स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय | Healthy life

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बदलते मौसम और बदलती जीवनशैली दोनों ही का स्वास्थ्य पर (Healthy life) असर रहता है। कोरोना काल के बाद तो लोग स्वास्थ्य को लेकर और ज्यादा सजग हुए हैं । भारतीय उपमहाद्वीप में आयुर्वेद का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के लगभग अस्सी प्रतिशत लोग इसका अनुसरण करते हैं। इस लेख में आप स्वस्थ रहने के आयुर्वेद उपाय के बारे में जानेंगे। 

स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय | Healthy life

आयुर्वेद बना है आयु: + वेद से। आयु: मतलब जीवन और वेद मतलब विज्ञान। जीवन का विज्ञान या यूं कहें जीवन को जीने का ज्ञान। धन्वन्तरि आयुर्वेद के भगवान माने गए हैं । वर्ष 2016 से भारत का आयुष मंत्रालय धनतेरस, जो की धन्वन्तरि जयंती भी है, के उपलक्ष पर राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाता आ रहा है।

यह सराहनीय है। हाड़ कंपाती सर्दी, बरसता मानसून या चिपचिपाती गर्मी, बदलते मौसम में अपने स्वास्थ का ध्यान रखना अपने आप में एक संघर्ष है।

उसपर ये भागदौड़ भरी जीवनशैली और गरिष्ठ भोजन कई बीमारियों का आमंत्रित करता है। आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाकर आप अपने जीवन को सुखमय और प्रगतिशील बना सकते हैं। भारत में आयुष विभाग इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है और आयुर्वेद को बढ़ावा दे रहा है।

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Ayurveda sachkahoon

आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पंचमहाभूतों से बना है। ये पंचमहाभूत यानी पांच तत्व हैं – 

  •  जल
  •  पृथ्वी
  •  वायु
  •  आकाश 
  •  अग्नि

आयुर्वेद में अति महत्वपूर्ण चरक संहिता, जो की आचार्य चरक के द्वारा रचित है। इसमें उत्तम जीवनशैली के लिए भोजन, स्वच्छता, रोगों से बचने के उपाय आदि का वर्णन मिलता है। वहीं से प्रेरित हो कर हम आपके साथ यहां साझा कर रहे हैं। इन 10 चरणों में स्वस्थ रहने के उपाय छिपे हैं जिनका अनुसरण आप आसानी से कर पाएंगे। हमें यकीन है।

Healthy life

  1. सूर्योदय से पहले उठें
  2. खूब पानी पिएं
  3. दातों की सफाई
  4. तेल मालिश और चंपी
  5. व्यायाम और योग
  6. स्नान
  7. ध्यान
  8. भोजन
  9. टहलना
  10. प्यारी सी नींद 

आइए इनके बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करते हैं। 

  1. सूर्योदय से पहले उठें: Healthy life

शास्त्रों  के अनुसार 

वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।

ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥

अर्थात जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठता है वह  प्रसिद्धि, बुद्धि, धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु आदि प्राप्त करके कमल के समान काया पाता है। अब अगर आपके लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठना संभव नहीं है तो आप कम से कम सूर्योदय से एक घंटा पहले उठें और नित्य क्रिया करें। आप शरीर में सात्विक ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करेंगे। सूर्य की पहली किरण अगर आपके मस्तक पर पड़े तो आप सकारात्मक ऊर्जा के धनी हो जाएंगे। ऐसा माना जाता है की उगते सूर्य से त्राटक क्रिया ( एक योगिक क्रिया/मुद्रा) करने से आधा सीसी, माइग्रेन और दिमाग के गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है। परंतु इसे उचित तरीके से सीख कर ही करें। 

  1. खूब पानी पिएं: Healthy life

उठने के बाद कम से कम एक ग्लास पानी जरूर पिएं। पानी आपके शरीर में ऊर्जा का संचारण करता है। इसके साथ ही पेट को भी साफ करने में सहायता करता है। पानी के फायदे बताने की जरूरत नहीं। पानी तो वो अमृत है जो हर समय हर जगह उपलब्ध हो सकता है। जल पीने से आपका पेट साफ होगा और आप कई गंभीर रोगों से मुक्ति पा लेंगे। पानी शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर करता है। जी हां पानी एक प्राकृतिक डिटोक्सर है।

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सुबह के समय हल्का गरम पानी उत्तम रहता है। गुनगुने पानी में शहद भी ले सकते है अगर डायबिटिक नहीं हैं तो।आयुर्वेद के अनुसार पानी को घूंट-घूंट करके पीना चाहिए कभी भी जल्दबाज़ी में उसे गटके ना। सर्दियों में गुनगुना और गर्मियों में मटकी का पानी पीना चाहिए।  ताम्बे के बर्तन में रात को पानी भर कर रखिये और सुबह उसे पी लीजिये।  शरीर से कई अशुद्धियाँ बहार निकल जाएंगी और आप स्वस्थ महसूस करेंगे। भर के रखा हुआ पानी पीना आयुर्वेद में उत्तम बताया गया है। 

3. दांतों की सफाई: Healthy life

दांतों को मजबूत बनाना अति महत्वपूर्ण है। आखिर स्वस्थ जीवन और निरोगी काया के लिए उचित भोजन और उस भोजन को खाने के लिए साफ मुंह और मजबूत दांतों की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद में दांतों की सफाई के लिए नीम की छाल के प्रयोग का जिक्र मिलता है। नीम में एंटीबैक्टीरियल तत्व होते हैं जो कि मुंह की सफाई में भी उपयोगी है। नीम सासों की बदबू को भी नियंत्रित करता है। नीम की लाल कोपलों को खाली पेट चबाने से खून साफ होता है। नीम अपने आप में एक खजाना है जिसका चर्चा विस्तृत समय मांगती है। नीम दातुन दांतों को  स्वस्थ रखने का आयुर्वेदिक उपाय है।

आयुर्वेद में दाँतों की मजबूती के लिए नीम के अलावा बबूल और मुलेठी के उपयोग का भी जिक्र मिलता है। अपनी व्यस्त दिनचर्या में अगर आपको नीम दातुन करने का अवसर नहीं मिलता है तो आप कम से कम हफ्ते में एक बार नीम दातुन का उपयोग कर सकते हैं। आजकल नीम दातुन ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं जिसे आप अपने रेफ्रीजिरेटर में रख के इस्तेमाल कर सकते हैं। साँसों की दुर्गन्ध से परेशान हैं तो ये आयुर्वेदिव उपाय अपनाएं। अमरुद के पत्ते पानी में उबाल कर उसका कुल्ला करें। या सबसे उत्तम है अमरुद के नरम पत्ते चबा लें। अमरुद खाने से भी दाँत मजबूत होते हैं।   

  1. तेल मालिश और चंपी:Healthy life

नित्य क्रिया के बाद आप अपने शरीर पर तेल मालिश करें। आप सरसों या  तिल के  तेल का उपयोग कर सकते हैं जो सर्दियों के लिए श्रेष्ठ है। इनकी तासीर गर्म होती है। आयुर्वेद के अनुसार मालिश से शरीर में रक्त संचारण अच्छी तरह होता है। मानव शरीर की संरचना को आयुर्वेद भलीभांति समझता है। इसमें स्वस्थ रहने के सरल उपाय आपको मिलते हैं। सिर की चम्पी यानि मालिश से आपके दिमाग़ में रक्त प्रवाह बेहतर होगा। 

आजकल की कार्य व्यवस्था में आप मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का अधिक उपयोग करते हैं। इससे आँखों में जलन और माथे में दर्द  की समस्या देखी जाती है। मालिश वैसे भी हमारी नानी-दादी करने को कहा करती थी। ये स्वस्थ रहने के घरेलू उपाय हमें अपने बड़ों से सिखने को  मिलते हैं।  महीने में एक बार आप उबटन भी कर सकते हैं। इससे त्वचा चमकने के साथ शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है एवं रोम छिद्र भी खुलते हैं। मालिश से मासपेशियां मज़बूत होती हैं और काया एक आकार में आती है।  

  1. योग और व्यायाम:

मालिश के बाद आप अपनी श्रद्धा अनुसार योग और व्यायाम करें। योग आपके शरीर और दिमाग दोनों को ऊर्जा प्रदान करता है। व्यायाम  आपको दिन भर के लिए जरुरी स्फूर्ति और शक्ति देता है। कम से कम आधा घंटा योग और व्यायाम करें। आप बेहतर शक्ति के साथ दिन की शुरुआत कर पाएंगे। साधारण व्यायाम या योग से आप प्रफुल्लित और सकारात्मक महसूस करेंगे। भारत भूमि योग की जन्मदाता है। सूक्ष्म व्यायाम से शुरू करते हुए आप श्वास क्रिया कर सकते हैं। उसके बाद आसान योग आसनों से शुरू करें। Healthy life

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जल्दबाज़ी ना करें वरना ये चोट का कारण बन सकता है। योग सिखने के लिए आप किसी योग प्रशिक्षण केंद्र या उचित योग प्रशिक्षक से अवश्य सीखें। आप ऑनलाइन प्रोग्राम में भी भाग ले कर सरल योगासन सीख सकते हैं। सूर्य नमस्कार सबसे प्रचलित और गूगल पर सर्वाधिक ढूंढे जाने वाला योगासन है।सुबह का समय व्यायाम और योग के लिए उपयुक्त रहता है। ध्यान रखें की योग खाली पेट ही करें यानि योग करने से कम से कम डेढ़ घंटा पहले ही कुछ खाया हुआ होना चाहिए। योग करने के कम से कम आधा घंटा बाद ही कुछ खाएं।  हम फिर भी आपको पहले सीखने की सलाह देंगे।  

  1. स्नान:

मानव शरीर को स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपायों में स्नान का भी महत्व है। नित्य स्नान से आप ऊर्जावान और गतिशील होते हैं। स्नान हमारी पांचों इन्द्रियों को क्रियाशील बनाता है। एक अच्छा आयुर्वेदिक या आपकी पसंद के  रसायन मुक्त साबुन से स्नान उपयुक्त रहता है। शारीरिक अशुद्धियों को दूर करने वाली ये क्रिया आपको ताज़गी प्रदान करेगी। आयुर्वेद के अनुसार आप मौसम के अनुरूप अपने शरीर के तापमान को नहाने के द्वारा नियंत्रित कर सकते हैं।

इसमें यह भी मिलता है की गुनगुने पानी का उपयोग नहाने के लिए किया जाना चाहिए।शरीर स्वच्छ हो तो भूख भी खुलती है और नींद भी अच्छी आती है। कुछ जगह आप रात में नहाने के प्रावधान को सुनते होंगे परन्तु आयुर्वेद के अनुसार सुबह के समय नहाना यथोचित है।  स्नान आदि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। वस्त्र भी मौसम के अनुरूप होने चाहिए। कॉटन सबसे उपयुक्त माना गया है। कपड़े थोड़े ढीले और आरामदायक होने चाहिए।

  1. ध्यान: Healthy life

ध्यान का महत्व कई भारतीय पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।ध्यान यानि प्रचलित रूप से कहें तो मैडिटेशन बीस मिनट तक करें। यह लाभदायक रहता है। स्वच्छ शरीर के साथ स्वच्छ मन की कामना करने वाले ध्यान की श्रेष्ठता जानते हैं।ध्यान के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें। सुबह का समय इसलिए सही रहता है।  उस समय शांति रहती है और ऑक्सीजन की मात्रा सर्वाधिक होती है। स्नान के बाद अपने इष्ट का ध्यान करें।

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ध्यान और आराधना से आप मन की शांति पाएंगे।स्वच्छ आसन पर दिया लगा के ध्यान और साधना करने से सुख का अनुभव करेंगे। अगर आपके इष्ट नहीं या आप नास्तिक हैं तब भी आप ध्यान कर सकते हैं। यही भारतीय संस्कृति की सादगी है। फिर भी आप ध्यान न करना चाहें तो उन चीजों के बारे में मनन कर सकते हैं जो आपकी दिनचर्या में आप करना चाहते हैं।

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  1. भोजन: Healthy life

भोजन हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा है। परंतु स्वस्थ रहने आयुर्वेदिक उपाय में भोजन का अलग स्थान है। आयुर्वेद में त्रिदोष की व्याख्या मिलती है। त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ। आहार अगर सही है तो आप इन तीनों दोषी को अपने शरीर में संतुलन बना सकते हैं।

Health Tips, Quality, Important, Quantity आयुर्वेद में युक्ताहर विहारस्य पद्धति को अपनाया गया है। युक्ताहार मतलब संतुलित भोजन जिसमें सभी आवश्यक तत्वों का समावेश हो। विटामिंस,मिनरल्स, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, वसा इत्यादि आपको सही भोजन से प्राप्त होते हैं। सर्दी के मौसम में आप

  •  मौसमी फल
  •  हल्दी दूध
  •  तिल गुड़
  •  गरम मसाला
  •  अदरक लहसुन
  •  आंवला

को आहार का हिस्सा बनाएं।

ऋषि च्यवन जिन्होंने बहुप्रचलित च्यवनप्राश नाम की औषधि का निर्माण किया जिसमें आंवला का उपयोग होता है। भोजन सुपाच्य होना चाहिए। आहार पूरे मन, खुशी और ईश्वर को धन्यवाद देकर करें।

  1. सैर करना: Healthy life

भोजन के बाद थोड़ा टहलना आपके स्वास्थ के लिए हितकर है। आयुर्वेद में विहार के महत्व की व्याख्या मिलती है।सुबह और शाम को सैर करने से भोजन पचाने में सहजता होती है। टहलने से आप आनंदित और स्वस्थ महसूस करेंगे।सैर करने से भोजन को पचाने में सहायता मिलती है और पाचन तंत्र मज़बूत होता है। 

कम से कम 20 मिनट की सैर सेहत को अच्छा रखती है। टहलने से आप घर से जब कुछ देर के लिए बाहर निकलते हैं और लोगों से मिलते हैं तो  आप व्यवहारिक होते है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। 

  1. नींद: Healthy life

सैर के बाद एक अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है। औसतन 6 से 8 घंटे की नींद का जिक्र आयुर्वेद के ग्रंथों में मिलता है। वैसे हर उम्र और अवस्था के लिए अलग अलग समय अवधि निर्धारित है। नींद के लिए ध्यान देने वाली बातें

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  •  बिस्तर आरामदायक हो।
  •  तकिया पतला ही उपयोग में ले।
  •  मौसम के अनुसार चादर या रजाई का उपयोग करें।
  •  सर्दी में दिन में न सोएं।
  •  रोशनी हल्की मध्यम हो।
  •  कपड़े कॉटन और ढीले हो।

निष्कर्ष- Healthy life

आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान है । आयुर्वेद मतलब –

  • शरीर को स्वस्थ रखना
  • रोगों को ठीक करना
  • रोगों से बचना यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना

हालाँकि पाश्चात्य संस्कृति में आयुर्वेद को स्यूडो-साइंस माना जाता है परन्तु भारतवर्ष के लिए ये एक सिद्धांतों और व्यवहारों के विश्लेषण से बना प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेदिक उपचार लेने से कोई दुष्प्रभाव भी देखने को नहीं मिलता। बच्चे से लेकर बुज़ुर्गों के लिए ये हितकर है। आयुर्वेद से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। तो स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेदिक उपायों को अपनाएं और जीवन को सुखमय और रोगमुक्त बनाएं।

अंत में आयुर्वेद का सिद्धांत श्लोक – 

स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं l

आतुरस्य विकार प्रशमनं च: ll

अर्थात – स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना औऱ आतुर यानी रोगी के रोग को दूर करना अर्थात रोगी को निरोगी बनाना। Healthy life

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