डेरा अनुयायियों ने मंदबुद्धि को अपनों से मिलाया

Welfare Works

सराहनीय। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी
इन्सां की पावन प्रेरणा कर रही कार्य

  • परिजन बोले-डेरा सच्चा सौदा के उम्र भर रहेंगे ऋणी

अंबाला सिटी (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए ब्लॉक अंबाला सिटी के जिम्मेवारों ने एक मंदबुद्धि व्यक्ति का उपचार करवाकर उसे उसके परिजनों के पास पहुंचाया। ब्लॉक अम्बाला सिटी के डेरा सच्चा सौदा अनुयायी पुनीत इंसान ने बताया कि तीन दिन पहले जंडली गाँव के पास से उनको मानसिक रूप से परेशान एक व्यक्ति मिला।

  • 40-45 साल का यह व्यक्ति लोगों से भीख मांग रहा था।
  • उसके कपड़े फटे थे और लोगों को गालियां दे रहा था।
  • मंदबुद्धि की हालत देख सेवादार उसे जंडली के नामचर्चाघर में ले गए।
  • वहां ले जाकर उसे खाना खिलाया और फिर नहलाकर नए कपड़े पहनाए।
  • तत्पश्चात विशेषज्ञ चिकित्सक से उसका उपचार करवाया गया।

जब उसकी हालत में सुधार आया तो उसने बताया कि वह मध्य प्रदेश के एक गाँव का रहने वाला है और रोपड़ में मनोज कुमार नाम के ठेकेदार के पास नौकरी करता था।

  • उसने आगे बताया कि वह अपने गाँव ट्रेन से जा रहा था।
  • अम्बाला के पास किसी ने उसको खाने में नशीला पदार्थ दे दिया, जिससे वह अपनी होश में नहीं रहा।
  • उसके बाद उसको लूट लिया गया और ट्रेन से नीचे फैंक दिया।
  • जब उसे होश आया तो वह हॉस्पिटल में था।
  • उसके बाद वो दिमागी रूप से परेशान हो गया और भीख मांगने लगा।

पुनीत इन्सां ने बताया कि हमने उसी समय रोपड़ के 15 मैंबर को फोन के माध्यम से संपर्क किया और व्यक्ति की फोटो भेजी। तब वहां से पता चला कि उक्त व्यक्ति एक साल पहले वहां काम करता था और परिवार के पास मध्यप्रदेश गया था। उसके बाद वापस नहीं आया। उन्होंने बताया कि इसका नाम राजू है और इसके पिता का नाम प्रभु दयाल है। इसके सात बच्चे हैं।

  • तब राजू की पत्नी शकुंतला को फोन करके इस बारे में सूचित किया गया।
  • वे उसी दिन रोपड पहुंचे।
  • साध-संगत के जिम्मेवार राजू को लेकर रोपड़ पहुंचे।
  • राजू को देखकर उसके परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा और उनकी आँखें खुशी के आंसूओं से भर आई।
  • राजू के परिजनों ने डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों का तहेदिल से धन्यवाद किया।

शकुंतला ने कहा कि हमने इनकी बहुत खोजबीन की लेकिन कहीं से कुछ पता नहीं चला, आखिर थक हारकर मान बैठे थे कि ये अब इस दुनियां में नहीं हैं। लेकिन आज डेरे के सेवादारों ने मेरे परिवार की खुशियां लौटाकर हमारे ऊपर बहुत बड़ा उपकार किया है। हम पूरी जिदंगी इनके अहसान के ऋणी रहेंगे। इस दौरान साध-संगत ने राजू के बच्चों की पढ़ाई का खर्च देने का भी वायदा किया।

 

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