वाशिंगटन (एजेंसी)। अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से वापिस जा चुकी है। पूरी दुनिया में अमेरिका के फैसले को गलत करार दिया जा रहा है। आज से 20 साल पहले अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी, लेकिन 11 सितंबर को अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था और उसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में सेना भेजने का फैसला लिया था। अमेरिका का मुख्य उद्देश्य अलकायदा को खत्म करना और ओसामा बिन लादेन को खत्म करना था। यह सही है कि 9/11 के हमले बाद अमेरिका अफगानिस्तान गया था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने जो कहा है, ऐसा उनके पूर्ववर्ती नहीं सोचतेथे। दिसम्बर 2001 में तालिबान ने बिना शर्त के आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा था लेकिन उस समय के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
2011 में ओसामा बिन लादने की मौत के बाद भी अमेरिका अफगानिस्तान से नहीं गया
2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद भी अमेरिका ने अफगानिस्तान नहीं छोड़ा, क्योंकि अमेरिकी नेताओं का मानना था कि तालिबान की वापसी से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई कमजोर पड़ेगी। लेकिन आज अफगानिस्तान में हजारों की तादाद में पठानी लोग मारे गए है और अफगानिस्तान में आज वो हालात पैदा हो गए है जिससे वहां के लोग भूखमरी और अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। चाहे अमेरिकी राष्ट्रपति कितना ही कहे कि उनका फैसला सही है लेकिन सच तो यह है उनके एक फैसले से अफगानिस्तान में हजारो की तादाद में लोगों की मौत हो चुकी है और बार्डर पर लोग पलायन करने में मजबूर हो गए हैं।
अफगानिस्तान के हवाई और भूमि मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा अमेरिका
अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की निकासी पूरी होने के बाद शेष अमेरिकियों को भी निकालने से पहले हवाई और भूमि मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। अमेरिका में राजनीतिक मामलों की अवर सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘हमें अफगानिस्तान में रह गये अमेरिकियों की निकासी प्रक्रिया शुरू करने से पहले पहला काम हवाई और भूमि मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी के बाद अमेरिकी विदेश विभाग और व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि 100 से 200 के बीच की संख्या में अमेरिकी नागरिक अभी भी इस एशियाई देश में रह गये हैं।
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