नेताओं के पास यदि कुर्सी है, तब तक सब कुछ ठीक है। कुर्सी छिन जाए, तब वह अपना घटियापन दिखाने में देर नहीं लगाते। हाल ही में हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति के पद से रूखस्त हुए हैं और जाते-जाते जिक्र कर रहे थे कि देश के मुस्लमान अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जबकि हामिद अंसारी लगातार दस वर्ष तक उपराष्ट्रपति रहे, तब उन्हें कभी असुरक्षा महसूस नहीं हुई।
दरअसल, हामिद अंसारी को महसूस हो रही असुरक्षा महज उनकी घटिया राजनीति के बोल मात्र हैं, जोकि इस क्षेत्र में हर मुस्लमान नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए आए दिन शोर मचाने के लिए बोलते रहते हैं। भाजपा व आरएसएस के नाम पर इस देश के कई नेता व राजनीतिक संगठन मुस्लमानों को आतंकित करते रहते हैं। ऐसे लोग भाजपा व आरएसएस के हर काम में अल्प संख्यकों के खिलाफ षड़यंत्र ढूंढते रहते हैं, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं।
सबसे दुखद व आश्चर्य की बात यह है कि जो लोग मुस्लमानों की सुरक्षा व उन्नति की बात करते हैं, वह स्वयं कुछ भी ऐसा नहीं कर रहे, जिससे कि मुस्लमानों का विकास हो या उन्नति हो, कांग्रेस ने बहुत लंबे समय तक मुस्लिम अल्प संख्यकों के वोट के दम पर अपनी सत्ता चलाई है, लेकिन मुस्लिमों को कांग्रेस कुछ नहीं दे सकी। आज भी मुस्लिम आबादी का एक बड़ा वर्ग अशिक्षा, गरीबी एवं धार्मिक कुरीतियों के भंवर में फंसा हुआ है।
मुस्लिम नेताओं ने अपने समुदाय को इतना बरगला दिया कि वह भाजपा व आरएसएस से डरे रहें और मुड़ कर उन्हें ही वोट देते रहें, लेकिन अब यह नहीं होने वाला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार देश में तीन साल पूरे करने जा रही है।
इस सरकार ने मुस्लिम औरतों को सबला बनाया है, वह भी बिना पुरुषों का शोषण व उत्पीड़न किए। तीन तालाक की मान्यता अरब देशों ने भी समाप्त कर दी है, जो कि इस्लामिक राष्ट्र हैं, जबकि मुस्लिम हितैषी किसी भी व्यक्ति ने भारत में इस कुरीति को रोकने की चेष्टा नहीं की, जिससे कि मुस्लिम महिलाओं का आत्म सम्मान कुचला जा रहा था।
भाजपा व आरएसएस तीस करोड़ की मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी को भी देश के विकास में भागीदार देखना चाहती है, लेकिन कईयों के यह रास नहीं आ रहा। गाय के नाम पर कुछ लोगों ने धार्मिक नफरत फैलाने का प्रयास भी किया, परंतु भाजपा व आरएसएस ने हर मंच पर स्पष्ट कर दिया कि गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी हो रही है, जिस का भाजपा पुरजोर विरोध करती है और दोषियों को दंड दिया जाएगा।
भारत देश हर धर्म, जाति, भाषा वालों का देश है। अत: सबका दायित्व है कि वह एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश का विकास व उन्नति को बढ़ाएं। अल्पसंख्यक बनाम बहुसंख्यक यह लड़ाई स्वार्थी नेताओं की है। जिन्हें देश से प्यार है, उनके लिए यह बातें कोई मायने नहीं रखती।
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