चुनावी दफ्तरों में रूकी रफ्तार, अब 23 मई का इंतजार

Waiting momentum in electoral offices, now waiting for May 23

सच कहूँ/देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र। 12 मई को लोकसभा के चुनाव संपन्न हो गए। चुनाव संपन्न होते ही चौपालों में चर्चा शुरू हो गई है कि कौन होगा जो लोकसभा में पहुंचेगा। किसके सिर पर जीत का ताज सजेगा? ये सब बातें चौपालों, चौराहों व दुकानों पर आम सुनी जा सकती हैं।
वहीं चुनाव के बाद सोमवार को सभी राजनीतिक पार्टियों के चुनाव कार्यालयों में वीरानगी छाई रही। चुनावी कार्यालयों में छायी रही वीरानगी इस बात का परिचायक रही कि चुनाव प्रचार अभियान में जुटे प्रत्याशी व कार्यकर्ता चुनाव संपन्न होने के बाद थकान उतार रहे हैं। एक तरह से चुनावी कार्यालयों पर सन्नाटा सा दिखाई दिया। कई चुनावी कार्यालय खुले नजर आए तो कईयों पर ताला लटका नजर आया। कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र के 9 विधानसभा क्षेत्रों में रविवार को वोट डाले गए थे। चुनावी रण में हर राजनीतिक पार्टी के योद्धा उतरे हुए थे। रण में उतरे योद्धा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही सरगर्म हो गए थे। जैसे जैसे नामांकन पत्र दाखिल करने और उसके बाद नामांकन पत्र वापिस लेने के बाद चुनाव प्रचार की बारी आई तो सभी योद्धाओं ने अपने को चुनावी रण में झोंक दिया था।

इतना ही नहीं कार्यकर्ता भी चुनावी योद्धाओं के साथ दिन-रात चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे। भीषण गर्मी के दौरान भी उनका यह प्रचार अभियान नहीं थमा। हर एक योद्धा ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए गर्मी व मौसम की परवाह न करते हुए 24 घंटे अपने को चुनावी अभियान में झोंका हुआ था। चुनावी रण में रणनीति तय करने के साथ साथ मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कई तरह के जुगाड़ किए जा रहे थे। एक तरह से 15 दिन तक जहां भीषण गर्मी रही, वहीं चुनाव की गर्मी भी पूरी चरम सीमा पर रही। बड़े नेताओं की रैलियां आयोजित करने में भी चुनावी योद्धाओं व कार्यकतार्ओं को खूब पसीना बहाना पड़ा।
रविवार को चुनाव संपन्न होने के बाद सभी प्रत्याशी व कार्यकर्ता अपनी थकान उतारने में लग गए। इसका नजारा सोमवार को उस समय देखने को मिला जब राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों में सन्नाटा पसरा हुआ था। इनेलो के सैक्टर 17 चुनावी कार्यालय की बात करें तो यहां उनके कार्यालय पर ताला लटका हुआ था और कार्यालय के बाहर एक तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था। ऐसा ही नजारा सैक्टर 13 के जिला कांग्रेस भवन में देखने को मिला, जहां कांग्रेस प्रत्याशी का चुनावी कार्यालय खोला गया था, वहां भी सन्नाटा पसरा हुआ था। इक्का दुक्का कुर्सियां भले ही कार्यालय के बाहर पड़ी हुई थी। पूछने पर पता चला कि यहां से सभी कार्यकर्ता रविवार की रात को चले गए थे।
मंगलवार को अब यहां पर कांग्रेस कार्यकतार्ओं की एक बैठक बुलाई गई है। इसी तरह का नजारा नए बस अड्डे के सामने भाजपा के चुनावी कार्यालय और जजपा आम आदमी पार्टी कार्यालय में देखने को मिला। यहां पर भी कार्यालय बंद थे।

हार जीत के दावे, किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा?

लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद हार जीत को लेकर भी दावे किए जा रहे हैं। किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा और कौन बनेगा कुरुक्षेत्र के रण का विजेता, इसे लेकर कार्यकर्ता मंथन में जुट गए हैं। गांव व विधानसभा वाईज आंकड़ा तैयार किया जा रहा है कि उन्हें कहां से लीड मिलेगी। इतना ही नहीं विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय कार्यकतार्ओं के माध्यम से भी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं कि उनकी जीत में किस किस जाति का अहम रोल रहा है। हालांकि हर प्रत्याशी अपने को विजेता मानकर चल रहा है, लेकिन इसका खुलासा 23 मई को मतगणना के बाद ही होगा कि कुरुक्षेत्र के रण का कौन बनेगा हीरो।

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