राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352:-
देश में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा बहुत ही विकट परिस्थितियों में की जाती है। देश में इस आपातकाल की घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर की जा सकती है। इस आपातकाल को लागू करने के दौरान सरकार को तो असीमित अधिकार प्राप्त होते हैं, और इन अधिकार का उपयोग सरकार किसी भी रूप में किसी भी समय कर सकती है, लेकिन इसके विपरीत देश के सभी आम नागरिकों के सभी अधिकार छीन लिए जाते हैं।
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा कि जाती है। इस आपातकाल के लागू होने के पश्चात संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 19) स्वत: ही निलंबित हो जाता है लेकिन अनुच्छेद 20 और अनुच्छेद 21 अस्तित्व में बने रहते हैं।
राष्ट्रपति शासन आर्टिकल 356:-
राज्य में राजनीतिक संकट को ध्यान में रखते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत संबंधित राज्य में राष्ट्रपति द्वारा इस आपातकाल स्थिति की घोषणा की जा सकती हैं। किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन तब ही लागू होता है जब उस राज्य की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था पूर्ण रूप से फेल हो जाये या फिर वह राज्य, केंद्र की कार्यपालिका के किन्हीं निदेर्शों का अनुपालन करने में असमर्थ हो जाए। इन सभी स्थितियों में राज्य के केवल न्यायिक कार्यों को छोड़कर राज्य के सभी प्रशासन अधिकार केंद्र सरकार द्वारा अपने हाथों में ले लिए जाते है।
कुछ संशोधनों के साथ इस आपातकाल की सीमा कम से कम 2 महीने और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक हो सकती है। आमतौर पर ऐसा तभी होता है जब राज्य सरकारें संविधान के मुताबिक सरकार चलाने में विफल हो जाए तो उस स्थिति में केंद्र की सिफारिश पर राष्ट्रपति आपातकाल घोषित कर सकता हैं।
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