टॉक तैयार रखने के लिए आदेश दे चुकी है। कोर्ट ने कहा कि अगर पर्याप्त स्टॉक रहेगा तो पैनिक के हालात नहीं बनेंगे। शीर्ष न्यायालय में स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुमिता दावरा ने बताया कि कुल टैंकर के 53% को दिल्ली में लगाया गया है। इसके साथ ही 6 कंटेनर्स भी लगे हैं, जिनकी संख्या अगले कुछ दिन में 24 हो जाएगी।
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डॉक्टर की मौत पर जताई चिंता
इसके साथ ही केन्द्र ने कोर्ट को अवगत करवाया कि दिल्ली के सभी अस्पताल कोविड स्पेशल नहीं हैं, कुछ छोटे अस्पताल भी हैं, जिनके पास ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता नहीं है। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी के चलते एक डॉक्टर की मौत पर ध्यान दिलाया, कोर्ट ने कहा कि बतरा अस्पताल में तीन घंटे देरी से ऑक्सीजन सप्लाई हुई, जिसके कारण एक वरिष्ठ डॉक्टर की जान चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को ताकिद किया कि ऑक्सीजन आवंटन के फॉर्मूले को पूरी तरह से सुधारने की जरूरत है।
तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित होंगे तो क्या करेंगे?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कल को कोरोना संक्रमण के मामले और ज्यादा बढ़ जाते हैं तो आप क्या करेंगे। अभी सप्लाई टैंकर्स पर निर्भर है, लेकिन कल को जब टैंकर्स नहीं होंगे तो क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि अभी दूसरी लहर सिर पर है, लेकिन हम यही तय कर रहे हैं कि क्या होना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरी लहर में बच्चों पर भी असर होगा। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि तीसरी लहर के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। युवाओं का ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन करना होगा, अगर बच्चों पर असर बढ़ता है तो मुश्किल और बढ़ जाएगी, क्योंकि बच्चे स्वयं तो अस्पताल नहीं जा सकते।