बेटे के जिंदा होने की आस खो चुकी थी माँ || DSS Welfare Work
- पुलिसकर्मी बने जरिया, शंकर ने पहले पहचाना सेवादारों ने सम्भाला
- उत्तराखंड पुलिस की मदद से खोजा परिवार
संगरिया (सुरेन्द्र जग्गा/सच कहूँ)। संगरिया से हजारों किलोमीटर दूर उत्तराखंड के रहने वाले एक परिवार में 14 साल बाद खुशियां लौटी हैं। इस परिवार के घर में खुशियां लौटाने में सहयोगी बने हैं डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) के सेवादार। सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा शुरू की गई ‘इंसानियत’ मुहिम के माध्यम से एक परिवार 14 साल पहले गुम हुए अपने बेटे से मिला है। अपने गांव तल्लाभेंसकोट से 2010 में लापता हुआ ललित आज फिर घर लौट रहा है।
मानसिक रूप से कमजोर है ललित
जानकारी के अनुसार ललित की इस समय आयु 33 वर्ष है। जब वह 19 वर्ष का था तो उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी। साल 2010 में वो एकाएक अपने घर से गायब हो गया। बरसों तक जब बेटा नहीं मिला तो परिजनों ने उसके जिंदा होने की आस छोड़ दी थी। लेकिन अब लगभग 14 साल बाद जब शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर विंग के सेवादारों ने उसके परिजनों से संपर्क साधा तो ललित के परिजनों की उम्मीदें जाग उठी। जब उनका बेटा ललित गांव पहुंचा तो परिवार के सभी लोगों की आंखें भर आई।
पुलिसकर्मी को दयनीय हालत में मिला था ललित
विगत 2 अप्रैल 2024 को गांव भाखरा वाली के पास संगरिया पुलिस के नाके के पास एक मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति को वहां तैनात पुलिसकर्मी शंकर लाल ने देखा तो इसकी सूचना ब्लॉक प्रेमी सेवक ओमप्रकाश बुडानिया इन्सां को दी। इस पर संगरिया के शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर विंग के सेवादार भाईयों ने उस व्यक्ति की सार संभाल (Mandbudhi ki Sambhal) की। खाना खिलाया व पुलिस थाने में सूचना देने के बाद उसे संगरिया के मानवता भलाई केन्द्र में लेकर आए। यहां उसकी हालत में सुधार आने पर उसने बताया कि उसका नाम ललित पुत्र धर्म सिंह है और वह तल्लाभेंसकोट गांव जिला पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) का निवासी है। इस पर सेवादार भाइयों ने वहां के पुलिस प्रशासन के सहयोग से ललित के परिजनों का पता लगाया।
वीडियो कॉल कर बातचीत कराई तो परिवार के लोग 14 साल बाद ललित को देखकर फूट-फूट कर रोने लगे। मां और बाप ने भी अपने बेटे का 14 साल बाद फिर से एक बार चेहरा देखा तो खुशी के आंसू फूट पड़े। ललित के भाई दुर्योधन को जब ललित के सुरक्षित होने का समाचार मिला तो उसने गुड़गांव में रहने वाले अपने दोस्त बहादुर सिंह और प्रेम प्रकाश को उसी समय संगरिया के लिए रवाना कर दिया और खुद उत्तराखंड से गुड़गांव के लिए रवाना हो गया। इस प्रकार परिजनों के संगरिया पहुंचने पर सभी कागजी कार्यवाही पूर्ण करते हुए सेवादार भाइयों ने पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में ललित को उनके सपुर्द कर दिया। 14 साल के लंबे समय के बाद जैसे ही ललित अपने पैतृक गांव पहुंचा तो लोगों की आँखें छलक आई। परिवार के लोगों की खुशियां वापस लौट आई। परिजनों ने पूज्य गुरुजी और इन सेवादारों का लाख-लाख बार आभार व्यक्त किया।