बरनावा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई बार लोग ये भी पूछते है कि मेडिटेशन क्या है ? मेडिटेशन का शाब्दिक अर्थ है ध्यान। कौन सा ध्यान, आप कहते है कि मैं घर से बाहर जा रहा हूँ मां घर का ध्यान रखना। भाई साहब घर का ध्यान रखना। आप खेतों में काम धंधा करते है, तो समझदार आदमी, जानकार आदमी दूसरे को कहता है कि ध्यान से करना ये काम। दुकान में काम करते है तो आप कहते है कि यह कांच का सामान है, इसको ध्यान से उठाकर रखना। ये ध्यान शब्द तो जगह-जगह इस्तेमाल आता है। लेकिन मेडिटेशन में कौन सा ध्यान की जिक्र किया गया है। अपने इन सभी ध्यानों को एक जगह एकत्रित करना है। आपके विचार आप बैठे कहीं और हो और चल कहीं और रहे होते है। उस ध्यान को एकाग्र करने को ही मेडिटेशन कहते है। क्या ध्यान एकाग्र हो जाएगा ? जी हां, हो जाता है। कैसे, आप अपने दोनों आंखों के बीच नाक के ऊपर माथे के बीच ललाट माथे की यह जगहा। जिससे दसवां द्वार, तिल ज्ञान चक्षु, मेहराब, वैरी-वैरी डिप्लीप प्वाइंट कहा जाता है। तीसरी आंख या दसवां दरवजा। दो आंखे है, तीसरी नैचुरली बंद है।
नौ दरवजे खुले है, बाहर से जो दिखते है। दो कान, दो आंख, दो नाक, एक मुंह और दो इंद्रिया ये खुले दिखते है। ये बॉडी के खुले दरवजे है। लेकिन दसवां बंद है। तो आपने करना क्या है, अपनी आंखे बंद करनी है, गुरु मंत्र भगवान के वो शब्द जो गुरु ने प्रेक्टिकली करके देखे हो। उसे कहते है गुरु मंत्र या नाम शब्द या कलमा या मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन, वो लें, ध्यान को ललाट वाली जगह पर लगाए और फिर अभ्यास करें। पहले जिव्हा से, फिर ख्यालों से। अगर आपका ध्यान भटक रहा है तो एकांत में जाइये। बंद कमरा कीजिए, उसमें थोड़ा सा बोल के ऊंची आवाज में जाप कीजिए। इससे क्या होगा ?। जब आप जिव्हा जाप करते है तो दिमाग और जिव्हा ।
जब आप ध्यान से करते है सिर्फ दिमाग लेकिन जब बोल के करेंगे तो आपकी सारी ज्ञान इंद्रियां बिजी हो जाएगी। आपकी बोलने की शक्ति, सुनने की शक्ति, देखने की शक्ति, संूघने की शक्ति, स्पर्श क्योंकि जिव्हा से बोल रहे है तो स्पर्श हो रहा है। आप हाथ जोड़े है तो स्पर्श हो रहा है। तो इस तरह दिमाग सुन रहा है आप जब सारी शक्तियों को एक ही शब्द सुनाएंगे। तो उनको हार मान के , बाकी तरफ से ध्यान हटा के ललाट वाली जगह पर ध्यान लगाना पड़ेगा और यहीं मेडिटेशन है जो भगवान तक लेकर जाता है।
पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि जब ध्यान जम गया, ललाट वाली जगह पर ध्यान आ गया, एक छोटा सा तारा नजर आया, लिटल बिल स्टार, छोटी सी रोशनी, दिए की लौ जितनी, आंख बंद , आप ध्यान में बैठे है, नॉर्मली कुर्सी पर बैठो, सोफे पर बैठो, सबसे बढ़िया आलथी, पालथी मारकर बैठो, या वज्रासन, घुटने आगे मारकर, पिछे एड़ियों पर अपनी बैक रखे, हिप रखें तो इस तरीके से आप जैसे ही गुरु मंत्र का जाप करेंगे तो शुरूआत आपकी बॉडी की रिपेयर से होगी। जहां-जहां बॉडी में परेशानी है, टेंशन है, वो दूर होने लगेगी। कोई दुख रोग है उसमें आराम आने लगेगा। क्योंकि सोने के समय जैसे बॉडी रिपेयर करती है, मेडिटेशन में जागते कई गुणा ज्यादा रिपेयर करना शुरू कर देती है। क्योंकि एक्टिव मोड़ में होती है बॉडी। तो आपके डीएनए के सैल पॉवरफुल होते जाएंगे। आपके अंदर आत्मबल आता जाएगा और उससे आप दुनिया के हर एक अच्छे क्षेत्र में तरक्की हासिल करेंगे।
आपको आगे बढ़ने की शक्ति मिलती जाएगी। आत्महत्या की सोच आपकी जड़ से खत्म हो जाएगी। जीवन जीने में आन्नद आने लग जाएगा और आप खुशमय जीवन जीने के हकदार बनते चले जाएगे। मेडिटेशन के बहुत सारे फायदे है अगर आप करें तो। आपके हर काम धंधे में बरकत आएगी, तरक्की आएगी, आप अपने शरीर को तंदुरुस्त रख पाएंगे। गम-चिंता मुक्त जिंदगी जी पाएंगे। दुनिया क्या कहती है, आपको क्या गलत बोलती है, लेशमात्र भी असर मेडिटेशन आप पर नहीं आने देता। मेडिटेशन आदमी को मस्त हाथी की तरह बना देता है। यकीन मानों मेडिटेशन से इंसान का बिल पॉवर इतना बढ़ेगा कि आपको कोई कितना भी गलत बोलता फिरे, ना आपको गुस्सा आए, ना आप पे कोई असर हो और ना ही आपको कोई टेंशन हो, क्या इससे अच्छी जिंदगी कोई ओर हो सकती है।
वरना जरा सी बात कही और करंट आ जाता है एक दम से। तो इस तरह से मेडिटेशन कंट्रोल करता है। तो इस तरह से खुशियां देता है। कई लोग डिप्रेशन में चले जाते है, दिमाग पर बोझ पड़ जाता है, जरा जरा सी बात की टेंशन ले लेते है। एक मन और उसका जो दिमाग है इकट्ठा होकर एक ऐसा तंग दायरा उसके इर्द-गिर्द बना देते है कि वो उससे बाहर नहीं निकल पाता। यानि वो कहता है कि मेरे जीने का कोई फायदा नहीं, अब मैं नहीं रह सकता, अब तेरे लिए कोई कुछ नहीं करता, तेरा कोई अपना नहीं, तेरा कोई सगा नहीं, तेरा कोई साथी नहीं, सब मतलबी है, सब गर्जी है, तूं यहां जी ही नहीं सकता आदि बातें जब इंसान के दिमाग में ज्यादा घूमती है तो यानी बातों का घूमना ही इंसान को पजल करता है। नैगेटिव बाते जितनी ज्यादा घूमती जाती है, उतना ही आदमी डिप्रेशन में ज्यादा चला जाता है। दिमाग पर बोझ पड़ना शुरू हो जाता है। क्या संभव है बिना दवाई के, बिना घर बार छोड़े डिप्रेशन से मुक्ति मिल जाए। जी हां ऐसा संभव है और ये तरीका है गुरु मंत्र, मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन।
होता क्या है कि आदमी के अंदर लगातार वो नैगेटिव चीजें घूम रही है, जिससे आदमी की टेंशन बढ़ जाती है और आदमी आत्महत्या तक चला जाता है। पर जैसे ही गुरु मंत्र लिया तो जाप आप ने करना है, जिव्हा से करो, एक कमरे में बोल बोल के करो, तो आपका माइंड व्यस्त हो गया गुरु मंत्र में, मेडिटेशन में और इससे जो बुरे विचार चल रहे थे उनको विराम मिल गया, वो रूक गए। लगातार अभ्यास करने से इंसान की सारी ज्ञान इंद्रियां व्यस्त हो जाएगी और नेगेटिव विचार को विराम मिल जाएगा और दिमाग में पॉजिटिविटी बढ़ जाएगी। जैैसे जैसे पॉजिटिविटी बढ़ती जाएगी तो इंसान का डिप्रेशन दूर होता चला जाएगा और आप सौ पसेंट तंदुरूस्त हो जाएंगे। तो इस तरह से बिना दवा लिए और बिना कोई खर्चा किए इंसान डिप्रेशन से निकल सकता है। मेडिटेशन में बहुत शक्ति है, बहुत ताकत है अगर कोई सही ढंग से उसका जाप करें।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।