पाकिस्तान ने पुन: बर्बरता की सारी सीमाएँ लांघी हैं। एक बार फिर से पाकिस्तान ने बीएसएफ के शहीद जवान की न सिर्फ हत्या की बल्कि उनके शव के साथ बर्बरता भी की। शहीद हेड कॉन्स्टेबल नरेन्द्र कुमार के सीने पर तीन गोलियाँ मारी गई। कंधा और पैर काट दिए गए,गला रेत दिया गया। इसके अलावा शहीद की आँखों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पीठ पर करंट लगाने से झुलसने के भी निशान हैं। यह अत्यंत बर्बर एवं पाशविक कृत्य है। भारतीय शहीद के शव को क्षत-विक्षत पाकिस्तान की बैट टीम ने किया है। ज्ञात हो पिछले वर्ष भी पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम ने भारतीय सैनिकों के दो शवों को बुरी तरह से क्षत-विक्षत कर दिया था। इसके अतिरिक्त कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन ने कश्मीर के तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर हत्या कर दी तथा हिजबुल मुजाहिद्दीन कश्मीर घाटी में स्पेशल पुलिस अफसरों पर इस्तीफा देने का दबाव बना रहा है।
स्पष्ट है कि आतंकवादी पुलिस का मनोबल गिराने तथा लोगों में डर पैदा करने के लिए इस प्रकार की धमकियाँ दे रहे हैं। जम्मू कश्मीर में जिस प्रकार पहले शहीद जवान के शव को क्षत-विक्षत किया जाता है और बाद में पुलिसकर्मियों को अगवा कर आतंकवादी हत्या कर देते हैं,उससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान एक तरफ सीमा पर तथा दूसरी ओर जम्मू कश्मीर के भीतर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देकर कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का प्रयत्न कर रहा है। पाकिस्तान का यह घिनौना रुप तब आया है,जब एक ओर पाकिस्तान के नव निर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान भारत से बार-बार शांति वार्ता की अपील कर रहे थे। एक तरफ रिश्ते सुधारने के लिए वार्ता का प्रस्ताव और दूसरी तरफ आतंकियोंं को बढ़ावा देने की सरकारी नीति को जारी रखना।
पाकिस्तान की इस नीति में कोई बदलाव नहीं आते देख भारत ने अगले दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 24 घंटे पहले ही सुषमा स्वराज और शाह महमूद कुरैशी के बीच बैठक का प्रस्ताव आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था। बदली हुई परिस्थितियों में अब इन मुलाकातों का कोई औचित्य नहीं रह गया था। प्रदेश में नए राज्यपाल की तैनाती के बाद उम्मीद बंधी थी कि राज्य में अब हालात सुधरेंगे। लेकिन स्थिति और गंभीर होती जा रही है। आतंकवादी अब ऐसे पुलिस वालों और सैनिकों को निशाना बना रहे हैं,जो छुट्टी लेकर अपने परिवार वालों से मिलने गाँव आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि छुट्टी पर घर जाने वाले जवानों की सुरक्षा के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है।
पाकिस्तान ने एलओसी पर भारतीय सैनिकों पर हमला करने के लिए जिस बैट टीम का प्रयोग किया,वह दुनिया भर में किसी फौज का अकेला दस्ता है,जिसमें चुन चुनकर आतंकियों की भर्ती की जाती है। बैट खासतौर से पेट्रोलिंग कर रहे जवानों पर घात लगाकर हमला करती है और उनके शवों को क्षत- विक्षत कर देती है। 2011 में बैट ने कुपवाड़ा में कुमाऊँ रेजीमेंट के जवान के शव को क्षत- विक्षत कर दिया था। इसके बाद भारतीय सेना ने आॅपरेशन जिंजर में 8 पाकिस्तानी जवानों को ढेर कर दिया था। 2013 में बैट ने पुंछ में जवान हेमराज और सुधाकर का सिर कलम कर दिया था। उसके बाद सेना ने पाकिस्तान के करीब 20 जवानों को ढेर कर भारतीय सैनिकों की शहादत का बदला लिया था। वर्ष 2016 के भारत के सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान ने ज्यादा सीख नहीं ली है। आवश्यकता है पाकिस्तान के विरुद्ध और भी ऐसी कठोर कार्यवाही की,जिससे पाकिस्तान पुन : ऐसी कार्यवाही के लिए न सोचे। पाकिस्तान के इस प्रकार के कृत्यों से स्पष्ट है कि पाकिस्तानी सेना में कट्टरता उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। शांति तो क्या युद्ध के समय भी शत्रु देश के सैनिकों के शव के साथ कोई देश ऐसा व्यवहार नहीं करता है। यह विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का भी उल्लंघन है।
भारतीय पाकिस्तान नीति सवालों के घेरे में?
कायदे से सभ्य समाज को विचलित करने वाली इस घटना के बाद ही पाकिस्तान के साथ विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता खारिज कर देना चाहिए। जिस तरह से 24 घंटे में वार्ता करने और फिर उसे रद्द करने का निर्णय लिया गया,वह भारत की पाकिस्तान नीति के बारे में अस्पष्टता को ही प्रतिबिंबित करता है। शहीद बीएसएफ जवान की नृशंस हत्या वार्ता प्रस्ताव स्वीकार करने के केवल 2 दो दिन पहले हुई थी,जबकि आतंकी बुरहान वानी पर डाक टिकट जुलाई में ही जारी हुआ था। ऐसे में आखिर पाकिस्तान के झूठे शांति प्रस्ताव को सरकार ने स्वीकार ही क्यों किया था?भारतीय नेतृत्व ने चाहे जो सोचकर विदेश मंत्री स्तर की मुलाकात के लिए हामी भरी हो,उसे इमरान खान का असली चेहरा तभी दिख जाना चाहिए, जब उनकी सरकार ने आतंकी बुरहान वानी के नाम पर डाक टिकट जारी किया था। अच्छा होता कि जवाबी चिट्टी द्वारा इमरान खान से पूछा जाता कि क्या वह आतंकियों को प्रशंसापत्र देकर भारत से संबंध सुधारना चाहते हैं? ऐसे में भारतीय पाकिस्तान नीति को और भी धारदार और आक्रामक बनाने की आवश्यकता है। पाकिस्तान पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक भी पाकिस्तान के व्यवहार में ज्यादा परिवर्तन नहीं ला पाया। भारतीय सेना के अनुसार सर्जिकल स्ट्राइक में नष्ट किए गए आतंकी लांचपैड फिर सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में भारत द्वारा योजनाबद्ध तरीके से पुन: पाकिस्तान पर कठोर कार्यवाही अति अनिवार्य है।
अब मुख्य प्रश्न उठता है कि पाकिस्तान पर कठोरतम कार्रवाई क्या हो, जिससे हमें पाकिस्तान के प्रति निवारक निरोध प्राप्त हो सके? इसके लिए भारत को पाकिस्तान पर बहुस्तरीय कार्यवाही करनी होगी,जिसमें सैन्य कार्यवाही, कूटनीतिक कार्यवाही, आर्थिक प्रतिबंध जैसे तमाम विकल्प उपलब्ध हैं। सैन्य कार्रवाई के अंतर्गत और भी कठोर कई सर्जिकल स्ट्राइक किए जा सकते हैं। यह कार्यवाही कब और किस रुप में क्रियान्वित की जाए,इस पर सेना को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ कार्यवाई का अधिकार उपलब्ध होना चाहिए। दीर्घावधि समाधान हेतु हम लोग देख रहे हैं कि पाकिस्तान की सेना अभी दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही है,एक अफगानिस्तान की सीमा पर तथा दूसरा भारतीय सीमा पर। अफगानिस्तान के साथ मिलकर भारत को दोनों ही सीमाओं पर दबाव बनाना चाहिए।
पाकिस्तान का परम प्रिय मित्र चीन भी भारत के विरोध के कारण ही उसका घनिष्ठ मित्र है। अगर पाकिस्तान भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध बंद कर देगा,तो चीन का भी पाकिस्तान से मोहभंग हो जाएगा। ऐसे में भारत के लिए सैन्य दृष्टि से यह आवश्यक है कि वह पाकिस्तान पर और भी कठोर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों की कमर तोड़ दे। साथ ही वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिए चीन को भी अति विशिष्ट ढंग से संतुलित करने की कूटनीति पर कार्य करे। इसके लिए आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक गोलबंदी और तेज करके चीन पर दबाव बनाना होगा। चीन ने जहाँ पहले ग्वादर पोर्ट का केवल व्यवसायिक प्रयोग करने की बात कही थी,लेकिन अब सुरक्षा कारणों का बहाना बनाकर अपने सैन्य साजोसमान की तैनाती प्रारंभ कर दी है। भारत को भी जल्द से जल्द ग्वादर पोर्ट पर अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी। भारत को इस संपूर्ण मामले पर पाकिस्तान पर मुँहतोड़ कार्यवाई करनी होगी।
सीमा पर हमारे पुलिसकर्मी पाकिस्तान पर कठोर कार्यवाई कर रहे हैं,लेकिन इस जवाबी कार्यवाई को और घातक बनाने की आवश्यकता है, जिससे पाकिस्तान पुन: इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सके।
पाकिस्तान की मूल चिंता यह है कि भारत वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद से संबद्ध देश घोषित करने में सफल रहा। भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है, उसे हर हाल में पाकिस्तान को समुचित सैन्य और कूटनीतिक जवाब देना ही होगा। नि:संदेह केवल इतना ही पर्याप्त नहीं है कि भारत ने एक और बार पाकिस्तान से बातचीत करने से कदम पीछे खींच लिए।
राहुल लाल
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